डॉ. भीमराव अंबेदकर ने भी अनुच्छेद 370 का विरोध किया था- सुशील मोदी

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आरक्षण विरोधी कांग्रेस से दोस्ती करने वालों ने कर्पूरी ठाकुर के आदर्श मिट्टी में मिला दिये। सांसद सुशील कुमार मोदी ने यह आरोप लगाया है।
आरक्षण विरोधी कांग्रेस से दोस्ती करने वालों ने कर्पूरी ठाकुर के आदर्श मिट्टी में मिला दिये। सांसद सुशील कुमार मोदी ने यह आरोप लगाया है।

“लालू की पार्टी 370 के फैसले का विरोध क्यों कर रही है ?”

पटना: जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने को लेकर देशभर में बवाल जारी है। कुछ विपक्षी पार्टियां इसमें समर्थन में खड़ी हैं तो कुछ इसके विरोध में। ऐसे में बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने अपने ट्वीट में लिखा कि, “डॉ. भीम राव अम्बेदकर ने जम्मू-कश्मीर में धारा 370 लगाने का विरोध किया था और इस धारा के चलते उस सीमावर्ती राज्य में न मंडल आयोग की रिपोर्ट लागू हो पायी, न दलितों-पिछड़ों को रिजर्वेशन का लाभ मिल पाया।“

सुशील मोदी ने लालू प्रसाद यादव निशाना साधते हुए ट्वीटर के माध्यम कहा कि, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब कश्मीर का कलंक बनी एक अस्थायी धारा को समाप्त कर रिजर्वेशन का रास्ता साफ कर दिया, तब रिजर्वेशन के मसीहा बनने वाले लालू प्रसाद यादव की पार्टी सरकार के फैसले का विरोध क्यों कर रही है?”

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जानते हैं कि अंबेदकर ने अनुच्छेद 370 का क्यों विरोध किया था ?

शायद आपको जानकारी होगी, कि अनुच्छेद 370 का ड्राफ्ट बनाने से संविधान के निर्माता और भारत रत्न डॉ. बाबा साहेब भीमराव आंबेदकर ने मना कर दिया था। आज के युवा भी भीमराव आंबेदकर के नक्शेकदम पर चलने की कोशिश करते हैं। शोषित और वंचित तबके के लोगों को आवाज देने वाले डॉ. आंबेदकर को उस समय इसका अहसास था कि इसका दुरुपयोग हो सकता है। आंबेदकर को लगता था कि अगर जम्मू-कश्मीर राज्य के लिए अलग कानून बनता है तो भविष्य में कई समस्याएं पैदा करेगा, जिन्हें सुलझाना और उनसे निपट पाना मुश्किल हो जाएगा।

1949 में, भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरु ने कश्मीरी नेता शेख अब्दुल्ला को डॉ. अंबेदकर से कश्मीर के लिए उपयुक्त मसौदा तैयार करने के लिए परामर्श देने का निर्देश दिया था। अंबेदकर भारत के पहले कानून मंत्री और संविधान मसौदा समिति के अध्यक्ष थे। अंबेदकर ने अनुच्छेद 370 का मसौदा तैयार करने से इनकार कर दिया, क्योंकि उनका सख्त विरोध किया गया था।”

आंबेदकर ने शेख अब्दुल्ला से मुलाकात के दौरान क्या कहा था ?

डॉ. आंबेदकर ने शेख से मुलाकात के दौरान कहा था, “अगर आप चाहते हैं कि भारत आपकी सीमाओं की रक्षा करे, आपकी सड़कें बनवाए, आपको खाना, अनाज पहुंचाए…फिर तो उसे वही स्टेटस मिलना चाहिए जो देश के दूसरे राज्यों का है। इसके उलट आप चाहते हैं कि भारत सरकार के पास आपके राज्य में सीमित अधिकार रहें और भारतीय लोगों के पास कश्मीर में कोई अधिकार नहीं रहे।”

“अगर आप इस प्रस्ताव पर मेरी मंजूरी चाहते हैं तो मैं कहूंगा कि ये भारत के हितों के खिलाफ है। एक भारतीय कानून मंत्री के हिसाब से मैं ऐसा कभी नहीं करूंगा।” जब आंबेदकर ने इसको सिरे से खारिज कर दिया, तब शेख अब्दुल्ला ने नेहरू को फिर एप्रोच किया, तब प्रधानमंत्री के निर्देश पर केएन गोपालस्वामी आयंगर ने इसे तैयार किया।

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