किसानों की समस्या पर रोहतक में पत्रकारों का चिंतन-मंथन

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कार्यक्रम को संबोधित करते आशुतोष कुमार सिंह
कार्यक्रम को संबोधित करते आशुतोष कुमार सिंह
  • रोहतक से लौट कर आशुतोष कुमार सिंह

किसानों की समस्या पर पत्रकारों के चिंतन का शायद यह पहला मौका था। समाज की समस्याएं उजागर करने वाले पत्रकार किसानों की बात कर रहे थे। नागरिक समाज से जुड़ी तमाम समस्याओं को सरकार के समक्ष उठाने वाले पत्रकारो एवं संचारकों की समस्याओं पर कभी भी ठीक से बात नहीं होती। इस लिहाज से हरियाणा के महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय में आयोजित 2 दिवसीय परिसंवाद को बहुत ही सार्थक, उपयोगी एवं सामयिक कहा जा सकता है।

कार्यक्रम में शामिल लोग
कार्यक्रम में शामिल लोग

हरियाणा पत्रकार संघ एवं नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस चिंतन शिविर का मुख्य विषय था सामाजिक उत्थान में मीडिया की भूमिका। विषय के अनुकूल इस पर आत्मचिंतन होना ही था, हुआ भी। मीडिया की गिरती साख को बचाने की जरूरत को भी रेखांकित किया गया।

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उद्घाटन सत्र में हुए समुद्र मंथन का अमृत यह निकला कि हम पत्रकारों को रोज कम से कम एक सकारात्मक खबर लिखनी चाहिए। दूसरी बात यह उभरकर आई की कृषिगत रिपोर्टिंग को बढ़ावा दिया जाए। इस बात को हरियाणा के मंत्री रणजीत सिंह ने जोरदार तरीके से रखा। किसानों के ज्ञानवर्धन के लिए अखबारों के पन्नों में स्थान नहीं होना एक तरह से मातृभूमि से गद्दारी करने जैसा ही है। जिस भूमि को चीरकर हम अपने पेट के आग को बुझा रहे हैं, उस भूमि और भूमिदारों के लिए मीडिया की बेरुखी ठीक नहीं कही जा सकती है। बाद के आत्ममंथन के सत्रों में पत्रकारों से जुड़े संगठनों को एक मंच पर लाने की चर्चा होती रही। परिणाम कुछ हद तक सार्थक कहा जा सकता है।

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पत्रकारिता के नाम पर दुकानदारी चलाने वाले एवं पत्रकारीय गरिमा का उल्लंघन करने वाले कथित पत्रकारों के प्रति संगठन के नेताओ में घोर आक्रोश दिखा। इस आक्रोश में मुझे पत्रकारिता की शुभता का दर्शन हुआ। मुझे लगा कि आज भी ऐसे वरिष्ठ मित्र हैं, जो पत्रकारिता की गिरती साख के प्रति संवेदनशील हैं। पत्रकारिता के भविष्य के लिहाज से इसे शुभ कहा जा सकता है।

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महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक के प्रांगण में दो दिन रहने का मौका मिला। सैकड़ो एकड़ में फैले इस विश्वद्यालय ने सबका मन मोहा। विश्वविद्यालय के कुलपति राजबीर सिंह ने अपने विश्वविद्यालय के बारे में जब बताना शुरू किया तो विश्वास कर पाना मुश्किल था। साफ सफाई के मामले में इस विश्वविद्यालय को देश में प्रथम स्थान मिला है। अच्छा लगा यह देखकर कि हरियाणा जिसे किसानों का प्रदेश कहा जाता रहा, वहां का शैक्षणिक माहौल इतना उन्नत है। इससे एक बात यह भी सिद्ध हुई  कि जो प्रदेश किसानी में अच्छा है, वह प्रत्येक क्षेत्र में उन्नति करता है। दुःखद यह है देश के असली मालिकों यानी किसानों के प्रति हमारी मीडिया आज भी उदासीन है।

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