जन्मदिन पर विशेषः शाहरुख खान- हिंदी सिनेमा का बादशाह

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  • नवीन शर्मा

अमिताभ बच्चन के बाद सुपर स्टार की जो जगह खाली हुई थी, उस पर गैर फिल्मी बैकग्राउंड से आए शाहरुख काबिज हुए। इस दौड़ में उसने अपने समकालीन दोनों खान- सलमान और आमीर को तो पीछे छोड़ा ही, साथ ही सीनियर अनिल कपूर को भी पछाड़ दिया है। शाहरुख की ये अनूठी कामयाबी सचमुच काबिले तारीफ है। मोहब्बतें में उनके किरदार को समीक्षकों से बहुत प्रशंसा मिली और इस फ़िल्म के लिए उन्हें दूसरा फ़िल्मफ़ेयर समीक्षक सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार मिला।

फौजी टीवी सीरियल का अभिमन्यु

अस्सी के दशक के अंतिम दौर में दूरदर्शन के टीवी सीरियल फौजी में पहली बार शाहरुख खान को लोगों ने नोटिस किया था। कैप्टन अभिमन्यु का किरदार निभाने वाला यह थोड़ा शर्मिला, थोड़ा शरारती और थोड़ा हकलाने वाला यह नवयुवक हिंदी सिनेमा का सबसे बड़ा स्टार बनेगा इसका अंदाजा शायद ही किसी ने लगाया होगा। इसके बाद 1989 में सर्कस धारावाहिक में भी काम किया। सर्कस में काम करने वाले व्यक्तियों के जीवन का वर्णन किया गया था और जो अज़ीज़ मिर्ज़ा द्वारा निर्देशित था।

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दिवाना से की फिल्मी सफर की शुरुआत

शाहरुख ने 1992  में दीवाना से हिंदी फ़िल्मोँ के  क्षेत्र में कदम रखा। पहली ही फिल्म में उन्होंने अपनी अभिनय क्षमता दिखाई। इस फ़िल्म के लिए उन्हें फ़िल्मफ़ेयर प्रथम अभिनय पुरस्कार प्रदान किया गया। ऋषि कपूर और दिव्या भारती के साथ वाली इस फिल्म के गीत सुपरहिट रहे थे। फ़िल्मफ़ेयर की तरफ़ से सर्वश्रेष्ठ प्रथम अभिनय का अवार्ड मिला। उनकी अगली फ़िल्म थी “दिल आशना है” जो नही चली।

एंटी हीरो के रोल में खूब जमेः आमतौर पर जो हीरो रोमांटिक भूमिका में हिट हो जाते हैं, उनमें एंटी हीरो का किरदार निभाने का माद्दा नहीं होता है। शाहरुख खान से पहले सुनील दत्त, विनोद खन्ना व शत्रुघ्न सिन्हा ने ठीक उल्टा काम किया था वो नकारात्मक भूमिका से हीरो की तरफ आए थे। शाहरुख ने इस घड़ी को उल्टा घुमाने का साहस दिखाया। उन्होंने कई फ़िल्मों में नकारात्मक भूमिकाएं अदा की, जिनमें बाजीगर, डर (1993) और अंजाम (1994) शामिल हैं। इन तीनों ही फिल्मों में वह अपनी एक्टिंग का लोहा मनवाने में कामयाब रहे। नेगेटिव किरदार निभाने के बाद भी वे विलेन नहीं, हीरो बने रहे। खासकर युवा दिलों पर राज करने लगे।

“बाज़ीगर” में एक हत्यारे का किरदार वाले रोल  के लिए उन्हें अपना पहला फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार मिला। खासकर यश चोपड़ा की डर फिल्म में तो उन्होंने यादगार भूमिका की है। किरण बनी जूही चावल से पागलपन की हद तक एकतरफा प्यार करनेवाले प्रेमी की भूमिका में वो कमाल करते हैं। हकला कर किरण से बात करने का अंदाज दर्शकों को पसंद आता है।वैसे फिल्म के हीरो सन्नी देओल थे लेकिन इसकी सफलता का सारा क्रेडिट शाहरुख खान बटोर कर ले जाते हैं। उनके नेगेटिव रोल की परकाष्ठा हम अंजाम में देख सकते हैं। इसमें वे माधुरी दीक्षित से एकतरफा प्यार करनेवाले तथा उसे अपना बनाने के लिए किसी भी हद तक जानेवाले व्यक्ति की भूमिका में उन्होंने जान डाल दी थी। इसमें शाहरुख का किरदार इतना अधिक पागलपन भरा था कि लोग उससे घृणा करने लग जाएं। इस तरह अंजाम फिल्म में शाहरुख ने.अपने एंटी हीरो भूमिका को चरम पर पहुंचा दिया।उन्हें फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ खलनायक का पुरस्कार भी प्राप्त हुआ।

शाहरुख को नंबर वन की कुर्सी दिलाने में उनकी रोमांटिक फिल्मों का सबसे अधिक योगदान है। खासकर दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे में तो काजोल के साथ शाहरुख की केमिस्ट्री गजब ढाती है। आदित्य चोपड़ा की यह पहली फ़िल्म  बॉलीवुड के इतिहास की सबसे सफल और बड़ी फिल्मों में से एक मानी जाती है।  यह  फ़िल्म मुंबई के मराठा मंदिर में लगातार 12 वर्षों तक चली। इसने शोले के अनूठे रिकॉर्ड को तोड़ा था। इसके लिए उन्हें एक बार फिर फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार हासिल हुआ।

दिल तो पागल है, देवदास, ओम शांति ओम, रब ने बना दी जोड़ी और कभी खुशी कभी ग़म, कल हो ना हो, वीर ज़ारा और मुहब्बतें ऐसी सुपरहिट फिल्में थीं, जिनमें रोमांटिक हीरो की भूमिका में शाहरुख ने लोगों के दिलों में अपनी जगह बना ली। खासकर लड़कियां उन पर उसी तरह जान छिड़कने लगीं, जैसा किसी जमाने में देव आनंद और राजेश खन्ना पर छिड़कती थीं।

वर्ष 1998 में करण जोहर की बतौर निर्देशक पहली  इसी साल उन्हें मणि रत्नम की फ़िल्म दिल से में अपने अभिनय के लिए फ़िल्म समीक्षकों से काफ़ी तारीफ़ मिली और यह फ़िल्म भारत के बाहर काफ़ी सफल रही। 2000 में आदित्य चोपड़ा की मोहब्बतें में उनके किरदार को समीक्षकों से बहुत प्रशंसा मिली और इस फ़िल्म के लिए उन्हें अपना दूसरा फ़िल्मफ़ेयर समीक्षक सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार मिला। उसी साल आई फ़िल्म जोश भी हिट हुई।

जीवन का सफरः ख़ान के माता-पिता पठान मूल के थे। उनके पिता ताज मोहम्मद ख़ान एक स्वतंत्रता सेनानी थे और उनकी माँ लतीफ़ा फ़ातिमा मेजर जनरल शाहनवाज़ ख़ान की पुत्री थी। शाहरुख के  पिता हिंदुस्तान के विभाजन से पहले पेशावर के किस्सा कहानी बाज़ार से दिल्ली आए थे। शाहरुख ने  स्कूली पढ़ाई दिल्ली के सेंट कोलम्बा स्कूल से की। इसके बाद हंसराज कॉलेज से अर्थशास्त्र की डिग्री एवं जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय से मास कम्युनिकेशन की मास्टर्स डिग्री हासिल की। अपने माता-पिता के देहांत के बाद वे दिल्ली से मुम्बई आ गए। उनका विवाह गौरी ख़ान के साथ हिंदू रीति-रिवाज़ों से हुआ। उनकी तीन संतान हैं- एक पुत्र आर्यन (जन्म-1997) और एक पुत्री सुहाना (जन्म-2000) व पुत्र अब्राहम।

अपनी फिल्म कंपनी बनाईः वर्ष 2000 में ख़ान ने जूही चावला और अज़ीज़ मिर्ज़ा के साथ मिल कर अपनी ख़ुद की फ़िल्म निर्माण कम्पनी, ‘ड्रीम्ज़ अन्लिमिटिड’, की स्थापना की। इस कम्पनी की पहली फ़िल्म फिर भी दिल है हिन्दुस्तानी, जिसमे ख़ान और चावला दोनों ने अभिनय किया, बॉक्स ऑफिस पर जादू बिखेरने में असमर्थ रही। कमल हसन की विवादग्रस्त फ़िल्म हे राम में भी ख़ान ने एक सहयोगी भूमिका निभाई जिसके लिए उन्हें समीक्षकों ने सराहा हालांकि यह फ़िल्म भी असफल श्रेणी में रही। सन 2001 में ख़ान ने करण जोहर के साथ अपनी दूसरी फ़िल्म कभी खुशी कभी ग़म की, जो एक पारिवारिक कहानी थी और जिसमें अन्य भी कई सितारे थे। यह फ़िल्म उस वर्ष की सबसे बड़ी हिट फिल्मों की सूची में शामिल थी। उन्हें अपनी फ़िल्म अशोका, जो की ऐतिहासिक सम्राट अशोक के जीवन पर आधारित थी, के लिए भी प्रशंसा मिली लेकिन यह फ़िल्म भी नाकामयाब रही।

देवदास का जलवाः सन्  2002 में ख़ान ने संजय लीला भंसाली की दुखांत प्रेम कथा देवदास में मुख्य भूमिका अदा की, जिसके लिए उन्हें एक बार फिर फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार दिया गया। यह शरतचंद्र चट्टोपाध्याय के उपन्यास देवदास पर आधारित तीसरी हिन्दी फ़िल्म थी। अगले साल ख़ान की दो फ़िल्में रिलीज़ हुईं, चलते चलते और कल हो ना हो। चलते चलते एक औसत हिट साबित हुई। लेकिन कल हो ना हो, जो की करण जोहर की तीसरी फ़िल्म थी, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों ही बाज़ारों में काफ़ी कामयाब रही। इस फ़िल्म में ख़ान ने एक दिल के मरीज़ का किरदार निभाया जो मरने से पहले अपने चारों ओर खुशियाँ फैलाना चाहता है और इस अदाकारी के लिये उन्हें सराहा भी गया।

सबसे अमीर अभिनेताः वेल्थ रिसर्च फर्म वैल्थ एक्स के मुताबिक किंग ख़ान पहले सबसे अमीर भारतीय अभिनेता बन गए हैं। फर्म ने अभिनेता की कुल संपत्ति 3660 करोड़ रूपए आंकी थी लेकिन अब 4000 करोड़ बताई जाती है। शाहरुख आईपीएल की टीम कोलकाता नाइट राइडर्स के मालिक भी हैं।

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