पश्चिम बंगाल के CS ने रिटायरमेंट ली, ममता ने बनाया चीफ एडवाइजर

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समय-समय की बात हैः केंद्र के निदेशानुसार आज ही चीफ सेक्रेट्री अलापन को दिल्ली में ज्वाइन करना था। इसे राजनीतिक हल्के में पीएम नरेंद्र मोदी पर ममता बनर्जी की कुशल रणीनित के तौर पर देखा जा रहा है।
समय-समय की बात हैः केंद्र के निदेशानुसार आज ही चीफ सेक्रेट्री अलापन को दिल्ली में ज्वाइन करना था। इसे राजनीतिक हल्के में पीएम नरेंद्र मोदी पर ममता बनर्जी की कुशल रणीनित के तौर पर देखा जा रहा है।

कोलकाता। पश्चिम बंगाल के CS (चीफ सेक्रेट्री) ने अलापन बंद्योपाध्याय ने रिटायरमेंट ले ली है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन्हें चीफ एडवाइजर बना दिया। पश्चिम बंगाल सरकार और केंद्र सरकार के बीच टकराव साफ-साफ दिखने लगा है। चीफ सेक्रेट्री (CS) अलापन बंद्योपाध्याय दिल्ली नहीं गये। केंद्र अभी उन्हें शो काज देने की तैयारी में था, इस बीच उन्होंने खुद को रिटायर घोषित कर दिया। सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन्हें अपना मुख्य सलाहकार नियुक्त कर लिया। केंद्र के निदेशानुसार आज ही चीफ सेक्रेट्री अलापन को दिल्ली में ज्वाइन करना था। इसे राजनीतिक हल्के में पीएम नरेंद्र मोदी पर ममता बनर्जी की कुशल रणीनित के तौर पर देखा जा रहा है।

अलापन ने पहले तो केंद्र के निर्देश की अवमानना की, दिल्ली नहीं गए। दूसरे उन्होंने खुद को रिटायर घोषित कर दिया। मालूम हो कि उनके रिटायरमेंट की मियाद पहले ही पूरी हो गयी थी, लेकिन ममता बनर्जी की सिफारिश पर उन्हें तीन महीने का एक्सेंसन मिला था। आज दिल्ली न जाकर वह दिन भर मुख्यमंत्री के साथ रहे और अपना काम किया। इससे पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र को चिट्ठी भेज कर कहा था कि मौजूदा परिस्थिति में उन्हें रिलीव करना मुमकिन नहीं है। दिल्ली बुलावे की चिट्ठी वापस ली जाए।

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इस पूरे प्रकरण की तह में जाएं तो पता चलेगा कि अलपान बंद्योपाध्याय मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के काफी विश्वसनीय माने जाते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बंगाल दौरे के वक्त उन्हों मुख्यमंत्री का साथ दिया, प्रधानमंत्री को कोई तवज्जो नहीं दी। ममता बनर्जी ने भी सिर्फ यास तूफान से हुई क्षेति के ब्योरे का कागज प्रधानमंत्री को दिया। दो-तीन मिनट की इस मुलाकात से प्रधानमंत्री नाराज हुए, जबकि कहा यह जाता है बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी की बैठक में मौजूदगी से ममता खफा थीं। इस बारे में उनके दफ्तार ने पीएमओ को सुबह में ही बता दिया था कि शुभेंदु की मौजूदगी वह नहीं जाएंगी।

पीएम की यात्रा के दिन ही शाम को चीफ सेक्रेट्री को दिल्ली रिपोर्ट करने का फरमान आ गया। ममता इससे चिढ़ी हुई थीं। चीफ सेक्रेट्री के खिलाफ संभावित कार्वाई को भांपते हुए संभवतः उन्होंने पूरी रणनीति बना ली थी। इसी क्रम में केंद्र के निदेशों की अवहेलना कर अलापन दिल्ली नहीं गये और खुद को पहले रिटायर घोषित कर दिया। कुछ ही देर बाद ममता ने उन्हें अपना मुख्य सलाहकार बना लिया। उनका कार्याकाल तीन साल को होगा।

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