अरविंद केजरीवाल घर-घर राशन योजना पर अधूरा सच बोल रहे हैं    

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अरविंद केजरीवाल और केंद्र सरकार के बीच विवाद, लगता है, कभी खत्‍म नहीं हो सकते। ताजा विवाद दिल्‍ली में घर-घर राशन वितरण योजना को लेकर शुरू हुआ है।
अरविंद केजरीवाल और केंद्र सरकार के बीच विवाद, लगता है, कभी खत्‍म नहीं हो सकते। ताजा विवाद दिल्‍ली में घर-घर राशन वितरण योजना को लेकर शुरू हुआ है।

राजीव हर्ष

राजीव हर्ष, वरिष्ठ पत्रकार
राजीव हर्ष, वरिष्ठ पत्रकार

अरविंद केजरीवाल और केंद्र सरकार के बीच विवाद, लगता है, कभी खत्‍म नहीं हो सकते। ताजा विवाद दिल्‍ली में घर-घर राशन वितरण योजना को लेकर शुरू हुआ है। केजरीवाल कहते हैं कि वे अगले सप्‍ताह से गरीबों के घरों पर राशन पहुंचाने वाले थे, लेकिन केंद्र सरकार ने उनकी योजना पर रोक लगा दी है।

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दरअसल केजरीवाल जनता के सामने अधूरा सत्‍य पेश कर रहे हैं। वे केंद्र की ओर से विभिन्‍न योजनाओं के तहत मिले राशन को अपनी इस योजना के तहत बांटना चाहते हैं। यह केंद्र को मंजूर नहीं है। केंद्र का कहना है कि दिल्‍ली सरकार घर-घर राशन योजना को चला सकती है, लेकिन इसके लिए वह अन्‍य योजनाओं के तहत मिले राशन का उपयोग नहीं कर सकती। क्‍योंकि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून में बदलाव संभव नहीं है। संसद से पारित कानून हर राज्य के लिए एक समान है। उसमें निगरानी और पारदर्शिता का तंत्र जरूरी है। दिल्‍ली सरकार को अपनी इस योजना के लिए केंद्र से अधिसूचित दरों पर राशन की खरीद करनी होगी।

सतही तौर पर देखने से लगता है कि अरविंद केजरीवाल ने गरीबों के लिए निहायत ही शानदार योजना बनाई है। इससे गरीबों को राहत मिलेगी, उन्‍हें राशन की दुकान पर लाइन में लगना नहीं पड़ेगा। राशन की दुकानों पर भीड़ नहीं लगेगी और राशन वितरण से कोरोना का प्रसार होने की आशंका खत्‍म हो जाएगी। जिस तरह लोगों को घर बैठे पिज्जा और बर्गर मिल जाते हैं, उसी तरह गरीबों को राशन भी घर बैठे मिल जाएगा। मगर वे यह नहीं बता रहे हैं कि वे केंद्र सरकार से राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत मिले राशन को ही घरों तक पहुंचाने की योजना बना रहे हैं। असल में वे केंद्र से मिले राशन को अपनी योजना बता कर घर-घर पहुंचाना चाहते हैं।

इस संबंध में भारतीय जनता पार्टी का कहना है कि केंद्र राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत मई और जून में 72 लाख कार्ड धारकों के अलावा 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन दे रहा है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत मई और 5 जून तक दिल्ली को तय कोटे से अधिक 72,782 टन अनाज भेजा गया है। दिल्ली सरकार अभी तक करीब 53,000 टन अनाज ही उठा पाई है और इसका मात्र 68 प्रतिशत ही वह जनता को बांट पाई है।

भाजपा का कहना है कि नेशनल फ़ूड सिक्योरिटी एक्ट के अंतर्गत गेहूं पर केंद्र सरकार 23.7 रुपये प्रति किलो और दिल्‍ली सरकार मात्र 2 रुपये प्रति किलो देती है। चावल पर केंद्र सरकार 33.79 रुपये प्रति किलो और दिल्‍ली सरकार मात्र 3 रुपये प्रति किलो देती है। अगर केजरीवाल इसके अलावा राशन बांटना चाहते हैं तो वे अधिसूचित दर पर खरीद कर बांट सकते हैं। इस पर न तो केंद्र और न किसी और को ही कोई  आपत्ति होगी।

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अरविंद केजरीवाल को इस योजना का पूरा सच जनता के सामने रखना चाहिए था। वे अगर राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम अथवा प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत मिले राशन को ही गरीबों के घरां तक पहुंचाना चाहते थे तो योजना का नाम क्‍यों बदला। अगर वे इन्‍हीं याजनाओं के नाम से घर-घर राशन पहुंचाने का काम करते, तब भी जनता उन्‍हें सर आंखों पर बिठाती, लेकिन उन्‍होंने पूरा श्रेय खुद लेने के चक्‍कर में अधूरा सत्‍य जनता के सामने रखा और अपनी महत्‍वाकांक्षी योजना को विवाद का कारण बना दिया।

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