Corona लोगों को बीमार के साथ बेरोजगार भी बना रहा

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Corona लोगों को बीमार के साथ बेरोजगार भी बना रहा
Corona लोगों को बीमार के साथ बेरोजगार भी बना रहा
रांची। कोरोना महामारी ने न सिर्फ लोगों को बीमार कर रहा है बल्कि लोगों को बेरोजगार भी बना रहा है, देशभर में अनलॉक की प्रक्रिया शुरु होने के बाद भी कई व्यवसायिक प्रतिष्ठान बंद है, जिनके सामने बेरोजगारी की समस्या उत्पन्न हो गई है। जिम खोलने की मांग को लेकर रांची के फिरायालाल चौक पर जिम संचालकों ने शांतिपूर्ण रैली निकाली साथ ही रोष प्रकट करते कहा कि “देश को अब हिष्ट- पुष्ट नौजवानों की नहीं, नशेबाज शराबियों की जरुरत है, तभी तो जिम बंद है और शराब के ठेके खुले हैं”।

जिम बंद लेकिन शराब के ठेके खुले 

स्वस्थ रहने के आपको कभी न कभी कोई कसरत, योग करने की सलाह जरुर दी होगी, व्यायाम हमारे शरीर को न सिर्फ स्वस्थ रखता है बल्कि बिमारियों से लड़ने की ताकत भी देता है, आज के दौर में जिम जाना और घंटों पसीना बहाना युवाओं का शौक बन गया है वहीं बड़े उम्र के लोग भी फिट रहने के लिए जिम जाना पसंद कर रहे हैं, लेकिन कोरोना ने सबकुछ बदल कर रख दिया, जिम, पार्क, स्विमिंग पूल सबकुछ बंद हो गया, कभी सिक्स पैक एब्स के साथ कसी हुई काया लेकर इतराने वाले युवा अब घर में है, इतना ही नहीं कई युवा तो अवसाद में जी रहे हैं तो वहीं जिम संचालक आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं।
कोरोना काल में उदासीन बनी सरकार
हमारा किराया कौन भरेगा बताये सरकार
जो प्रतिष्ठान अभी तक बंद हैं उनके लिए सरकार ने किसी भी प्रकार की घोषणा नहीं की है ना ही भविष्य में ऐसी कोई संभावना दिख रही है। युवा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से झारखंड के लोगों को उम्मीद थी कि वो जिस तरह से दूसरे राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों को एयर लिफ्ट करके ला रहे हैं उसी तरह वो छोटे व्यापारी या संस्थानों के लिए भी कोई घोषणा करेंगे लेकिन ऐसा नहीं हो सका है कभी जूते चप्पल दुकान चलाने वाले तो कभी कपड़े दुकान वाले सड़क पर उतरकर अपनी मांग मनवाई अब बारी है स्वास्थ लाभ देने वाले संस्थानों का अब ये भी सड़क पर उतर आये हैं इतना ही नहीं वो सरकार से पूछ रहे हैं कि उनका किराया ईएमआई कौन भरेगा।

झारखंड हाईकोर्ट से झटका

कोरोना काल में संक्रमण का फैलाव कम तो नहीं हुआ लेकिन जिंदगियां वापस से पटरी पर आने लगी, लॉकडाउन के बाद देशभर में अनलॉक की प्रकिया शुरु हो गई और धीरे-धीरे व्यवसायिक प्रतिष्ठान खुलने लगे लेकिन संक्रमण का फैलाव तेजी से बढ़ने के कारण झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य में और ज्यादा ढील देने पर रोक लगा दी जिसकी वजह से जो प्रतिष्ठान नहीं खुल सके थे वो बंद ही रहे ऐसे में उनपर दोहरी मार पड़ी है, रोजगार बंद होने से उनकी आजीविका बंद हो गई तो दूसरी तरफ मकान का किराया और मासिक किश्त का बोझ उन्हें कर्जदार भी बनाते जा रहा है, अब इन छोटे व्यवसायियों के सामने परेशानी ये है कि उनकी दर्द सुनने वाला कोई नहीं है।

शराब दुकान खुली, जिम बंद क्यूं

अब जबकि ज्यादातर संस्थान खुल चुके हैं सड़कों पर पहले की तरह रौनक दिखने लगी है ऐसे में गिने चुने प्रतिष्ठानों पर प्रतिबंध कितना उचित है, यदि मान लिया जाए कि ये कोरोना वाहक हैं तो ऐसे में सरकार को चाहिए कि विशेष सहायता देने की घोषणा करे ताकि उनके घर का चूल्हा भी जलता रहे।
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