वरदान बना बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम

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बिहार के लोग, जो बाहर फंसे हुए हैं, उनसे फीडबैक लेकर उनकी परेशानियों दूर करें। जो घर आ गये हैं, उनकी पहचान कर टेस्ट करायें और जरूरी मदद करें। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कोरोना वायरस से उत्पन्न स्थितियों की समीक्षा के दौरान ये निर्देश दिये।
नीतीश कुमार

पटना। बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम-2015, आम जनता के समस्याओं/शिकायतों का पारदर्शितापूर्वक और समयबद्ध तरीके से निवारण करने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो रहा है| वर्षों से अलग-अलग तरह की समस्याओं से जूझ रहे लोगों को निर्धारित समय सीमा के अंदर यह अधिनियम राहत दिलाने में कारगर हथियार साबित हुआ है| 5 जून 2016 को बिहार में लागू हुए इस अधिनियम के प्रति लोगों का भरोसा काफी बढ़ा है जिसका नतीजा है कि इसके तहत मिलनेवाली सुविधाओं और सेवाओं में निरंतर विस्तार हो रहा है| वर्तमान में बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम के अंतर्गत 44 विभाग की 438 प्रकार की सेवाएं अधिसूचित हैं|

बिहार लोक शिकायत निवारण अधिनियम ने करीब दो वर्षों के अल्प काल में ही कई नजीर हमारे सामने पेश किया है, जिससे लोगों के चेहरे पर खुशहाली लौटी है| द्वितीय अपीलीय प्राधिकार-सह-जिला पदाधिकारी, पश्चिम चंपारण, बेतिया के स्तर पर निस्तारित परिवादों की कई सफल कहानियाँ आज हमारे सामने है| अनन्य संख्या- 501110127091600461/2A, परिवादी सनकेशा देवी, पति – जगदीश राम, साकिन – कोहरगद्दी, पोस्ट – भितिहरवा, थाना – गौनाहा को वर्ष 2010-11 में आवंटित हुई इंदिरा आवास की राशि (30,000 रुपया) इस अधिनियम के माध्यम से 20.05.2017 को परिवादी के खाते में अंतरित हो सकी| परिवादी की माने तो इंदिरा आवास कागज में तो मिल गया था लेकिन उसे बनाने के लिए कई वर्षों तक प्रखंड कार्यालय से बैंक और बैंक से प्रखंड कार्यालय का चक्कर लगाने के बावजूद भी पैसा नहीं मिला|

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इस अधिनियम के द्वारा अनन्य संख्या – 501210114021700701/2A, परिवादी  इंद्रा देवी थापा, पति – स्वर्गीय गंगा सागर थापा, साकिन टंकी बाजार, थाना- वाल्मीकिनगर को करीब 60 वर्षों से दखल-कब्जे वाली भूमि की बंदोबस्ती आवेदिका के नाम से अंचल कार्यालय के द्वारा करते हुए लगान रसीद निर्गत किया गया|  परिवादी इस अधिनियम के तहत संधारित प्रक्रिया से पूरी तरह संतुष्ट रही| परिवादी की माने तो लगान रसीद के लिए कई वर्षों से अंचल कार्यालय से लेकर भूमि सुधार कार्यालय का चक्कर काटने के बाद भी कोई सार्थक पहल नहीं दिखा तो अंततः थक-हारकर बैठ गयी| परन्तु जब गाँव के लोगों से बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम के तहत मामलों का त्वरित एवं विधिसम्मत तरीके से निवारण किये जाने की जानकारी प्राप्त हुई तब इस अधिनियम का सहारा लिया| फलतः इस मामले में अंचल अधिकारी, बगहा-2 के द्वारा पत्रांक-577, दिनांक- 08.12.2017 के जरिये मालगुजारी रसीद निर्गत किया गया|

इस अधिनियम के माध्यम से ही न्यायालय के आदेश का तीन वर्षों के बाद अनुपालन हो सका, जिसकी बदौलत गैर मजरुआ आम भूमि अतिक्रमण मुक्त हो सकी| अनन्य संख्या- 401110111011701550/2A के सन्दर्भ में परिवादी शेख कामरान, पिता- स्वर्गीय शे. बाबु हुसैन, साकिन शिवराजपुर, अंचल नौतन ने  बताया कि अनुमंडल पदाधिकारी, बेतिया के न्यायालय द्वारा वाद संख्या 1550M/15 दफा 133 दंड प्रक्रिया संहिता में पारित आदेश दिनांक- 31.08.2016 का अनुपालन अंचल अधिकारी, नौतन को कई बार आवेदन देने के बाद भी नहीं किया गया| तब बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम का उन्होंने सहारा लिया| इसके तहत सक्षम प्राधिकार के पास आवेदन दिया और जिला लोक शिकायत पदाधिकारी बेतिया द्वारा द्वितीय अपील के प्रावधानों के अनुरूप कार्रवाई करने की दिशा में आदेश जारी हुआ| इस प्रकार 16.03.2018 को  अंचल नौतन, मौजा- शिवराजपुर, थाना संख्या 388 अंतर्गत अवस्थित खाता संख्या 270, खेसरा 1675 गैर मजरुआ आम भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराना संभव हो सका|

बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम के जरिये ही जनवितरण प्रणाली विक्रेता द्वारा अंत्योदय योजना अंतर्गत खाधान्न के वितरण में की जा रही अनियमितता पर रोक लगाकर प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी पर कार्रवाई की गयी| अनन्य संख्या- 501310105051700959/2A, परिवादी चन्द्र भूषण तिवारी, पिता- भगवान दत्त तिवारी, साकिन तुरहापट्टी, थाना सिरिसिया, जिला- पश्चिम चंपारण ने बताया  कि  जन वितरण प्रणाली विक्रेताओं द्वारा अंत्योदय योजना खाधान्न का वितरण वैसे लोगों के बीच भी किया जा रहा था जो सूचीबद्ध नहीं थे या इसके लिए अपात्र थें| इसके निवारण के लिए कई आवेदन प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी, चनपटिया को दिया गया बावजूद इसके कोई कार्रवाई नहीं हुई| चंद्रभूषण तिवारी ने बताया कि जब कई लोगों से एवं विभिन्न समाचार-पत्रों के माध्यम से बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम की जानकारी हुई तब एक आवेदन अनुमंडलीय लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी, बेतिया सदर के समक्ष दाखिल किया| उसके बाद प्रक्रिया आगे बढ़ी और अनियमितता पर रोक लगी साथ ही दोषी अधिकारी पर भी कार्रवाई हुई|

ऐसे कई उदाहरण आज हमारे सामने है जो बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम की देन है| इस प्रकार वर्षों से चली आ रही समस्याओं से निजात दिलाने में यह कानून लोगों के लिए काफी मददगार साबित हो रहा है जिसके कारण आज हर किसी के मन में आत्मविश्वास का भाव पैदा हुआ है|

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