राज्यों की रैंकिंग में बिजली के मामले में बिहार छठें स्थान परः सुमो

0
152

पटना। बिहार इलेक्ट्रिक ट्रेडर्स एसोसिएशन की ओर से पटना न्यू क्लब में आयोजित चार दिवसीय ‘इलेक्ट्रिकल ट्रेड शो’ का शुभारंभ करते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि कुछ वर्ष पहले तक बिजली के मामले में सबसे निचले पायदान पर रहने वाला बिहार इस साल नीति आयोग द्वारा राज्यों की रैंकिंग में पूरे देश में छठें स्थान पर है। सभी गांवों व 1.6 लाख टोलों में बिजली पहुंच जाने के बाद 2005 में जहां राज्य के मात्र 24 लाख घरों में बिजली के कनेक्शन थे, वहीं अब वह बढ़ कर 1.39 करोड़ हो गया है। 2005 में राज्य में बिजली की कुल मांग पीक ऑवर में मात्र 700 से 900 मेगावाट थी, जो अब बढ़ कर 5,139 मेगावाट हो गई है। राज्य की बिजली वितरण की क्षमता 10 हजार मेगावाट है। सरकार ने इस साल दिसम्बर तक बिजली के सभी जर्जर तारों को बदलने का निर्णय लिया है।

श्री मोदी ने कहा कि भारत सरकार के 6 हजार करोड़ से दिसम्बर 2019 तक अलग कृषि फीडर स्थापित कर किसानों को खेती के लिए 6 से 8 घंटे बिजली की आपूर्ति की जायेगी। बिजली आधारित सिंचाई से कृषि लागत कम होगी और किसानों की आमदनी दोगुनी करने में मदद मिलेगी।

- Advertisement -

उन्होंने कहा कि प्री पेड बिजली मीटर लगाने का काम पटना में प्रारंभ हो चुका है, अगले दो साल में पूरे प्रदेश में प्री पेड मीटर लगाने का लक्ष्य है। उपभोक्ता मोबाइल एप से रिचार्ज और पेमेंट कर सकेंगे। इससे बिल का झंझट खत्म होगा और इसका सर्वाधिक लाभ गरीबों को मिलेगा।

पिछले 5 वर्षों में बिजली पर 55 हजार करोड़ रुपये खर्च किए गए है। राज्य सरकार बिजली उपभोक्ताओं को 2015-16 में सरकारी खजाने से 5 हजार करोड़ तथा इस साल 4 हजार करोड़ रुपये अनुदान दिए गए हैं। बिजली की चोरी व ट्रांसमीशन लॉस 2016-17 की 42 प्रतिशत से घट कर 2017-18 में 34 प्रतिशत और 2018-19 में 28 प्रतिशत रहने की संभावना है। आने वाले दिनों में इसे और कम करने की कोशिश की जा रही है।

यह भी पढ़ेंः पीएम मोदी 5 को झारखंड आएंगे, मंडल डैम की आधारशिला रखेंगे

जीएसटी लागू होने के बाद बिजली सामानों पर कर की दर 28 से घट कर 18 प्रतिशत रह गयी है। जीएसटी के तहत राज्य के 4,592 डीलर निबंधित है। राज्य के कर संग्रह में बिजली कारोबारी 7वें स्थान पर हैं।

सुशील मोदी के ट्वीट

  • बिहार में लोकसभा की 40 सीटों के लिए राजग के घटक दलों में काफी पहले सम्मानजनक बंटवारा हो गया, लेकिन राजद-कांग्रेस जैसी वंशवादी पार्टि fcयों के वर्चस्व वाले महागठबंधन में आधा दर्जन दलों के बीच सीटों के बंटवारे पर सिर फुटव्वल होने वाली है। राजद में यह पता ही नहीं चल रहा है कि उम्मीदवारों का चयन लालू प्रसाद, तेजस्वी यादव, तेजप्रताप यादव में से कौन करेगा? अक्सर लोकतंत्र बचाने का नाटक करने वाली पार्टी ने अपने संसदीय बोर्ड को रबर स्टाम्प बना दिया।
  • राम मंदिर, धारा-370, समान नागरिक संहिता और तीन तलाक जैसे मुद्दों पर भाजपा के कुछ सहयोगी दलों की राय पहले से भिन्न है, लेकिन विकास के मुद्दे पर राजग में कोई मतभेद नहीं है।   हमने विवादास्पद मसलों को किनारे रख कर 13 साल में बिहार को विकास के नक्शे पर तेजी से उभारने में सफलता पायी।

यह भी पढ़ेंः साथी दलों के सामने नतमस्तक है भाजपा, मंदिर पर अध्यादेश नहीं

- Advertisement -