भविष्य में कैबिनेट में जदयू के शामिल होने का कोई प्रश्न नहीं

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बिहार के लोग, जो बाहर फंसे हुए हैं, उनसे फीडबैक लेकर उनकी परेशानियों दूर करें। जो घर आ गये हैं, उनकी पहचान कर टेस्ट करायें और जरूरी मदद करें। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कोरोना वायरस से उत्पन्न स्थितियों की समीक्षा के दौरान ये निर्देश दिये।
नीतीश कुमार

कैबिनेट में घटक दलों का आनुपातिक रूप से प्रतिनिधित्व होना चाहिए: नीतीश 

पटना। भविष्य में कैबिनेट में जदयू के शामिल होने का कोई प्रश्न नहीं है। वैसे कैबिनेट में घटक दलों का आनुपातिक रूप से प्रतिनिधित्व होना चाहिए। हालांकि विधानसभा चुनाव में इसका कोई असर नहीं होगा। यह कहना है बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू के अध्यक्ष नीतीश कुमार का। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होकर लौटने पर मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने पटना एयरपोर्ट पर पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि एन.डी.ए. की बैठक के बाद संसदीय दल की बैठक हुई थी, जिसमें श्री नरेंद्र मोदी को नेता चुना गया। उसके बाद राष्ट्रपति भवन जाकर हम लोगों ने समर्थन पत्र सौंपा। उन्होंने कहा कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह के बुलावे पर 29 मई को हम दिल्ली गये थे। उसी समय यह बात कही गयी थी कि एन.डी.ए. के जिन घटक दलों के सांसद निर्वाचित हुए हैं, उनको मंत्रीपरिषद में सांकेतिक रूप से एक-एक सीट पर देना चाहते हैं।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी पार्टी के सदस्यों की संख्या लोकसभा में 16 है, जबकि राज्यसभा में 6 सीटें हैं, जो सभी बिहार से हैं। उन्होंने कहा कि मंत्रिपरिषद में शामिल होने के लिए हमने कभी कोई प्रपोजल नहीं दिया। मंत्रिमंडल में सांकेतिक रूप से शामिल होने के मसले पर हमारी पार्टी की कोर टीम में शामिल नेताओं ने कहा कि इसकी कोई आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि मंत्रिपरिषद में शामिल होना ही साथ होने का प्रमाण नहीं है। हम लोग पूरे तौर पर एन.डी.ए. के साथ हैं।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार के हित को ध्यान में रखते हुए हम लोगों ने गठबंधन किया था, ताकि बिहार का पिछड़ापन समाप्त हो सके। इसलिए मंत्रिपरिषद में हमारी पार्टी की भागीदारी नहीं होने से हमें कोई चिंता, परेशानी या अफसोस नहीं है। उन्होंने कहा कि कैबिनेट में घटक दलों का आनुपातिक रूप से प्रतिनिधित्व होना चाहिए। हालांकि भाजपा को स्वयं पूर्ण बहुमत मिला है, इसलिए वे निर्णय लेने के हकदार हैं। मंत्रिपरिषद में प्रोपोर्शनल या सांकेतिक रूप से घटक दलों की भागीदारी हो, इसका निर्णय बीजेपी को करना था। बिहार में जो चुनावी कैंपेन किये गये, उसमें सब लोगों ने एक-दूसरे का साथ दिया। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय कैबिनेट में सांकेतिक रूप से भागीदारी को लेकर हम लोगों की कोई इच्छा नहीं है।

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केन्द्रीय कैबिनेट में सामाजिक समीकरण के सवाल पर मुख्यमंत्री ने प्रतिक्रिया व्यक्त करने से इनकार करते हुए कहा कि यह उनका अंदरूनी मसला है। उन्होंने कहा कि भाजपा की हारी हुई आठ संसदीय सीटों पर जदयू ने जीत हासिल की है। किशनगंज के परिणाम की किसी को उम्मीद नहीं थी। उन्होंने कहा कि जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के नाते मैं यह कहना चाहता हूँ कि भविष्य में केन्द्रीय कैबिनेट में जदयू के शामिल होने का कोई प्रश्न नहीं है। उन्होंने कहा कि एलायंस में प्रारंभ में जो बातें होती हैं, वही आखिरी होती हैं। कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह सरकार को तय करना है कि आगे वे किस प्रकार से काम करना चाहेंगे।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि गठबंधन चाहे किसी से भी हो, हम लोग बिहार में गठबंधन के घटक दलों को आनुपातिक ढंग से मंत्रिपरिषद में शामिल करते हैं। मंत्री पद को लेकर बिहार में किसका क्या कोटा होगा, वह पहले से ही तय है। उन्होंने कहा कि अटल जी की सरकार में भी यही व्यवस्था लागू थी, लेकिन उस समय भाजपा को पूर्ण बहुमत नहीं था। अभी की बात अलग है, क्योंकि भाजपा खुद पूर्ण बहुमत में है।

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उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व में मंत्रिपरिषद में सांकेतिक रूप से भागीदारी को लेकर किसी की कोई रूचि नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी को इस बात को लेकर भ्रम नहीं होना चाहिए कि सरकार में शामिल होना ही साथ रहने का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि पहले से ही हम यह कहते रहे हैं कि पिछड़े राज्यों को पिछड़ेपन से दूर निकालने एवं महिला सशक्तीकरण की दिशा में विशेष पहल करने की आवश्यकता है। धारा-370, बिहार को विशेष राज्य का दर्जा जैसे मसले पर हम लोगों की राय पब्लिक डोमेन में है। मुख्यमंत्री ने 2020 में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में नवगठित मंत्रिपरिषद के सामाजिक समीकरण के प्रभाव से इनकार करते हुए कहा कि इसका कोई असर नहीं होगा।

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