डिहरी में किसे मिलेगी राजद की हरी झंडी, कांग्रेस भी दावेदार

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  • कृष्ण किसलय

बिहार के बहुचर्चित अलकतरा घोटाले में पूर्व मंत्री इलियास हुसैन के रांची जेल जाने के बाद बिहार के रोहतास जिला अंतर्गत डिहरी विधानसभा क्षेत्र फिलहाल राजद के लिए हाट सीट बन गया है, क्योंकि मोहम्मद इलियास हुसैन की गैर मौजूदगी में इस क्षेत्र से अनेक दावेदार सामने आ गए हैं। इलियास हुसैन की बिहार विधानसभा की सदस्यता समाप्त कर दिए जाने के बाद अब डिहरी विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव होगा।

पहले इलियास हुसैन की मौजूदगी के कारण उनके सिवा इस सीट पर किसी की दावेदारी नहीं होती थी। यह तो स्वाभाविक है कि इलियास हुसैन राजद में अपने दशकों के राजनीतिक योगदान के मद्देनजर अपने बेटे फिरोज हुसैन के लिए टिकट चाहते हैं। राजद के प्रदेश महासचिव फिरोज हुसैन को अखबार में बड़े विज्ञापन में बतौर भावी प्रत्याशी पेश भी किया जा रहा है। 1980 से 2017 तक तीन बार छोड़ कर चार दशकों तक लगातार इस विधानसभा क्षेत्र से एक ही नेता (इलियास हुसैन) के प्रतिनिधित्व और फिर उनके बेटे के लिए भी राह बनाने, त्याग करने के सवाल पर स्थानीय राजद कार्यकर्ता सवाल खड़ा करते हैं कि बाप के दागी होने के बावजूद उसका बेटा ही क्यों? क्या यह राजतंत्र है कि अल्पसंख्यक समाज से दूसरा अपेक्षाकृत योग्य प्रत्याशी नहीं होगा? अभी तक तो बेटे की राजनीतिक भू्मिका डिहरी विधानसभा क्षेत्र को अपनी सरजमीं की तरह नहीं रही है, भले ही पढ़े-लिखे फिरोज हुसैन नई पीढ़ी के ध्वजवाहक हों।

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स्थानीय राजनीतिक महत्वाकांक्षा के कारण फिरोज हुसैन का तरह-तरह से विरोध भी शुरू हो गया है। यादव समाज के लोग अधिक अग्रसर हैं कि अब टिकट इस समाज के किसी योग्य प्रतिनिधि को मिले। इसके लिए स्थानीय कार्यकर्ताओं की भीड़ स्थानीय नेताओं के दरवाजों तक पहुंचने लगी है। फिलहाल तो राजद के प्रबल यादव-मुस्लिम समीकरण और इलियास हुसैन के प्रभाव के कारण फिरोज हुसैन का पलड़ा ही भारी लगता है। फिर भी यह भविष्य के गर्भ में है कि राजद आलाकमान का फैसला क्या होता है।

अंसारी समाज के प्रतिनिधित्व को इच्छुक है गठबंधन में शामिल कांग्रेस

दूसरी ओर, डिहरी विधानसभा क्षेत्र अल्पसंख्यकों में अंसारी बिरादरी की संख्या अधिक होने के कारण गठबंधन में शामिल कांग्रेस का जोर इस बात पर है कि यहां से अंसारी समाज को प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए। कांग्रेस यहां से इस समाज के योग्य दावेदार मरहूम अब्दुल क्यूम अंसारी के पोता नई पीढ़ी के प्रतिनिधि तनवीर हसन को मानती है। मोमिनों के राष्ट्रीय नेता अब्दुल क्यूम अन्सारी आजादी के आंदोलन के मशहूर सेनानी थे और उन्होंने आजादी के बाद डिहरी विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित होकर बिहार सरकार में बतौर मंत्री कार्य किया था। उनके पुत्र खालिद अनवर अंसारी भी डिहरी विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं, मगर वह अब अपने बेटे तनवीर हसन के लिए टिकट के इच्छुक हैं। इसके लिए वह पिछले साल से डिहरी विधानसभा क्षेत्र में लगातार सक्रिय भी हैं।

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यादव समाज की दावेदारी के लिए नेताओं की रांची यात्रा

डालमियानगर से प्राप्त जानकारी के अनुसार, यदुवंशी सेना ने कहा है कि अब डिहरी विधानसभा क्षेत्र में बाहरी उम्मीदवार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यदुवंशी सेना की बैठक डालमियानगर ईएसआई कृष्ण मंदिर परिसर में नंद यादव की अध्यक्षता और धनजी यादव के संचालन में हुई। बैठक में सवाल खड़ा किया गया कि जिसे विधानसभा क्षेत्र का भूगोल पता नहीं, जो यहां के कार्यकर्ताओं से कभी संपर्क में नहीं रहा, उसे टिकट क्यों? जाहिर है कि बैठक में अलकतरा घोटाला के सजायाफ्ता पूर्व मंत्री इलियास हुसैन के बेटे फिरोज हुसैन का विरोध किया गया और यादव प्रत्याशी की दावेदारी को हवा दी गई। दूसरी तरफ, तेतराढ़ पंचायत के पूर्व मुखिया हरिराम यादव ने तो साफ तौर पर फिरोज हुसैन को टिकट नहीं देने की मांग लालू प्रसाद यादव से की है। इस सिलसिले में हरिराम यादव पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के साथ लालू प्रसाद से मिलने रांची भी गए। समझा जाता है कि इन्होंने अपना दावा पेश किया है।

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महिला नेत्री ने भी टिकट की प्रत्याशा में पेश की अपनी दावेदारी

पिछले दिनों डिहरी प्रखंड की प्रखंड प्रमुख पूनम यादव ने पटना में तेजस्वी यादव से मुलाकात की है। इससे यह कयास लगाया जा रहा है कि उन्होंने बतौर महिला नेत्री डिहरी विधानसभा क्षेत्र से टिकट की प्रत्याशा में अपनी दावेदारी पेश कर दी है। उनकी दावेदारी से राजद का अन्दरूनी सियासी माहौल गर्म हो गया है। राजपूत, कुशवाहा जाति और अल्पसंख्यक समाज से अन्य दावेदारों ने भी टिकट पाने की प्रत्याशा में अपना-अपना पक्ष और समीकरण शीर्ष नेतृत्व के सामने रखा है। राजद में डिहरी विधानसभा से चुनाव लडऩे के इच्छुक और टिकट के दावेदारों में अशोक भरद्वाज, फतेहबहादुर सिंह, सिकंदर यादव, नकीब खान जैसे लोग भी हैं। फतेहबहादुर सिंह ने तो रालोसपा को छोड़कर राजद का दामन टिकट पाने की प्रत्याशा में ही थामा है। अब आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि डिहरी विधानसभा सीट से राजद का आलाकमान चुनाव लडऩे के लिए किसे हरी झंडी देता है?

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