भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में फिर कटौती की, नहीं होगी पैसे की कमी

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भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में फिर कटौती की है। बैंक ने यह कदम कोरोना वायरस संक्रमण के बाद पैदा हालात के मद्देनजर उठाया है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में फिर कटौती की है। बैंक ने यह कदम कोरोना वायरस संक्रमण के बाद पैदा हालात के मद्देनजर उठाया है।

मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में फिर कटौती की है। बैंक ने यह कदम कोरोना वायरस संक्रमण के बाद पैदा हालात के मद्देनजर उठाया है। रिजर्व बैंक  के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि हम काले दौर में पहुंच गये हैं। आज सुबह उन्होंने रेपो रेट मे 25 बीपीएस की कटौती करने की घोषणा की थी। इससे पहले 27 मार्च को रेपो रेट में एक साथ 0.75 फीसदी की कटौती की गयी थी।

गवर्नर ने माना कि कोरोना वायरस के कहर की वजह से सिस्टम में नकदी संकट पैदा हुआ है। इसे कम करने के लिए थ्री लॉन्ग टर्म रेपो ऑपरेशंस (TLTRO) शुरू किया है। TLTRO के लिए 25,000 करोड़ रुपए का का प्रावधान किया गया है, जो आज से शुरू माना जाएगा। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक हालात पर लगातार नजर बनाए हुए है। उसकी कोशिश है कि फाइनेंशियल सिस्टम ठीक से काम करे।

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अनसूचित वाणिज्यिक बैंक और दूसरे वित्तीय संस्थानों  को अतिरिक्त 20 फीसदी धन का प्रावधान करना होगा। लोन अकाउंट के की चुनौतियों को देखते हुए रेज्योलूशन की मियाद अब पहले से बढ़ा कर 90 दिन कर दी गयी है। बड़े लोन डिफॉल्टर के रेज्योलूशन के लिए अब 180 दिनों का समय मिलेगा। इससे पहले 7 जून को रिजर्व बैंक ने एक सर्कुलर जारी किया था। उस सर्कुलर के मुताबिक अतिरिक्त 20 फीसदी प्रोविजनिंग से छूट मिलेगी। बैंक वित्तीय वर्ष 2020 से अगले नोटिस तक डेविडेंड नहीं दे पायेंगे।

अनुसूचित बैंकों के लिए लिक्विड कवरेज रेशियो (LCR) 100 फीसदी से घटाकर 80 फीसदी कर दिया गया है। अक्टूबर 2020 तक इसे बढ़ाकर 90 फीसदी करने की बैंक ने घोषणा की है। अप्रैल 2021 तक इसे पुनः 100 प्रतिशत के स्तर पर ला दिया जाएगा। इस प्रणाली से 6.91 लाख करोड़ का सरप्लस फंड आयेगा, जिसे रिजर्व बैंक अर्थव्यवस्था में उपयोग करने की अनुमति देगा।

रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कहा कि उत्पादन क्षेत्र की हालत बहुत ही खराब है। इसको आईआईपी के आंकड़ों में शामिल नहीं किया गया है। Covid-19 का असर अभी आईआईपी के आंकड़ों में शामिल नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि मार्च में ऑटोमोबाइल क्षेत्र के उत्पादन और बिक्री में बड़ी गिरावट दर्ज की गयी है। निर्यात बंद रहने के कारण मार्च 2020 में सर्विस पीएमआई घटकर सुस्ती के दौर में पहुंच गई है। मार्च में निर्यात 34.6 फीसदी घटा है। बिजली की मांग में तकरीबन 25-30 फीसदी की कमी दर्ज की गयी है।

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इस बीच अच्छी खबर यह है कि मॉनसून से पहले खरीफ फसल की बुआई बढ़िया हुई है। पिछले साल के मुकाबले इस साल अप्रैल अंत तक धान की बुआई 37 फीसदी अधिक है। मौसम विभाग ने 15 अप्रैल को अपने पूर्वानुमान में इस साल सामान्य मॉनसून रहने का अनुमान लगाया है। फाइनेंशियल मार्केट उतार-चढ़ाव के दौर से गुजर रहा है। कच्चे तेल की कीमतों में भी तेजी-नरमी कायम है। इसे देखते हुए ओपेक देशों ने कच्चे तेल के उत्पादन में कमी लाने का फैसला कर लिया है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के अनुमान के मुताबिक, कोरोना वायरस संकट के बाद वित्तीय वर्ष 2022 में देश के जीडीपी की ग्रोथ 7.4 फीसदी रह सकती है।

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