अधिकारी परिवार बीजेपी के साथ, क्या होगा टीएमसी पर असर

0
363
अधिकारी घराने के बीजेपी के साथ जाने का टीएमसी पर क्या असर होगा, अब यह जानना ज्यादा जरूरी हो गया है। एक घर के 3 लोग अब बीजेपी में हैं।
अधिकारी घराने के बीजेपी के साथ जाने का टीएमसी पर क्या असर होगा, अब यह जानना ज्यादा जरूरी हो गया है। एक घर के 3 लोग अब बीजेपी में हैं।

डी. कृष्ण राव

कोलकाता। अधिकारी घराना के बीजेपी के साथ जाने का टीएमसी पर क्या असर होगा, अब यह जानना ज्यादा जरूरी हो गया है। एक परिवाार के 3 लोग बीजेपी में हैं। शिशिर अधिकारी, दिव्येंदु अधिकारी और शुभेंदु अधिकारी अब बीजेपी के साथ हैं। पहले चरण में 27 मार्च को जिन 30 सीटों पर वोट डाले जाएगें, उनमें कांथी लोकसभा क्षेत्र की 7 सीटें भी हैं। इन सीटों पर अधिकारी घराने की मजबूत पकड़ रही है। ममता बनर्जी के मंत्रिमंडल में शुभेंदु अधिकारी कद्दावर मंत्री रहे हैं तो उनके पिता शिशिर अधिकारी और भाई दिव्येंदु अधिकारी टीएमसी के संसद रहे हैं। शिशिर अधिकारी और दिव्येंदु अधिकारी के बीजेपी ज्वाइन करने से शुभेंदु अधिकारी जहां मजबूत हुए हैं, वहीं इनके प्रभाव क्षेत्र वाली 7 सीटों के नतीजे भी चौंकाने वाले हो सकते हैं।

- Advertisement -

कांथी विधानसभा क्षेत्र के तहत ही आता है रामनगर विधानसभा क्षेत्र। रामनगर से 5 बार विधायक रहे अखिल गिरि को तृणमूल कांग्रेस ने इस बार भी अपना उम्मीदवार बनाया है। उन पर न सिर्फ अपनी सीट बचाने का दायित्व है, बल्कि कांथी लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाली सभी 7 विधानसभा सीटों पर कामयाबी की जिम्मेवारी है।

उड़ीसा के बॉर्डर से सटे बंगाल के  अंतिम विधानसभा क्षेत्र रामनगर के लोगों का आर्थिक और सामाजिक  रिश्ता उड़ीसा से जुड़ा हुआ है। उड़ीसा की धार्मिक चेतना  यहां के लोगों  को काफी प्रभावित करती है। रामनगर क्षेत्र में  दीघा एकमात्र पर्यटन स्थल है। कई लाख लोगों के रोजगार का  एकमात्र जरिया दीघा का पर्यटन स्थल और समुंदर से  जुड़े मछली और अन्य व्यापार हैं। यहां से 5 बार तृणमूल से विधायक रहे अखिल गिरि का तो अधिकारी परिवार में  मौसा का रिश्ता है, लेकिन दोनों परिवार एक दूसरे की छाया तक स्पर्श करने से परहेज करते हैं।

अधिकारी घराने के लोगों के तृणमूल छोड़ भाजपा में ज्वाइन करने के बाद ही ममता बनर्जी ने पूरी कमान  अखिल गिरि को सौंप दी है। अखिल गिरि पर केवल अपनी सीट बचाने की  चुनौती ही नहीं, बल्कि कांथी लोकसभा की सातों सीट  की जिम्मेवारी है। यह अलग बात है कि  दीघा जैसे पर्यटन स्थल पर रंगदारी वसूलने का  एक बड़ा आरोप उन पर है। उसके खिलाफ  एंटी इनकंबेंसी भी कम नहीं है। अखिल गिरि का कहना है  कि गद्दार शुभेंदु अधिकारी को हराने के लिए इस बार लोग जरूर तृणमूल को वोट देंगे।

दूसरी ओर भाजपा के उम्मीदवार स्वदेश रंजन  नायक  कहने को तो यहां के भूमि पुत्र हैं, लेकिन उनका तार उड़ीसा से जुड़ा हुआ है। इस बार वह लिफ्ट छोड़कर  भाजपा से जुड़े और उनको यहां का टिकट मिल गया। भाजपा के पुराने कार्यकर्ता  उनसे नाराज हैं, लेकिन  जय श्रीराम की  ध्वनि  और  शिक्षित बेरोजगारों के  मत इस बार  उनकी किस्मत का ताला खोल सकते हैं। नायक का कहना है कि  दीदी तो नौकरी के नाम पर  भीख दे रही हैं, ऊपर से स्वास्थ्य साथी  जैसा महा झूठ  अखिल गिरि को हराने के लिए काफी है।

उत्तरकाथी विधानसभा क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार  सुमिता सिंह हैं। सुमिता सिंह भी तृणमूल कांग्रेस को छोड़ कर भाजपा में आई हैं। उन सिर पर अधिकारी परिवार का हाथ है। उनकी सभाओं में  युवक और युवतियों की काफी भीड़ जमा हो रही है। पहले चरण में यहां भी चुनाव होना है। सुमिता के चुनाव एजेंट का दावा है कि  दीदी इस बार ज्यादा मतों से हारेंगी। लेकिन तृणमूल उम्मीदवार  तरुण कुमार जाना का कहना है कि भाजपा को जितनी आसान लड़ाई लग रही है, उतनी आसान लड़ाई नहीं है। महिलाओं का वोट तृणमूल के लिए आशीर्वाद बनेगा।

भगवानपुर  विधानसभा के तृणमूल  उम्मीदवार अरविंद माइती पार्टी के काफी पुराने सैनिक हैं, लेकिन इनदिनों अपने आप को घर में बंद कर रखा है। पूछे जाने पर बताते हैं कि सब कुछ ठीक है, इसलिए मैदान में जाने की बहुत जरूरत नहीं। दूसरी तरफ यहां के भाजपा उम्मीदवार रविंद्रनाथ माइती ने पूरे भगवानपुर को  मुट्ठी में लाने के लिए  एक हिस्से से दूसरे हिस्से तक  दौड़ लगानी शुरू कर दी है। ऐसे में यहां तृणमूल की स्थिति का सहज अनुमान लगाया जा सकता है।

खेजड़ी के तृणमूल उम्मीदवार  डॉ पार्थ प्रतिम दास शुभेंदु के खास दोस्तों में एक हैं और यहां के पूर्व तृणमूल विधायक रंजीत मंडल भी  शुभेंदु के करीबी हैं। असल में इस सीट पर सबसे बड़ा फैक्टर बन कर उभरे हैं सीपीएम के हिमांशु दास। हिमांशु किसका वोट काटते हैं, जीत-हार उसी से तय होगी। इसी तरह दक्षिण कांथी में  तृणमूल उम्मीदवार  ज्योतिर्मयी कौर का  भाग्य  वहां के माकपा उम्मीदवार पर निर्भर कर रहा है।

कांथी लोकसभा क्षेत्र में आने वाली विधानसभा की इन 7 सीटों में ममता बनर्जी के उम्मीदवारों को  भाजपा के उम्मीदवारों के  अलावा अधिकारी परिवार के साये से भी संघर्ष करना पड़ेगा। ज्योतिर्मयी कौर जैसे तृणमूल के पुराने कार्यकर्ताओं का भी कहना है कि  इन दिनों शिशिर अधिकारी खुद मैदान में उतर चुके हैं। पंचायत और जिला परिषद स्तर के विभिन्न नेताओं के साथ बातचीत जारी रखे हुए हैं। इनमें से कई नेता, जो दिख तो रहे तृणमूल के साथ, लेकिन असल में काम कर रहे हैं भाजपा के लिए। उनका यह भी मानना है कि  हाल ही में पूर्व मेदिनीपुर जिला के तृणमूल अध्यक्ष मंत्री सुमन महापात्र ने  डेढ़ सौ से ज्यादा कार्यकर्ताओं को पार्टी से सस्पेंड कर दिया। क्योंकि उनके नाम तो  टीएमसी में हैं, लेकिन वे भाजपा के एजेंट की तरह काम कर रहे हैं। तृणमूल के कार्यकर्ताओं का कहना है कि अगर तृणमूल के टिकट से कोई चुनाव जीत भी जाता है तो पलट कर उसके भाजपा में जाने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। खुद  अखिल गिरि का कहना है कि अधिकारी परिवार के पास इतना पैसा है कि वहां के हर क्लब, संगठन को खरीद लेंगे। चुनाव में रुपये की होली खेलेंगे। इधर इस खेल के केंद्रीय  कैरेक्टर शुभेंदु अधिकारी का दावा है कि| वे कांथी लोकसभा क्षेत्र की 7 में से 7 सीटों पर जीत दर्ज करेंगे।

आपके लिए यह भी जानना जरूरी है

कांती लोकसभा सीट के तहत 7 विधानसभा सीटें हैं। एमपी शिशिर अधिकारी हैं। यहां मतदान 27 मार्च को होगा। कुल 1490409 वोटर अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। 2016 में सभी 7 सीटों पर टीएमसी की जीत हुई थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में 6 विधानसभा क्षेतों में टीएमसी को बढ़त थी। सिर्फ एक क्षेत्र में भाजपा आगे रही।

- Advertisement -