बीजेपी नीतीश कुमार को बिदकाने का कोई मौका नहीं छोड़ रही

0
413
बीजेपी नीतीश कुमार को बिदकाने का कोई मौका नहीं छोड़ रही। लगता है कि बीजेपी नीतीश कुमार को खुद किनारे होने पर मजबूर कर देगी। (फाइल फोटो)
बीजेपी नीतीश कुमार को बिदकाने का कोई मौका नहीं छोड़ रही। लगता है कि बीजेपी नीतीश कुमार को खुद किनारे होने पर मजबूर कर देगी। (फाइल फोटो)
  • पारखी प्रकाश

पटना। बीजेपी नीतीश कुमार को बिदकाने का कोई मौका नहीं छोड़ रही। लगता है कि बीजेपी नीतीश कुमार को खुद किनारे होने पर मजबूर कर देगी। पहले, तीसरे नंबर की पार्टी होने के बावजूद उन्हें मुख्यमंत्री बनने को मजबूर किया, यह हवाला देकर कि आपके ही नेतृत्व में चुनाव लड़ा गया था। बीजेपी ने आपको ही मुख्यमंत्री माना था और कहा था कि जेडीयू को कम सीटें आयीं, तब भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही होंगे। बीजेपी ने अपने वादे तो पूरे किये, पर इसका हिसाब नीतीश से बड़े तरीके से वसूल रही है।

गृह मंत्री अमित शाह व बिहार के सीएम नीतीश कुमार (फाइल फोटो)
गृह मंत्री अमित शाह व बिहार के सीएम नीतीश कुमार (फाइल फोटो)

सबसे पहला झटका नीतीश को तब लगा, जब उनके दायें-बायें दो उपमुख्यमंत्री बीजेपी ने बिठा दिये। स्पीकर भी अपना ही बना लिया। मुख्यमंत्री की कुर्सी मिलने से नैतिकता के आधार पर नीतीश कुमार का मुंह नहीं खुला। नीतीश के जनता दरबार से पहले बीजेपी कोटे के उपमुख्यमंत्री तार किशोर प्रसाद ने दरबार लगाना शुरू कर दिया। इतना ही नहीं, दोनों ने प्रधानमंत्री से जाकर दिल्ली में मुलाकात भी कर ली। बीजेपी कोटे से राज्यसभा के सदस्य चुने गये सुशील कुमार मोदी ने भी दिल्ली जाकर गृहमंत्री अमित शाह से देखादेखी कर ली। नीतीश कुमार इसकी बाट अब भी जोह रहे हैं।

- Advertisement -

नीतीश कुमार से बिहार में गलबहियां डाल कर सरकार चला रही बीजेपी ने उनके ही सात विधायक अरुणाचल प्रदेश में तोड़ लिये। नीतीश कुमार तिलमिला कर रह गये। भीतर ही भीतर नीतीश बीजेपी के रुख को लेकर उबल रहे हैं, पर नैतिकता से बंधे होने के कारण उन्हें मजबूरन बीजेपी नेताओं के सुर में सुर मिलाना पड़ रहा है कि अरुणाचल प्रदेश की घटना का असर बिहार में नहीं पड़ेगा। उनकी सरकार पांच साल का कार्यकाल अवश्य पूरा करेगी।

यह भी पढ़ेंः बिहार NDA में सब कुछ नहीं, BJP भाव नहीं दे रही नीतीश को(Opens in a new browser tab)

नीतीश कुमार इससे पहले कभी इतने मजबूर मुख्यमंत्री नहीं रहे। भले ही पहले भी उन्हें बीजेपी के साथ ही सरकार चलानी पड़ी। उनके दबदबे का आलम यह था कि 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को उन्हें बराबर का हिस्सेदार बनाना पड़ा। 2014 के लोकसभा चुनाव में दो सिमटों पर सिमटे जेडीयू को बीजेपी ने अपने बराबर 17 सीटें दीं। ऐसा करते वक्त बीजेपी को अपनी पांच जीतीं सीटें भी कुर्बान कर देनी पड़ी। इस बार हालात पलट गये हैं। बीजेपी के हर कदम को मजबूरी में नीतीश मानने को मजबूर हैं।

यह भी पढ़ेंः बिहार में नीतीश सरकार गिरी तो उसकी वजह होगी NRC !(Opens in a new browser tab)

मंत्रिमंडल विस्तार की बात को ही लें। सरकार गठन के महीने भर से अधिक हो गये। अभी तक मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हुआ। नीतीश बारा-बार यही कह रहे हैं कि इस बीजेपी की ओर से कोई प्रस्ताव या मंत्रियों की सूची उन्हें अब तक उपलब्ध नहीं करायी गयी है। इस पर विपक्षी आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव अगर यह कह कर मजे लेते हैं कि मंत्रिमंडल किसके अधिकार क्षेत्र की बात है तो कोई आश्चर्य की बात नहीं। खुद नीतीश ने इसके पहले मंत्रिमंडल बनाने में इतना विलंब कभी नहीं किया। बीजेपी के प्रदेश स्तर के किसी नेता में यह कूबत ही नहीं कि इस मसले पर वह नीतीश को सलाह दे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को बिहार की राजनीति में दिलचस्पी जरूर रही है, लेकिन इनमें बंगाल चुनाव को लेकर किसी को फुर्सत ही नहीं। यहां तक कि बीजेपी के बिहार प्रदेश प्रभारी भी चुनाव बाद एक बार नीतीश से मिले हैं, लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार पर बात फाइनल नहीं हो पायी।

यह भी पढ़ेंः बिहार में इस बार बेमन से मुख्यमंत्री बने हैं नीतीश कुमार(Opens in a new browser tab)

- Advertisement -