बिहार एनडीए में बंट गयी सीटें, भाजपा 17 और जदयू 16 सीटों पर

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यह दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगेः अमित शाह का स्वागत करते नीतीश कुमार (फाइल फोटो)
यह दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगेः अमित शाह का स्वागत करते नीतीश कुमार (फाइल फोटो)

पटना। भाजपा और जदयू के बीच सीटों पर समझौता आखिरकार हो गया। समझौते के तहत नीतीश कुमार के जनता दल यूनाइटेड (जदयू) को 16 सीटें ही भाजपा देगी। बड़ा भाई बने रहने के लिए भाजपा 17 सीटें अपने पास रखेगी। बाकी दो घटक दलों- में 7 सीटों का बंटवारा होगा। इसमें 5 सीटें राम विलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) और 2 सीटें उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के लिए रखी गयी हैं।

सीटों के बंटवारे के इस फार्मूले पर नीतीश कुमार ने हामी भर दी  है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के साथ नयी दिल्ली में बैठक के बाद नीतीश कुमार ने इस पर हामी भर दी है। इस बंटवारे में रालोसपा के महज 2 सीटें देने पीछे मंशा यही है कि उपेंद्र कुशवाहा के बोल हाल के दिनों में काफी कड़वे हो गये हैं। माना यह जा रहा है कि वे अधिक सीटों की मांग को बहाना बना कर खुद को एनडीए से अलग कर लेंगे। तब उनके कोटे की 2 सीटें राम विलास पासवान की लोजपा को दे दी जाएंगी या खुद भाजपा अपने उम्मीदवार इन सीटों पर उतारेगी।

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पिछली बार 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 22 सीटों पर, लोजपा को 6 और रालोसपा को 3 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। अरुण कुमार ने रालोसपा से अलग होकर अपना गुट बना लिया था। यानी रालोसपा के पास शुद्ध 2 सीटें ही थीं। राम विलास की पार्टी रालोसपा को इस बंटवारे में एक सीट का नुकसान हो रहा है। वह भी इस बंटवारे पर मन ही मन दुखी होने के बावजूद भाजपा से दुटा होने का जोखिम उठाने के मूड में नहीं हैं। इसलिए कि भाजपा ने एससी-एसटी मुद्दे पर उनका ही मुद्दा खुद झटक लिया है।

सीटों के बंटवारे के ऐलान छठ तक औपचारिक रूप से कर दिया जायेगा। आशंका यही है कि इससे खफा होकर उपेंद्र कुशवाहा अलग हो जाएंगे। वैसे भी हाल के दिनों में वे राजद की ओर ज्यादा मुखातिब लगते हैं।

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