मलिकाइन के पातीः पोखरा में मछरी, नौ-नौ कुटिया बखरा

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पावं लागीं मलिकार। पाती में तनिका देर हो गइल। जानते बानी बरखा-बूनी के सीजन चलता। कवनो लिखनीहार ना भेंटात रहले हां सन। हार-पाछ के अपने नन्हका के कहवीं कि ए बाबू, तनी एह मोबइलवा से अपना बाबूजी के पाती लिख दे ना। पहिले त महटिआवत रहवे, बाकिर बड़ी चिरौरी से रउरा नाम पर तैयार भउवे। का जाने, का करेला भर दिन मोबाइलवा ले के। चौबीसो घंटा कान में मोबाइल के तार ठूंसले रहता। बारह बेर बोलाईं त कबो एक बेर सुनेला। का-का देखत रहेला। जहिया से रउरा घसेटउवा मोबाइल भेजले बानी, पढ़ल-लिखल त गाछा पर चल गइल बा ओकर। खाली मोबाइले पढ़त बा। हम बेकारे रउरा से किनववनी मलिकार। ई जानत रहतीं, त ई  बवाल घर में ढूकहीं ना दीतीं।

ए मलिकार कब वोट होखे वाला बा। अबहिएं से वोट के धूमगज्जड़ मचल बा। पांड़े बाबा खबर कागज पढ़ के काल्ह सुनावत रहवीं कि दू गो गिरोह बन गइल बा। एगो मोदी जी के पाटी के आ एगो नेहरू जी के पाटी के। मोदी जी वाला गिरोह में अपना इहां के नीतीश बाबू के पाटी के संगे पासवान जी और कवनो कुशवाहा जी के पाटी बा त नेहरू जी के पाटी में बीस गो से बेसी पाटी शामिल बाड़ी सन। दूनों गिरोह में सीट के बखरा खातिर हुड़दुंग हो रहल बा। पांड़े बाबा बतावत रहवीं कि नीतीश बाबू बड़ भाई के हिस्सा मांगत बाड़े त मोदी जी के पाटी उनका के ओतना देबे के तेयार नइखे। कुशवाहा जी अलगे राग अलापत बाड़े। पासवानो जी कबो-कबो आंख तड़ेरत रहतारे। ओने नेहरू जी के पाटी में लालू जी बाड़े। ऊ त पहिलहीं फरिया लेले बाड़े कि बड़ भाई बिहार में उहे रहिएं। बाकिर दूनों गिरोह में सीट खातिर मारामारी शुरू हो गइल बा। अबहीं कवनो बखरा नइखे लागल, बाकिर बुझाता कि बांट-बखरा के टाइम पर खूबे मार-काट मची आ भगदड़ मची। एही के कहल जाला- पोखरा में मछरी, नौ-नौ कुटिया बखरा।

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जायें दी मलिकार, एह कुल से हमनी के का लेबे-देबे का बा। कवनो नतिया जीते-हारे, कुछऊ फरक नइखे परे के। महंगाई रोआ दिहले बिया। सगरी सामान के दाम आसमान पर पहुंचल जाता। ए मलिकार, पांड़े बाबा कहत रहवीं कि रुपिया रोजे कमजोर भइल जाता। एकर माने हमरा ना बुझउवे। का सचहूं रुपिया जेतना मोट रहल हा, ओइसे अउरी पातर कागज पर छपाई का। रुपिया के कमजोर भइला के माने त हमरा इहे बुझउवे। तनी मोका मिले त हमरा के समझा देब।

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ए मलिकार, पहिले मच्छर के कटला से लोग के मलेरिया होत रहे। अब त कवन-कवन बेमारी के नाम लोग बतावत बा। पांड़े बाबा, आजे कवनो खबर के पढ़ के सुनावत रहवीं कि चिकुनिया (चिकनगुनिया) आ डेंगी (डेंगू) बोखार हो जाता मच्छर के कटला पर। टाइम पर आ ठीक से इलाज ना करवला पर ई बोखार जानो ले लेता। अपना इहां त बड़ा मच्छर हो गइल बाड़े सन मलिकार। सांझ होते माटा अइसन झुंड बना के हबके लागतारे सन। हमरा त अइसन डर हो गइल बा कि दिनहूं मच्छरदानी टांग के सुतल करीले। लड़िकवन के डर रहेला, ओकनी के त मोबाइल के जरी घंटन बइठ के का-का सुनत रहेले सन।

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