ममता ठाकुर व एनके आनंद को मिलेगा तिलका माझी राष्ट्रीय सम्मान

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समरस होना ही समर्थ या सामर्थ्यवान भारत की पहचान है। समरसता से मिली ताकत के कारण ही भारत जगत गुरु कहलाया और यही ताकत उसे और आगे ले जाएगी।
समरस होना ही समर्थ या सामर्थ्यवान भारत की पहचान है। समरसता से मिली ताकत के कारण ही भारत जगत गुरु कहलाया और यही ताकत उसे और आगे ले जाएगी।
शुभकरण चूड़ीवाला की स्मृति में प्रत्येक वर्ष भागलपुर में दिया जाता है यह सम्मान
नई दिल्ली। चिकित्सा के क्षेत्र में बेहतरीन काम करने के लिए दिल्ली की डॉ ममता ठाकुर एवं बिहार के डॉ एन के आनंद को तिलका माझी राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित किया जाएगा। इस कार्यक्रम का मुख्य आयोजक अंग मदद फाउंडेशन, भागलपुर है। भारत की मार्गदर्श मंडल की सदस्य डॉ ममता ठाकुर पूर्वी दिल्ली में बालिकाओं को सर्वाइकल कैंसर के प्रति जागरूक कर रही हैं। वहीं बिहार के डॉ एन के आनंद ‘स्वस्थ बालिका स्वस्थ समाज’ कैम्पेन के तहत बालिकाओं का इलाज निःशुल्क करते हैं।
बिहार के समस्तीपुर के अपने क्लीनिक में अभी तक 7000 से ज्यादा बेटियों को डॉ आनंद निःशुल्क ओपीडी कर चुके हैं।
दोनों चिकित्सकों को स्वस्थ भारत अभियान के राष्ट्रीय संयोजक आशुतोष कुमार सिंह ने बधाई देते हुए कहा कि इन जैसे चिकित्सकों के कारण ही समाज में चिकित्सकों का मान सम्मान बना हुआ है। उन्होंने कहा कि समाज में बेहतर काम करने वालों की सर्वत्र पूछ होती है। दोनों का सम्मान इसी दिशा में एक कड़ी है।
गौरतलब है की प्रख्यात स्वाधीनता सेनानी शुभकरण चुड़ीबाला की पुण्य स्मृति में, महात्मा गान्धी की डेढ़ सौवीं जयंती के परिप्रेक्ष्य में प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी की पुण्य तिथि के उपलक्ष्य में 26 अगस्त को  बिहार के भागलपुर में यह सम्मान दिया जाएगा। इस अवसर पर महात्मा गान्धी पर स्मारक व्याख्यान होगा अौर देश के विभिन्न राज्यों में गान्धी के रास्ते पर चलने वाले लोगों को प्रथम स्वतंत्रता सेनानी तिलका मांझी राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित किया जाएगा।
महात्मा गांधी की जयंती को इस सम्मान से जोड़ने के पीछे आयोजकों का मकसद साफ है। गांधी जी हमेशा स्वच्छता के लिए प्रयत्नशील रहते थे। उनकी स्वच्छता पसंदगी को इस रूप में भी देखा जा सकता है कि वे जब बाथ रूम में स्नान के लिए जाते तो वहां जिनके भी कपड़े पड़े होते, उसे धोकर बाहर ले आते। गांधी जी की इस आदत से सभी धीरे-धीरे परिचित हो गये थे। इसलिए गंदे कपड़े उनके रहते शायद ही कोई बाथ रूम में छोड़ता।
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