बिहार में बीते वर्ष हर दिन 3 महिलाएं हुईं दुष्कर्म की शिकार

0
153
इस्लामी पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में सोमवार (20 जून 2022) से आपातकाल का ऐलान हो गया है।

पटना। आम आदमी की तबाही में आज सबसे बड़ी और लंबी कड़ी के रूप में जुड़ गयी है घर की महिलाओं की अस्मत-आबरू की सुरक्षा। बिहार में के गया में बाप के सामने बीवी और बेटी से सामूहिक दुराचार जिस बाप या पति ने देखा होगा या बेटी या बीवी ने झेला होगा, वही बता सकता है कि बिहार में सुशासन है या दुःशासन। आंकड़े और हालात बिहार की भयावह तसवीर पेश करते हैं।

बिहार में महिलाओं के साथ बलात्कार, छेड़छाड़, अपहरण, दहेज के लिए हत्या एवं प्रताड़ना के मामलों में लगातार और निरंकुश वृद्धि देखी जा रही है। आंकड़ों में देखें तो पिछले साल हर दिन जहां बलात्कार की तीन से ज्यादा घटनाएं हुईं, वहीं अपहरण के 18 से ज्यादा मामले रोजाना दर्ज किये गये गए। इस साल के अर्द्धवार्षिक आंकड़े भी यही बयान करते हैं।

- Advertisement -

राज्य के पुलिस मुख्यालय से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2017 में प्रदेश में महिला अपराध से जुडे़ कुल 15,784 मामले दर्ज किये गये। इनमें बलात्कार के 1199, अपहरण के 6817, दहेज हत्या के 1081, दहेज प्रताड़ना के 4873 और छेड़खानी के 1814 मामले शामिल हैं। वर्ष 2018 के जून तक बिहार में महिला अपराध के कुल 7683 मामले रिकार्ड किये गये। इनमें बलात्कार के 682, अपहरण के 2390, दहेज हत्या के 575, दहेज प्रताड़ना के 1535, छेड़खानी के 890 और महिला प्रताड़ना के 1611 मामले शामिल हैं। मुजफ्फरपुर के बालिका गृह की 34 महिलाओं से बलात्कार के मामले तो रोंगटे खड़े करने वाले हैं। इस मामले की जांच हाईकोर्ट की देखरेख में सीबीआई कर रही है।

मुंबई के टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेस ने 27 अप्रैल 2018 को अपनी सोशल ऑडिट रिपोर्ट सौंपी थी। रिपोर्ट के मुताबिक मुजफ्फरपुर के एक बालिका गृह में 34 लड़कियों के के साथ यौन उत्पीड़न की बात कही गयी थी। पीड़ित लड़कियों में से कुछ के गर्भवती होने की भी खबरें सामने आई थीं।

इस मामले में बालिका गृह के संचालक ब्रजेश ठाकुर सहित 10 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है और मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गयी है। सीबीआई ने मामले की जांच शुरू कर दी है और नये सिरे केस दर्ज किया है। एक अन्य फरार दिलीप कुमार वर्मा की गिरफ्तारी के लिए इश्तेहार दिये गये हैं और कुर्की की कार्रवाई की जा रही है। इसी मामले में समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा को इस्तीफा देना पड़ा। उनके पति के संबंध ब्रजेश ठाकुर से बताये गये। पुलिस छापेमारी में उनके घर से अवैध कारतूस मिले, जिसकी वजह से वह अलग एक मामला झेल रही हैं।

जब ऐसे अल्पावास गृहों की पड़ताल हुई तो महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न की परतें खुलने लगीं। वैशाली जिले के एक अल्पावास गृह में महिलाओं के यौन उत्पीड़न का मामला भी सामने आया। इसके बाद सरकार ने खुद से अल्पावास गृह चलाने का फैसला किया।

20 अगस्त को भोजपुर जिले के बिहिया थाना क्षेत्र में एक युवक की हत्या के संदेह में भीड़ ने एक महिला को कथित तौर पर कपड़े उतरवा कर घुमाया। भीड़ ने महिला के कपड़े फाड़ दिए और उसके बाद उसे बिना कपड़ों के चारों तरफ घुमाया। इस मामले में 16 लोगों को गिरफ्तार किया गया था।

इस बीच बिहार के कैमूर, जहानाबाद, नालंदा, सहरसा, दरभंगा आदि जिलों में लड़कियों के साथ छेड़खानी के वीडियो वायरल होने, अश्लील फोटो एवं वीडियो अपलोड करने के मामले भी सामने आते रहे। राज्य सरकार ने प्रदेश में महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए उन्हें पंचायती राज संस्थानों और स्थानीय निकाय चुनाव में 50 फीसदी आरक्षण, शिक्षकों की नियुक्ति में आधी सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित करने, पुलिस सहित अन्य नौकरियों में 35 प्रतिशत का आरक्षण, बाल विवाह और दहेज प्रथा के खिलाफ अभियान छेड़ने के सहित कई कदम उठाए हैं। लेकिन सीधे शब्दों में कहें तो नतीजा ढाक के तीन पात ही निकला है।

यह भी पढ़ेंः रोहतासः नीयत खोट थी, इसलिए पीट-पीट कर लोगों ने मार डाला

- Advertisement -