लिंचिंग………………………………………………………………….

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर
  • असगर वजाहत

बूढ़ी औरत को जब यह बताया गया कि उसके पोते सलीम की ‘लिंचिंग’ हो गई है तो उसकी समझ में कुछ न आया। उसके काले, झुर्रियों पड़े चेहरे और धुंधली मटमैली आंखों में कोई भाव न आया। उसने फटी चादर से अपना सिर ढक लिया। उसके लिए ‘लिंचिंग’ शब्द नया था। पर उसे यह अंदाजा हो गया था कि यह अंग्रेजी का शब्द है। इससे पहले भी उसने अंग्रेजी के कुछ शब्द सुने थे जिन्हें वह जानती थी।

उसने अंग्रेजी का पहला शब्द ‘पास’ सुना था जब सलीम पहली क्लास में ‘पास’ हुआ था। वह जानती थी के ‘पास’ का क्या मतलब होता है। दूसरा शब्द उसने ‘जॉब’ सुना था। वह समझ गई थी कि ‘जॉब’ का मतलब नौकरी लग जाना है। तीसरा शब्द उसने ‘सैलरी’ सुना था। वह जानती थी ‘सैलरी’ का क्या मतलब होता है। यह शब्द सुनते ही उसकी नाक में तवे पर सिकती रोटी की सुगंध आ जाया करती थी। उसे अंदाज़ा  था कि अंग्रेजी के शब्द अच्छे होते हैं और उसके पोते के बारे में यह कोई अच्छी खबर है।

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बुढ़िया इत्मीनान भरे स्वर में बोली-  अल्लाह उनका भला करें..। लड़के हैरत से उसे देखने लगे। सोचने लगे, बुढ़िया को ‘लिंचिंग’ का मतलब बताया जाए या नहीं। उनके अंदर इतनी हिम्मत नहीं थी की बुढ़िया को बताएं कि ‘लिंचिंग’  क्या होती है।

बुढ़िया ने सोचा कि इतनी अच्छी खबर देने वाले लड़कों को दुआ तो ज़रूर देनी चाहिए। वह बोली-  बच्चों, अल्लाह करे, तुम सबकी ‘लिंचिंग’ हो जाए…. ठहर जाओ मैं मुंह मीठा कराती हूं।

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