पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होगा जेपी का गांवः गवर्नर

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सिताबदियारा (सारण)। सिताब दियारा पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होगा। जिस तरह दुनिया भर के लोग राजघाट पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की समाधि पर माथा टेकने जाते हैं, उसी तरह जेपी के स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी। उक्त बातें बिहार के राज्यपाल लालजी टंडन ने लोकनायक जयप्रकाश नारायण के जयंती समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए गुरुवार को कहीं। उन्होंने कहा कि मैं यहां राज्यपाल के रूप में नहीं आया हूं, बल्कि जेपी के सहयोगी के रूप में आया हूं। वह समाज व सरकार किसी लायक नहीं होते हैं, जो अपने पूर्वजों को भूल जाते हैं। जेपी भले ही आज नहीं हैं, लेकिन वह हमारे बीच अपने विचारों के रूप में जीवित हैं। उन्होंने कहा कि जेपी से कुछ बिन्दुओं पर मतभेद थे, फिर भी मैं उनके साथ था।

उन्होंने कहा कि आज का यहां माहौल ठीक वैसा ही है,  जैसे लग रहा है कि जेपी का जन्म होने वाला है। छपरा में जेपी चेयर की स्थापना कर दी गयी है और मेरी भरपूर कोशिश व संकल्प है कि  जेपी के नाम पर स्थापित जयप्रकाश विश्वविद्यालय उनके सपनों को साकार करने के लिए कार्य करे। उन्होंने कहा कि यह मेरे लिए काफी गौरव की बात है कि मैं जेपी का सहयोगी रहा हूं और आज उनके जयंती समारोह में शामिल होने का मौका मिला है ।

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जेपी के साथ बिताये हुए पल को राज्यपाल ने साझा किया

उन्होंने के साथ बिताये गये पलों को साझा करते हुए कहा कि जेपी आंदोलन में उत्तर प्रदेश में सबसे पहले मेरी गिरफ्तारी हुई थी। उन्होंने कहा कि जेपी से कुछ बिन्दुओं पर मतभेद थे, फिर भी मैं उनके साथ था और यह जानते हुए भी जेपी ने कभी कुछ हमसे  नहीं कहा, यह उनकी महानता थी। उन्होंने कहा कि वैचारिक मतभेद के कारण एक बार उनके सामने मैं सीमा से बाहर जाकर बोल गया, जिसका पछतावा आज भी है।

जेपी ने सत्ता व सरकार से बाहर रहकर देश में क्रांतिकारी बदलाव किया

उन्होंने कहा कि यह जेपी की ही महानता थी कि नेहरू के उतराधिकारी बनने के समय वह राजनीति छोड़ कर सामाजिक आंदोलन में कूद पड़े और विनोवा भावे के साथ भू-दान आंदोलन शुरू कर दिया, जिसके लिए आज भी पूरी दुनिया उनका लोहा मानती है कि सत्ता व सरकार से बाहर रहकर भी देश में क्रांतिकारी बदलाव कर दिया। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ जब युवाओं ने आंदोलन शुरू किया तो लखनऊ में बैठक करने जेपी पहुंचे। उस समय मैं लखनऊ विश्वविद्यालय का छात्र था और उसमें शामिल हुआ। उसी के बाद देशव्यापी आंदोलन शुरू हुआ और देश की सरकार-सत्ता बदल गयी। उन्होंने कहा कि जेपी की सोच देश व समाज को बचाने की थी और आजीवन वह अपने सुख-सुविधाओं का त्याग कर आंदोलन करते रहे। उन्होंने जेपी आंदोलन व मीसा की चर्चा करते हुए कहा कि उस समय देश की खराब स्थिति थी। हालत यह थी कि मीसा के तहत जेल में बंद आंदोलनकारियों की मौत होने पर शव परिजनों को नहीं दिया जाता था। उस महापुरुष के संघर्ष के  बदौलत देश में क्रांतिकारी परिवर्तन हुआ।

आज भी हमारे बीच किसी न किसी रूप में जिन्दा हैं जयप्रकाश नारायण

उन्होंने कहा कि जेपी आज भी किसी न किसी रूप में हमारे बीच हैं। सिताब दियारा इस तरह  विकसित होगा, जहां पूरी दुनिया के लोग जेपी को जानने-समझने व उन पर शोध करने आयेंगे। उन्होंने कहा कि सिताब दियारा को कटाव से बचाया जायेगा। समारोह को फाउंडेशन के अध्यक्ष व भाजपा  सांसद वीरेन्द्र सिंह मस्त, छपरा के सांसद  राजीव प्रताप रूङी, महाराजगंज के भाजपा सांसद जनार्दन सिंह सीग्रीवाल, बलिया के भाजपा सांसद भरत सिंह, छपरा के भाजपा विधायक डा चतुर्भुज नाथ गुप्ता, बैरिया के भाजपा विधायक सुरेन्द्र सिंह आदि ने संबोधित किया। स्वागत फाउंडेशन के सचिव आलोक कुमार सिंह ने किया।

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