पर्यटकों को बिहार की ओर आकर्षित कर रहा है ईको टूरिज्म

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  • ईको टूरिज्म के क्षेत्र में प्रगति कर रहा है बिहार
  • पर्यटकों की सुविधाओं का रखा जा रहा है ध्यान
  • देसी के अलावे बड़ी संख्या में विदेशी सैलानी भी आने लगे हैं बिहार
  • पर्यटकों के आने से बिहार में रोजगार और राजस्व की हो रही बढ़ोतरी
  • पर्यटकों के लिए हर तरह की सुविधा करायी जा रही है मुहैया
  • टाइगर रिजर्व में पर्यटकों को ठहरने के लिए समुचित व्यवस्था

पटना।  पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए बिहार सरकार की तरफ से ईको टूरिज्म को विकसित किया जा रहा है। इसके तहत पर्यटकों को कई नई सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए लगातार काम भी किया जा रहा है। इसका उद्देश्य है प्रदेश में आने वाले पर्यटकों को बढ़ावा देना, जिससे बिहार में रोजगार के साथ-साथ राजस्व की भी आमद बढ़ेगी। इस बात का खास ख्याल रखा गया है कि देसी और विदेशी पर्यटकों को, जो बिहार में पर्यटन स्थलों को घूमने के लिए आते है उन्हें किसी भी प्रकार की कोई असुविधा न हो, इसका विशेष ख्याल ध्य़ान रखा जा रहा है।

टाइगर रिजर्व में पर्यटकों को ठहरने के लिए समुचित व्यवस्था की गई है। पर्यटक फॉरेस्ट पर्यटन स्थलों की सैर आसानी से कर सकेंगे। जिन जगहों पर लोगों को घूमने की कोई सुविधा नहीं है, उन जगहों पर वन विभाग की तरफ से केज जिप की सुविधाएं उपलब्ध करायी गई है, जिससे पर्यटकों को सुरक्षा के साथ-साथ कम समय में फॉरेस्ट एरिया का भ्रमण करने में उन्हें मदद मिल रही है।

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अक्सर लोग जानवरों को चिड़ियाघर, फिल्मों या फिर टीवी शो में देख पाते हैं। मगर सभी लोगों की इच्छा होती है कि हम जानवरों को करीब से देख सकें। इसके लिए पर्यटकों के मन में हमेशा ये उत्साह बना रहता है कि हम जंगली जानवरों को करीब से देख सकें। लेकिन ऐसे तो यह संभव ही नहीं है, तो इसके लिए बेतिया टाइगर रिजर्व, भागलपुर डॉल्फिन सेंचुरी एवं अन्य पर्यटन स्थलों पर इको टूरिज्म विकसित किया गया है ताकि पर्यटक आसानी से इन जगहों पर घूम सकें। विक्रमशिला महाविहार को देखने के लिए बड़ी संख्या में विदेशी सैलानी भागलपुर से होते हुए कहलगांव जाते हैं। किंतु भागलपुर में गंगा घाटों पर नौका विहार का साधन नहीं होने से सैलानी जलीय जीवों और उसकी विशेषताओं को ना हीं देख पाते थे और ना ही जान पाते थे। किंतु इको टूरिज्म के शुरू होने से आने वाले देसी व विदेशी पर्यटकों को इसका लाभ मिल रहा है। साथ ही भागलपुर पर्यटन को बड़े पैमाने पर बढ़ावा भी मिलने लगा है।

ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए वन एवं पर्यावरण विभाग सुल्तानगंज से कहलगांव तक गंगा में नौका विहार कराए जाने को लेकर काम कर रही है। कुदरत की गोद में 50 किलोमीटर का यह सफर पर्यटन को बढ़ावा देने में मील का पत्थर साबित हो रहा है। वाल्मीकिनगर (बेतिया) व्याघ्र आश्रयणी, भागलपुरः गांगेय डॉल्फिन अभयारण्य, बटेश्वर स्थान (मुंगेर) भीम बांध स्थित गर्म कुंड, राजगीर,गया, अररिया तथा अन्य स्थलों पर इको टूरिज्म का चल रहा है काम। इतना ही नहीं लोगों को जलीय जीव एवं प्रवासी पक्षियों की जानकारी देने के लिए पर्यावरणविद् को भी पर्यटकों के साथ लगाया जाएगा, जो पूरी तरह से जानकारी भी देते रहेंगे।

नालंदा जिला अंतर्गत राजगीर भी इको टूरिज्म का एक महत्वपूर्ण स्थल बनकर उभर रहा है। हाल ही में राजगीर के घोड़ाकटोरा झील में 70 फीट ऊंची भगवान बुद्ध की प्रतिमा स्थापित हुई है जो देश की दूसरी सबसे ऊंची प्रतिमा है। पंच पहाड़ी के बीच स्थित घोड़ाकटोरा झील खुबसूरत है जो पर्यटकों को काफी आकर्षित करेगा। धर्मचक्र परिवर्तन की मुद्रा में बनी यह मूर्ति पूर्णतः पत्थर निर्मित है। इसको बनाने में 45 हजार घन फूट गुलाबी सैंड स्टोन लगाया गया है। यह मनोरम झील है जिसमें पर्यटक नौका विहार का भी आनंद उठा पाएंगे। यहां एक खुबसूरत पार्क का भी निर्माण किया जा रहा है। इस क्षेत्र में कोई भी डीजल, पेट्रोल वाहन चालित नहीं होंगे बल्कि पर्यटक पैदल, साइकिल, टमटम या बैट्री चालित वाहन का इस्तेमाल करेंगे।

राजगीर आध्यात्मिक, ऐतिहासिक, धार्मिक एवं पर्यावरणीय दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है। यह बुद्ध, महावीर की पवित्र भूमि है। बाबा मखदूम साहेब, गुरुनानक एवं मलमास के मेले की अपनी खासियत है। जरासंध का अखाड़ा, साइक्लोपियन वॉल का तो ऐतिहासिक महत्व है ही साथ ही विश्व शांति स्तूप, गर्म कुंड, झरना दर्शनीय है। नालंदा विश्वविद्यालय का राजगीर के बगल में निर्माण किया जा रहा है। राजगीर में ही जू सफारी, ग्रीन सफारी के निर्माण से इस स्थान का महत्व और बढ़ेगा। यहां का पंचपहाड़ी को आपस में रोप-वे के माध्यम से जोड़ा जाएगा ताकि पर्यटकों को वहां आवागमन में असुविधा न हो।

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बिहार का केंद्र राजधानी पटना है, यहां से सूबे के किसी कोने में पर्यटन स्थलों पर किसी को कठिनाई न हो इसके लिए पर्यटन निगम ने पर्यटकों को बेहतर सुविधा देने में लगी हुई है। दूसरी तरफ वन विभाग भी फॉरेस्ट एरिया में सैर कराने वाले लोगों को बेहतर सुविधा देने में जुटी हुई है। दोनों विभाग मिलकर बेहतर सुविधा प्रदान करने का काम कर रही हैं। बेतिया टाइगर रिजर्व, राजगीर सफारी, भागलपुर डॉल्फिन सेंचुरी, पावापुरी, बोधगया एवं अन्य पर्यटन स्थलों पर आने-जाने के लिए बस सेवा शुरू करने के लिए लगातार काम किए जा रहे हैं इसी कड़ी में गया से वाया पटना होते हुए नेपाल के लिए पर्यटन विभाग द्वारा बस सर्विस की शुरुआत कर दी गई है। इस सर्विस के शुरु होने के बाद पर्यटकों को आने जाने में काफी सहुलियत हो रही है। साथ ही इससे सूबे में आर्थिक स्थिति में सुधार तो होगी ही रोजगार के भी आसार बढ़ते नजर आने लगे हैं।

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