मलिकाइन के पातीः आग लागो, बज्जर परो एह दुनिया में मलिकार

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मलिकाइन के पाती
मलिकाइन के पाती

मलिकाइन के पाती के आज शुरुआत भइल बा- आग लागो, बज्जर परो एह दुनिया में मलिकार। ऊ निर्भया कांड के दोषी लोगन के फांसी के डेट तय भइला पर लिखले बाड़ी। एही बहाने ऊ कई गो बात कह गइल बाड़ी। मलिकाइन के पाती में कवन-कवन बात लिखल बा, अपनो सभे पढ़ीः

पांव लागीं मलिकार। आज भोरे-भोरे एगो खबर सुन के मन बड़ा खुश भइल हा। आज तनी घाम निकलल बा त पांड़े बाबा के दुअरा जुटानो खूबे भइल रहल हा। सगरी लोग एके खबर पर बतकही में लागल रहल हा। रउरा त जनबे करीले मलिकार कि पांड़े बाबा तीन गो खबर कागज (अखबार) मंगाई ले। तीनों के पन्ना-पन्ना बांट के लोग चाट जाला ला। भोरे देखब त हाथे-हाथ खबर कागज के पन्ना लउकी। सभ कर आंख अखबार के अच्छरे पर गड़ल रहेला। बीच-बीच में कवनो खबर केहू के ना बुझाला, पांड़े बाबा ओकरा के तफसील से बताई-समझाई ले।

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कवनो बात समझ में ना आवे त लोग पांड़े बाबा से पूछे ला, आ उहां के एतना नीमन समझाई ले कि बुड़बको आदमी के माथा में समा जाई। दिल्ली में सात बरिस सैंतीस दिन पहिले जवना लड़की (निर्भया) के संगे कुकरम भइल रहे आ ओइमें कई आदमी शामिल रहे। ओइमे से चार गो के फांसी के सजा भइल बा। पांड़े बाबा बतावत रहुवीं कि एही महीना में 22 तारीख के सात बजे भोरे ओकनी के फांसी पर लटका दिहल जाई।

पांड़े बाबा त इहो बतावत रहुवीं कि ओकनी के फांसी पर चढ़ावे खातिर जवन रसरी तेयार भइल बा, ऊ बक्सर में बनल बा। जल्लाद के खोज हो रहल बा। सुने में आवत बा कि अब जल्लादो जल्दी नइखन सन मिलत। 20-25 बरिस पहिले कलकत्ता में कवनो एगो फांसी भइल रहे। ओकरा बाद फांसी के ना जाने केतने फसिला (फैसला) कचहरी सुनवली सन, बाकिर कवनो ना कवनो कारण से अबही ले ओकनी के फांसी ना भइल। 20-25 बरिस बाद चार गो फांसी एक संगे होखे वाला बा। एहू में अबे एगो पेंच बतावत रहुवीं पांड़े बाबा। कहत रहुवीं कि कचहरी ओकनी के दया खातिर टाइम दिहले बिया। देखे के बा कि ओकनी पर कवनो दया होता कि ना।

पांड़े बाबा ई खबरिया बतावत में एगो अउरी खबर सुनावत रहुवीं। बतावत रहुवीं कि ओने दिल्ली के बड़की कचहरी फांसी खातिर वारंट देत रहे आ एने पटना में पढ़े वाली एगो लड़िकी के छोकड़ा उठा ले गइले सन। ओकरा संगे गंदा काम कइले सन। केहू तरे ऊ भाग के आइल त केस भइल। अबहीं ले एह केस में दू गो धराइल बाड़े सन।

एतने ले ना मलिकार, काल्हो उहां के एगो खबर रउरा झाड़खंड के सुनावत रहुवीं। कवन दूना एगो लड़की के बेचे खातिर ओही इलाका के कवनो मेहरारू यूपी में ले के गइल रहे। खस्सी-बकरी के बाजार अइसन ओकर बाजार सजल। लोग दाम लगावे लागल। केहू पचास हजार कहल, त केहू अस्सी हजार पर चढ़ गइल। भाव लगावे के पहिले लोग ओकरा देह के टो-टा के देखे आ ऊ बेचारी ओतने रोवे। दाम लगावे वाला में बीस बरिस के छोकड़ा से ले के 80 साल के बुढ़वा ले रहले सन। केहू के कवनो दया-माया ना लागल। ई कहीं कि ओही बेरा पुलिस के केहू खबर क दिहल आ पुलिस सबका के जेल पहुंचा दिहलस। लड़िकिया आजे रांची लवटे वाली बीया।

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थोरहीं दिन पहिले के बात ह नू मलिकार। घर से भागल, भुलाइल लड़की सन के राखे खातिर बनल घर में अइसन खराब बेवहार लोग करत रहे, जवना के ममिला दिल्ली के बड़की कचहरी ले पहुंच गइल। सबसे पहिले मुजफ्फरपुर के ममिला सामने आइल। सरकार के सगरी अफसर कहे खातिर ओकनी के देखे-सुने कागज में बराबर जात-आवत रहे लोग, बाकिर ई बात के खुलासा कवनो बबंई के पढ़ाई वाला लड़िका कइले सन। सात महीना बाद त नीतीश बाबू के सरकार ओह घर पर केस कइलस। फेर लागल लोग धराये-पकड़ाये। बाद में पता चलल कि पुलिस केस एतना कमजोर लिख दिहले बिया कि सगरी लोग बांच जाई। सुने में त इहो आइल रहे कि जवन लड़की गंदा काम खातिर तेयार ना होखत रहली सन, ओकनी के संगे मारपीट कइल जाव आ कई गो के त मुआ दिहल गइल।

अब सुने में आवता कि दिल्ली वाली बड़की पुलिस (सीबीआई) दिल्ली वाली बड़की कचहरी के कहला पर बिहार के सगरी अइसन घरन के जांच कइलस त 17 गो घर में ई गड़बड़ी पावल गइल। एइमें दू दर्जन से बेसी कलक्टर साहेब लोग के भी बड़की पुलिस दोषी मनले बिया। चार दर्जन से बेसी अइसन घर चावे वाला भा ओकरा से जुड़ल लोग बा।

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ई कुल सुनला-जानला के बाद मलिकार हमरा त बुझाते नइखे कि हमनी ओही देस के आदमी हईं सन का, जहां लोग लड़की के देवी मान के पूजेला। सगरी मेहरारुन के माई कहे के रवायत रहल बा। बड़कू मोदी जी त ई कहत बाड़े कि बेटी पढ़ाई, बेटी बढ़ाईं। लड़किन के पढ़े खातिर त नीतीश बाबू साइकिल, पोशाक, पइसा सब कुछ दे तारे। बाकिर केहू ओकनी के कुकर्मियन से बचावे के कवनो उपाय नइखे सोचत। एकनी के फांसी लुका-छिपा के ना, सरेआम चौराहा पर टांग के देबे के चाहीं। लुका-छिपा के फांसी काहें, पाबलिक के सौंप देबे के चाहीं कि एकनी के मुआ देबे के बा, जवना तरे मन करे, एकनी के लतिया, जुतिया, मार-पीट के मुआ द लोगिन। एइसे ई होई मलिकार कि खुलेआम ई देख के लोग में तनी भय जागी।

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आज एतने, काल्ह दोसरका पाती में बाकी गांव-घर-जवार के बतकही होई। सुने में आवत बा कि काल्ह-परसों बरखा होखे वाला बा। बताईं मलिकार, अबही ले रबी के बावग ना भइल आ बीच-बीच में बरखा-बूनी होत रहत बा। चलीं, काल्ह फेर।

राउर, मलिकाइल

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