सुभाष चंद्र बोस के बहाने बंगाल को साधने में जुटी भाजपा

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नेताजी सुभाष चंद्र बोस पत्रकार भी थे। यह बात नयी पीढ़ी के पत्रकारों को शायद मालूम न हो। नेताजी ने साप्ताहिक ‘फारवर्ड ब्लाक’  का संपादन किया।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस पत्रकार भी थे। यह बात नयी पीढ़ी के पत्रकारों को शायद मालूम न हो। नेताजी ने साप्ताहिक ‘फारवर्ड ब्लाक’  का संपादन किया।

कोलकाता। आजाद हिन्द फौज की 75वीं वर्षगांठ पर लालकिला से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भाषण के बाद से ही बंगाल में राजनीति तेज हो गई है। आजाद हिन्द फौज के नेता सुभाष चन्द्र बोस को स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री व गांधी परिवार के चलते ही सुभाष चंद्र बोस को यहां उनके योग्य सम्मान नहीं मिला। प्रधानमंत्री की ओर से कही गयी इस बात ने नेताजी के परिवार समेत पूरे बंगाल में खलबली मचा दी है।

नेताजी के परिवार के भतीजे चंद्र कुमार बोस ने यह आरोप लगाया कि सन 1944 में ही आजाद हिन्द फौज दिल्ली के लालकिला में तिरंगा फहरा कर देश को आजाद कर देती, लेकिन नेहरू व कई कांग्रेसी नेताओं ने ब्रिटिश सरकार से मिलकर ऐसा होने से रोक दिया था। उन्होंने यह भी कहते हुए कांग्रेस पर कटाक्ष किया कि अविभाजित देश के पहले प्रधानमंत्री सुभाष चंद्र बोस ही थे, जो कांग्रेस को पसंद नहीं था।

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उनका यह भी आरोप है कि सन 1957 के सिपाही विद्रोह के समय भी कई भारतीय शहीद हुए हैं, लेकिन कांग्रेस ने उन्हें उपयुक्त सम्मान नहीं दिया। इधर नेताजी के प्रति प्रधानमंत्री के इस बयान से राज्य के लोगों में भी उत्साह दिख रहा है, क्योंकि बंगाल के लोग हमेशा सुभाष चंद्र बोस के पक्ष में रहे हैं। इधर फारवर्ड ब्लाक नेता नरेन चटर्जी का कहना है कि कांग्रेस ने तो सुभाष चंद्र बोस को सम्मान नहीं दिया, लेकिन वह धर्म निष्पक्ष थे और आज जो धर्म के नाम पर लोगों को लड़ाना चाहते हैं, वही अपने फायदे के लिए नेताजी का इस्तेमाल कर रहे हैं।

इसके जवाब में बंगाल भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष का कहना है कि उस समय दुनिया के दस देशों ने आइएनए को मंजुरी दे दी थी, लेकिन दुख की बात है कि कांग्रेस ने इस संगठन को कभी मंजूरी ही नहीं दी। तृणमूल की ओर से सांसद कृष्णा बसु ने कहा कि नेताजी इस विवाद से ऊपर हैं। उन्हें इसमें घसीटना नहीं चाहिए।

बहरहाल चुनावी मौसम में अचानक नेताजी सुभाषचंद्र बोस के प्रति भाजपा के उमड़े इस प्यार का निहितार्थ सभी जानते हैं। बंगाल के लोगों की भावनाओं को जीतने में भाजपा कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है।

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