बिहार में किसानों को नहीं मिल रहे हैं धान के समर्थन मूल्य

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  • पैदावार के दस फीसदी क्रय का लक्ष्य है मूल कारण
  • बिचौलिया काट रहे हैं चांदी, औने-पौने बिक रहा धान
  • किसानों को प्रति क्विंटल 300 रुपये का हो रहा घाटा

पटना (राणा अमरेश सिंह) चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस नीत मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की सरकारों ने किसानों की कर्ज माफी का वादा शपथ के कुठ ही घंटों में निपटा दिया। छत्तीसगढ़ की सरकार ने तो शपथ के दो घण्टे के भीतर धान का समर्थन मूल्य 1750 रुपये क्विंटल से बढ़ा कर 2500 रुपये क्विंटल निर्धारित कर किसानों को राहत पहुंचाई। पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में भी भाजपा सरकार ने धान से कम निकल रहे पांच फीसदी चावल की भरपाई करने की घोषणा की है। वहीं बिहार के किसानों को धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी नहीं मिल रहा है। इसका खामियाजा किसानों को अपनी फसल को औने-पौने दाम में बेच कर उठाना पड़ रहा हैं। बिहार सरकार ने 24 जिलों को सूखाग्रस्त घोषित किया है। दूसरी ओर बिहार में धान की फसल इस साल भी औसत से ज्यादा हुआ है। फिर भी कृषि व सहकारिता विभाग धान क्रय को लेकर उदासीन है। कृषि व सहकारिता ने जिलों में चालू वर्ष में 30 लाख मेट्रिक टन धान खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया है।

कृषि व सहकारिता विभाग ने उपज का सही आकलन किए बगैर ही धान क्रय के लक्ष्य में काफी कटौती कर दी। इससे किसानों की चिंता बढ़ गई है। इसका लाभ एरिया के दबंग व प्रभावशाली किसान उठा रहे हैं। छोटे व कमजोर किसान धान को बिचौलियों के हाथ 1400-1500 रुपये क्विंटल बेच रहे हैं। किसानों को बाजार मूल्य से करीब तीन सौ रुपये प्रति क्विंटल हानि हो रही है। इसका असर गेहूं फसल की बुआई पर पड़ रहा है। हालांकि केंद्र सरकार ने धान का समर्थन मूल्य 1750 रुपये क्विंटल निर्धारित किया है।

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राज्य में सबसे अधिक धान पैदा करने वाले रोहतास जिले में कृषि व सहकारिता विभाग ने 15 नवंबर से शुरू होने वाले धान क्रय के लक्ष्य को पिछले साल की तुलना में आधे से भी कम निर्धारित किया था। दीगर है कि वर्ष 2017-18 में रोहतास जिले में 2 लाख 10 हजार मेट्रिक टन धान क्रय का लक्ष्य रखा गया था। वहीं चालू वर्ष में कृषि व सहकारिता विभाग ने जिले में मात्र 84 हजार मेट्रिक टन धान क्रय का लक्ष्य रखा था, जिसे बाद में बढ़ा कर पिछले साल के बराबर किया गया। जबकि जिले में धान की पैदावार चालू वर्ष में अधिक हुई है।

बाद में इसे बढ़ा कर 2 लाख 10 हजार मेट्रिक टन किया गया। पिछले साल 2017-18 में 2 लाख 10 हजार मेट्रिक टन की अपेक्षा 84 हजार मेट्रिक टन धान क्रय का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, जिसे बाद में बढ़ा कर तीन लाख मेट्रिक टन किया।

बिहार में धान के कटोरा और हार्वेस्टर बेल्ट के नाम से रोहतास जिला मशहूर है। रोहतास जिला में सबसे अधिक धान की पैदावार होती है। जिले के शिवसागर पैक्स के अध्यक्ष सह शिवसागर प्रखण्ड सहकारी समिति अध्यक्ष प्रदीप कुमार सिंह ने बताया कि  वे लोग सभी किसानों के धान की खरीदारी करना चाहते हैं, लेकिन लिमिट तय होने से काफी परेशानी हो रही है। किसान हताश हैं और मजबूर होकर अपनी गाढ़ी कमाई को बाजार में औने-पौने दाम में बेच रहे हैं। उन्होंने बताया कि पंजाब में 100% खरीदारी होती है, जबकि हमारे यहां 10 फीसदी किसी तरह हो पाती है। राज्य सरकार अन्य राज्य सरकारों की तरह एक रुपये का भी लाभांश नहीं दे रही है। उन्होंने बताया कि समय पर पटवन व पर्यावरण की मार के कारण इस बार धान से 67% ही चावल निकल रहा है। इसका खामियाजा स्थानीय पैक्स को वहन करना पडे़गा, जबकि उत्तर प्रदेश सरकार ने इसकी भरपाई की घोषणा की है। वहीं बिहार सरकार उदासीन है।

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