सुषमा जी, आप बहुत याद आएंगी, याद आती रहेंगी सहिष्णु नेता बतौर

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पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को श्रद्धांजलि
पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को श्रद्धांजलि
  • जयशंकर गुप्त

सुषमा जी, आप बहुत या आएंगी। याद आती रहेंगी, अपनी सहृदयता, असहमति को सम्मान देनेवाले सहिष्णु नेता के तौर पर भी। ओह, अत्यंत दुखद। पूर्व केंद्रीय मंत्री, दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री, हरियाणा की पूर्व मंत्री भाजपा की हाजिर जवाब नेता, प्रखर वक्ता सुषमा स्वराज नहीं रहीं। बेहद नाजुक हालत में कल, मंगलवार की शाम को उन्हें इलाज के लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में लाया गया था। जी तोड़ कोशिशों के बावजूद डाक्टर, दवा और दुआएं उन्हें बचा नहीं सकीं।

सुषमा जी भाजपा के उन नेताओं में से थीं जिन्हें हम तमाम वैचारिक असहमतियों के बावजूद बहुत पसंद करते थे। हमारी उनसे पहली मुलाकात आपातकाल में हुई थी, जब वह अपने समाजवादी पति स्वराज कौशल के साथ मिल कर उस समय के हमारे नेता-हीरो जार्ज फर्नांडिस का ‘बड़ौदा डायनामाइट कांड’ का मुकदमा लड़ रही थीं। उस समय हम जेल से निकलकर भूमिगत थे और दिल्ली आए थे। स्वराज दंपति के सहयोग-सौजन्य से ही हम तीस हजारी अदालत में जार्ज साहेब से मिल सके थे। जार्ज साहेब के जेल में रहते, 1977 में मुजफ्फरपुर में उनके संसदीय चुनाव अभियान की कमान सुषमा जी के हाथों में ही थी।

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सुषमा जी के साथ एक पत्रकार के रूप में भी हमारा बहुत निकट का संबंध रहा है। उन्होंने मुझे हिन्दुस्तान अखबार के लिए लंबा साक्षात्कार भी दिया था। एक बार आडवाणी जी की यात्रा को कवर करते हुए हम जयपुर पहुंचे थे। सुषमा जी भी थीं। सुबह नाश्ते पर मिल गईं, कुछ देर बातचीत के बाद उन्होंने पूछा वापसी? हमने बताया कि दिन में इंडियन एयर लाइंस की उड़ान से दिल्ली लौटना है। उन्होंने कहा कि वह थोड़ी देर बाद ही अपने चार्टर्ड विमान से दिल्ली के लिए रवाना होंगी। उन्होंने मुझसे भी साथ चलने को कहा।

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हम लोग विमान में बैठ चुके थे, तभी कुछ लोग जिंदाबाद करते हुए उनकी तरफ बढ़ रहे थे। हमने कहा, प्रशंसक हैं। मिल लेना चाहिए। वह विमान से उतरकर नीचे भीड़ के पास गईं। लोगों से मिलीं। लौटते समय उनके हाथ में एक साड़ी थी। उन्होंने दिखाया तो मेरे मुंह से निकल पड़ा बहुत सुंदर है। उन्होंने पूछा, वाकई! साड़ी की पहिचान है, आपको! मेरे हां कहने पर उन्होंने वह साड़ी मुझे थमाते हुए कहा, इसे अपनी पत्नी को दे देना। हमने मना करते हुए कहा कि यह आपके लिए है। आपके प्रशंसकों ने बड़े प्यार से आपको भेंट किया है। वह नहीं मानी। उन्होंने एक सीख भी दी कि बाहर से लौटते समय पत्नी को साड़ी भेंट करने पर उसे मिलनेवाली खुशी अवर्णनीय होती है। उनके आत्मीय दबाव को हम टाल नहीं सके। बहुत सारे संस्मरण हैं। अभी तो बस सादर नमन और अश्रुपूरित श्रद्धांजलि।

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