BJP और JDU के रिश्तों में खटास के बीज पड़ चुके हैं

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अगर काम को आधार बना कर वोट मिलते हैं तो नीतीश बिहार में सर्वाधिक वोट हासिल करने का पूरा बंदोबस्त कर चुके हैं
अगर काम को आधार बना कर वोट मिलते हैं तो नीतीश बिहार में सर्वाधिक वोट हासिल करने का पूरा बंदोबस्त कर चुके हैं

पटना। BJP और JDU के रिश्तों में खटास के बीज पड़ चुके हैं। यह अलग बात है कि रिश्ते टूटने में अभी वक्त लग सकता है। किसी भी वक्त यह संभव है, पर कब, यह कहना मुश्किल है। केंद्र की एनडीए सरकार में नीतीश के जेडीयू की उपेक्षा, बीजेपी के कई कोर मुद्दों पर जेडीयू की असहमति इसके बुनियादी कारण हो सकते हैं। तात्कालिक कारण कुछ भी हो सकता है। तात्कालिक कारण क्या होंगे, यह तो वक्त ही बता पायेगा, लेकिन इतना तो तय है कि अपने कोर इश्यू से न भाजपा समझौता करेगी और जेडीयू अपने रुख से पीछे पलटेगी।

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भाजपा को जनता ने तीन प्रमुख मुद्दों पर अपना वोट दिया है। पहला, पाकिस्तान को उसकी आतंकी गतिविधियों का करारा जवाब देना। दूसरा, कश्मीर से धारा 370 की समाप्ति और तीसरा, अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण। इसके अलावा तीन तलाक कानून, नागरिक संहिता जैसे मुद्दे भी हैं, जिन पर जनता ने भाजपा का समर्थन किया। इन तीनों मुद्दों पर जदयू की भाजपा से भिन्न राय है।

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एक बार नहीं, कई बार जदयू के अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दोहरा चुके हैं कि धारा 370, तीन तलाक, नागरिकता कानून और कोर्ट के फैसले का इंतजार किये बगैर अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण पर उनकी पार्टी भाजपा से इतर राय रखती है। जदयू के नेता तो ऐसे टकराव वाले पर मुद्दे पर एनडीए के कामन मिनिमम प्रोग्राम की बात भी करते हैं। यह आश्चर्य की बात है कि अपने दम पर बहुमत पा लेने वाली भाजपा नीतीश की नाराजगी की परवाह करेगी या अपने एजेंडे को अमल में लाकर जनता के साथ अपना समन्वय बढ़ायेगी।

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भाजपा से जदयू के मनमुटाव की खबरें समय-समय पर आती रही हैं। पहला मनमुटाव का कारण तो जदयू की वह घोषणा है, जिसमें उसने यह साफ कर दिया है बिहार के बाहर भाजपा से उसका कोई संबंध नहीं रहेगा। वह विधानसभाओं के चुनाव अकेले लड़ेगी। बिहार के बाहर बंगाल, झारखंड जैसे कई राज्यों में विधानसभा के चुनाव इस साल या अगले साल होने हैं। दूसरा मनमुटाव जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर को लेकर है, जो फिलहार भाजपा की धुर विरोधी तृममूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी के चुनावी रणनीतिकार बने हुए हैं। ताजा कारण भोजपा कोटे से बिहार में स्वास्थ्यमंत्री मंगल पांडेय बने हैं।

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मंगल पांडेय से इस्तीफा मांगे जाने की खबरें अब भी हवा में तिर रही हैं। मंगल पांडेय से नीतीश की नाराजगी की वजह मुजफ्फरपुर में इंसेफलाइटिस (चमकी बुखार) से तकरीबन 200 बच्चों की मौत है। जब मौत का सिलसिला शुरू हुआ तो मंगल पांडेय विदेश दौरे पर चले गये। लौटे तो मुजफ्फरपुर चले गये। केंद्रीय स्वास्थ्यमंत्री जब मुजफ्फरपुर में प्रेस कांफ्रेंस कर रहे थे तो मंगल पांडेय क्रिकेट का स्कोर किसी से पूछ रहे थे। हालांकि न तो जदयू और न भाजपा ने इस्तीफा मांगे जाने की खबर की पुष्टि की है और न खंडन किया है। इससे लगता है कि तिरती खबरों में कुछ दम है।

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नीतीश को दोनों हाथ में लड्डू दिखाई देते हैं। उन्हें पता है कि भाजपा अपने दम पर बिहार में सरकार बना पाने की स्थिति में नहीं है। उसे किसी का साथ जरूर चाहिए। भाजपा के लिए जदयू से ज्यादा उपयुक्त कोई पार्टी नजर नहीं आ रही। जदयू को साथ आने का न्यौता आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव की पत्नी पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी दे चुकी हैं। तेजस्वी यादव के बंगले पर बिना स्वीकृति   पैसे खर्च करने की शिकायत नीतीश सरकार ने खारिज कर आरजेडी के प्रति अपने रुख में नरमी का संकेत भी दे दिया है।

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