Sarthak Samay
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पटना। नीतीश कुमार ने भी माना है कि बिहार असेंबली की कल हुई घटना शर्मनाक है। इसके लिए विपक्ष को कोसा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पत्रकारों से बात कर रहे थे। नीतीश कुमार ने बिहार विधानमंडल परिसर में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक-2021 समेत कई अन्य विधेयक विधानसभा और विधान परिषद से पारित हो...
रांची। बेसहारा बच्चों की आखों में हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार सतरंगी सपने संजो रही है। झारखंड के बेसहारा बच्चे अब इंद्रधनुषी सपने संजो रहे हैं। प्रकाश और लालमणि (बदला हुआ नाम) बेसहारा बच्चे हैं। इनकी आखों में अब इन्द्रधनुषी सपने सज रहे हैं। प्रकाश पढ़ाई के साथ-साथ अच्छा डांस भी करता है। लालमणि पढ़ाई कर अधिकारी बनना...
प्रो. संजय द्विवेदी
आरएसएस के नए सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले हैं तो बड़े दिल वाले, लेकिन संघ के सरकार्यवाह के रूप में उनके सामने हैं चुनौतियां भी हैं। संघ के सरकार्यवाह के रूप में 12 साल का कार्यकाल पूरा कर जब भैयाजी जोशी विदा हो रहे हैं, तब उनके पास एक सुनहरा अतीत है, सुंदर यादें हैं और असंभव को...
डी. कृष्ण राव
कोलकाता। बंगाल चुनाव पहले चरण का चुनाव लड़ रहे 96 ऐसे उम्मीदवार हैं, जिनकी शिक्षा पांचवीम से लेकर 12वीं तक है। यानी आधे उम्मीदवार इंटर पास हैं। कुल 191 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। 48% उम्मीदवार यानी 92 उम्मीदवार स्नातक पास हैं। तीन डिप्लोमाधारी उम्मीदवार भी मैदान में हैं।
25 से 40 साल के उम्मीदवारों की संख्या...
डी. कृष्ण राव
झाड़ग्राम (बंगाल)। झाड़ग्राम समेत जंगलमहल में अपनी अपनी जीत के दावे तर्कों के साथ सभी कर रहे हैं, पर वोटर मुंह नहीं खोल रहे। माओवादी नेता अब तृणमूल के साथ हैं। एक दशक पहले भी माओवादियों का एपिक सेंटर था। किशनजी इलाके के बेताज बादशाह थे। उनके शिष्य आज भी झाड़ग्राम के आसपास के इलाके लालगढ़,...
डा. राममनोहर लोहिया ने देश और समाज के लिए जो सपने देखे थे, आज उसकी हकीकत देख लीजिए। राजनीति में जातिवाद का जहर और परिवारवाद का असर सामने है। डा. राममनोहर लोहिया की जयंती पर उनके सपने और हकीकत के बारे में बता रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र किशोर
स्वतंत्रता सेनानी और समाजवादी चिंतक डा. राममनोहर लोहिया की कल्पना में...
कृपाशंकर चौबे
राम मनोहर लोहिया ऐसे राजनेता थे, जिन्होंने समाजवाद की स्थापना के अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए पत्रकारिता को भी उपकरण बनाया था। लोहिया ने अंग्रेजी में मासिक ‘मैनकाइंड’ और हिंदी में मासिक ‘जन’ निकाला था। लोहियाजी ऐसे संपादक थे, जिनकी विश्व पत्रकारिता पर सजग दृष्टि रहती थी।
राम मनोहर लोहिया की किस तरह की सजग दृष्टि...
ध्रुव गुप्त
संगीत शैलियों के विकास में तवायफों के कोठों का सबसे बड़ा योगदान था। तब कोठे देह व्यापार के नहीं, संगीत और तहजीब के बड़े व मशहूर केंद्र होते थे। उन्नीसवीं सदी के आखिरी सालों और बीसवीं सदी के पूर्वार्द्ध ने भारतीय अर्द्धशास्त्रीय और सुगम संगीत का स्वर्णकाल देखा था। वह दौर ठुमरी, दादरा और तराना के अलावा...
निराला
गांधीजी ने बकरे की बलि रोकने पर लोगों को विवश कर धर्म की शिक्षा दी थी। चंपारण सत्याग्रह के दिनों की बात है। गांधीजी वहीं एक गांव में रुके हुए थे। सुबह-सुबह एक भारी भीड़ के साथ एक जुलूस निकल रहा था। गांधीजी ने अपने एक सहयोगी से पूछा कि यह विशाल जुलूस किसलिए है और लोग इतना...
अनिल भास्कर
बेरोजगारी पर बहस नयी नहीं, लेकिन सेन्टर फ़ॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (सीएमआईई) की ताजा रिपोर्ट ने बहस को नया जीवन दे दिया है। हर कोई इसके डेटा का अपने-अपने नज़रिए से विश्लेषण कर रहा है जो स्वाभाविक भी है। मगर एक धड़ा जिस तरह इसमें सिर्फ केंद्र सरकार की विफलता की तस्वीर देख रहा है या दिखाने...