बिहार में ई-स्टाम्प योजना से निबंधन में मिलेंगी सहूलियतें 

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बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग एक बार उठी है। नीति आयोग की रिपोर्ट में बिहार की खस्ताहाली उजागर होने के बाद नीतीश कुमार ने अपनी पुरानी मांग रिपीट कर दी है।
बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग एक बार उठी है। नीति आयोग की रिपोर्ट में बिहार की खस्ताहाली उजागर होने के बाद नीतीश कुमार ने अपनी पुरानी मांग रिपीट कर दी है।

रजिस्ट्री कराने वालों को अब नहीं लगाना पड़ेगा बैंकों का चक्कर

पटना। निबंधन कार्यालयों में आये दिन किसी दस्तावेज की रजिस्ट्री में आम लोगों की सबसे बड़ी समस्या होती है स्टाम्प ड्यूटी के भुगतान के लिए बैंकों के चक्कर लगाना या फिर स्टाम्प की किल्लत का सामना करना। यह समस्या ग्रामीण इलाकों में रहने वालों के लिए और भी विकट हो जाती है, जहाँ बैंक भी दो-तीन किलोमीटर दूर ही होते हैं। यही हाल केस-मुकदमों के सिलसिले में कोर्ट में स्टाम्प शुल्क के भुगतान के वक्त भी होता है। राज्य सरकार की ई-स्टांप योजना से अब इन समस्याओं से छुटकारा मिल जाएगा। ई-स्टाम्प की व्यवस्था पूर्ण रूप से लागू हो जाने पर दस्तावेजों की रजिस्ट्री करने के लिए अब लोगों को बैंकों के चक्कर नहीं काटने होंगे।

इस समस्या के समाधान के लिए सरकार ने एक महत्वपूर्ण फैसले के तहत आम लोगों की सुविधा के लिए ई-स्टाम्प की सुविधा राज्य के सभी जिला निबंधन कार्यालयों में देने की योजना बनायी है। पटना, मुजफ्फरपुर और भागलपुर सहित लगभग आधे दर्जन जिलों में यह व्यवस्था शुरू हो गई है। पटना हाईकोर्ट में भी यह व्यवस्था कुछ दिनों में ही शुरू हो जाएगी। राज्य के अन्य न्यायालयों में भी लोगों की सहूलियत के लिए ई-स्टाम्प की व्यवस्था जल्द ही शुरू करने की योजना है। राज्य में 124 कार्यालय हैं और इन सभी में ई-स्टाम्प की सुविधा अगले छह महीनों में पूर्ण रूप से लागू हो जाएगी।

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ई-स्टाम्प की व्यवस्था पूर्ण रूप से लागू हो जाने पर दस्तावेजों की रजिस्ट्री करने के लिए अब लोगों को बैंकों के चक्कर नहीं काटने होंगे। कोर्ट में भी स्टाम्प शुल्क अब वहीँ पर जमा हो जायेगा। राज्य में कई रजिस्ट्री कार्यालय से बैंकों की दूरी काफी है। कई जिलों में तो अवर निबंधन कार्यालयों से बैंक की दूरी दो-तीन किलोमीटर से भी ज्यादा है। ऐसे में लोगों को काफी परेशानी होती है और इसके लिए लोगों को एक दिन पहले ही पैसा जमा करना पड़ता है। वह भी बैंकों में लम्बी कतार लगाने के बाद।

ई-स्टाम्प की नयी व्यवस्था जहाँ लोगों की सहूलियतों को बढ़ाने वाली है, वहीँ इससे सरकार को राजस्व की भी बचत होगी। स्टाम्प शुल्क जमा करने का जिम्मा वित्त मंत्रालय के अधीन एजेंसी स्टॉक होल्डिंग कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड (एस.एच.सी.ओ.आइ.एल.) को दिया गया है। लोगों को दस्तावेजों के निबंधन शुल्क के लिए बैंक, इस कारपोरेशन के ऑफिस या फिर किसी अन्य जगह जाने की जरुरत नहीं पड़ेगी। कारपोरेशन के कर्मी निबंधन कार्यालय के साथ कोर्ट में भी बैठेंगे और वहीँ पर स्टाम्प शुल्क का पैसा जमा करेंगे।

यह एजेंसी सेन्ट्रल रिकॉर्ड कीपिंग एजेंसी का काम करेगी और ई- कलेक्शन सिस्टम से विभिन्न प्रकार के शुल्क राशि प्राप्त कर सरकारी कोष में जमा करेगी। इस व्यवस्था से भुगतान में पारदर्शिता तो आयेगी ही, साथ ही साथ स्टाम्प मुहैया कराने के नाम पर बिचौलियों और दलालों द्वारा लोगों से राशि वसूलने पर भी रोक लग जाएगी।

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