स्वामी सहजानंद के सपनों को साकार कर रही है नरेंद्र मोदी सरकार

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स्वामी सहजानंद के सपनों को साकार कर रही है केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार। यह दावा किया है राज्यसभा के सदस्य सुशील कुमार मोदी ने।
स्वामी सहजानंद के सपनों को साकार कर रही है केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार। यह दावा किया है राज्यसभा के सदस्य सुशील कुमार मोदी ने।
  • सुशील मोदी ने कहा- स्वामी जी के प्रयास का ही प्रतिफल था कि आजादी के बाद बिहार में जमींदारी उन्मूलन का कानून बना
  • किसानों की जमीन पर झंडा गाड़ने और हिंसा करने वाले भी अब धूमधाम से मना रहे हैं स्वामी सहजानंद की जयंती

पटना। स्वामी सहजानंद के सपनों को साकार कर रही है केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार। यह दावा किया है राज्यसभा के सदस्य सुशील कुमार मोदी ने। सुशील कुमार मोदी ने स्वामी सहजानंद सरस्वती की 132 वीं जयंती पर बिहार इंडस्ट्री एसोसिएशन के सभागार में आयोजित व्याख्यानमाला को सम्बोधित करते हुए कहा कि स्वामी जी आजीवन किसानों के शोषण को लेकर जमींदारों के खिलाफ संधर्ष करते रहे। उनके ही प्रयास का प्रतिफल था कि आजादी के बाद गठित पहली सरकार को संविधान में पहला संशोधन कर जमींदारी उन्मूलन का कानून बनाना पड़ा। पिछले 100 सालों में समय काफी बदल चुका है। आज केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार किसानों की आय दोगुनी करने का प्रयास कर स्वामी जी के सपनों को ही साकार कर रही है।

मोदी ने कहा है कि जिन 3 राज्यों पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ किसान कृषि सुधार बिल के विरोध में आंदोलन कर रहे हैं। उन्होंने ही 2020-21 में एमएसपी पर अब तक खरीदे गए कुल धान का आधा बेचा है। पिछले साल की तुलना में इस साल अभी तक एमएसपी पर करीब 17 प्रतिशत अधिक धान की खरीद हुई है।

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बिहार के भी करीब 5 लाख किसानों ने 6,737.61 करोड़ का 35.67 लाख मे.टन धान एमएसपी पर बेचा है। एक ओर तो किसान एमएसपी पर धान बेच रहे हैं, दूसरी ओर कुछ लोग एमएसपी खत्म होने का दुष्प्रचार कर धरना दे रहे हैं। अगर नया कृषि कानून किसानों के खिलाफ है तो इन तीन राज्यों के कुछ जिलों को छोड़कर देश के बाकी किसान आंदोलन क्यों नहीं कर रहे हैं?

पीएम किसान निधि के तहत बिहार के 80.90 लाख किसानों को केन्द्र सरकार की ओर से 7,503 करोड़ भेजा गया है। एक ओर जहां किसानों को सशक्त बनाने के लिए केन्द्र और राज्य की सरकारें तत्पर है, वहीं किसानों की जमीन पर जबरन झंडा गाड़ कर कब्जा करने,हिंसा में विश्वास करने करने वाले कुछ लोग भी आज किसान आंदोलन के प्रणेता स्वामी जी का जयंती समारोह आयोजित कर रहे हैं, जो दुर्भाग्यपूर्ण है।

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