बिहार में प्रवासी मजदूरों को लेकर आरजेडी और जेडीयू में घमासान

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बिहार की राजनीति को समझना मुश्कल ही नहीं, नामुमकिन है। क्या नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की जोड़ी बरकरार रहेगी ?
बिहार की राजनीति को समझना मुश्कल ही नहीं, नामुमकिन है। क्या नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की जोड़ी बरकरार रहेगी ?

पटना। बिहार में प्रवासी मजदूरों को लेकर आरजेडी और जेडीयू में घमासान मचा है। तेजस्वी नीतीश कुमार पर आरोप मढ़ रहे तो जेडीयू के अपने तर्क हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र भेज कर पूर्व उपमुख्यमंत्री और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने नीतीश से पूछा है कि है कि बिहार सरकार आख़िरकार अनिर्णय की स्थिति में क्यों हैं? अप्रवासी मजबूर मज़दूर वर्ग और छात्रों से इतना बेरुख़ी भरा व्यवहार क्यों है? विगत कई दिनों से देशभर में फंसे हमारे बिहारी अप्रवासी भाई और छात्र लगातार सरकार से घर वापसी के लिए गुहार लगा रहे हैं, लेकिन ऐसा प्रतीत हो रहा कि सरकार के कानों तक जूँ भी नहीं रेंग रही। आख़िर उनके प्रति असंवेदनशीलता क्यों है?

विवाद का कारण योगी सरकार द्वारा बसें भे कोटा से छात्रों को बुलवाना

दरअसल यह विवाद इसलिए खड़ा हुआ है कि उत्तर प्रदेश की आदित्यनाथ योगी की सरकार ने बसें भेज कर कोटा में फंसे अपने सूबे के छात्रों को बुलवा लिया है। दूसरी ओर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि बिहार के लोग राज्य से बाहर जहां हैं, अभी वहीं बने रहें। राज्य सरकार उनकी चिंता कर रही है। उनके खाते में एक हजार रुपये भेजे जा रहे हैं।

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तेजस्वी के सवाल का जेडीयू वरिष्ठ नेता निखिल मंडल ने दिया जवाब

जेडीयू नेता निखिल मंडल ने तेजस्वी को ट्वीट कर दिया जवाब
जेडीयू नेता निखिल मंडल ने तेजस्वी को ट्वीट कर दिया जवाब

तेजस्वी द्वारा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लिखे पत्र में उठाये बिंदुओं पर जेडीयू ने करारा जवाब दिया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता निखिल मंडल ने ट्वीट कर कहा है कि सिर्फ कोटा के छात्रों को ही क्यों गाड़ी भेज कर बुलवाया जाना चाहिए। लाक डाउन में फंसे तेजस्वी यादव को भी गाड़ी बेज कर बुलाया जाना चाहिए, जिनकी बिहार में इस वक्त लोगों की सेवा के लिए सख्त जरूरत है।

क्या कहा है तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लिखे पत्र में  

तेजस्वी ने लिखा है- गुजरात, उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्य सरकारें जहां अपने राज्यवासियों के लिए चिंतित दिखीं और राज्य के बाहर फंसे हुए लोगों को उनके घरों तक पहुंचाने का इंतज़ाम किया, वहीं बिहार सरकार ने अपने बाहर फंसे राज्यवासियों को बीच मंझधार में बेसहारा छोड़ दिया है। देशव्यापी लाक डाउन के मध्य ही गुजरात सरकार ने हरिद्वार से 1800 लोगों को 28 लग्जरी बसों में वापस अपने राज्य में लाने का प्रबंध किया। उत्तर प्रदेश शासन ने 200 बसों के अनेक ट्रिप से दिल्ली एनसीआर में फंसे अपने राज्यवासियों को उनके घरों तक पहुँचाया। राजस्थान के कोटा से यूपी के 7500 बच्चों को वापस लाने के लिए 250 बसों का इंतज़ाम किया। वाराणसी में फंसे हज़ारों यात्रियों को बसों द्वारा अनेक राज्यों में भेजा गया।

उन्होंने पूछा है कि आखिर भाजपा शासित अन्य राज्य इतने सक्षम क्यों हैं और भाजपा के साथ सरकार में रहते हुए भी बिहार सरकार इतनी असहाय क्यों है? बिहार सरकार और केंद्र सरकार में भारी विरोधाभास नज़र आ रहा है। केंद्र और राज्य सरकार में समन्वय और सामंजस्य कहीं दिख ही नहीं रहा। आप देश के वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं, लेकिन इस आपदा की घड़ी में बिहार के लिए उस वरिष्ठता और गठबंधन का सदुपयोग नहीं हो रहा है।

मुख्यमंत्री से उन्होंने पूछा कि इस आपदा से निपटने में बिहार सरकार के दृष्टिकोण में भारी अस्पष्टता दिखाई देती है। आज कुछ कहते हैं, कल कुछ और करते हैं। जैसे कि दिल्ली एनसीआर से जब बिहारी मज़दूर यूपी की मदद से वापस आने लगे तो आप ने कहा कि उन्हें बिहार में घुसने नहीं देंगे। कोटा से जब छात्र आये तो आप ने उनको भी बिहार में प्रवेश करने नहीं दिया और उल्टे केंद्र सरकार से वहां के डीएम की शिकायत भी की। अपनी जनता से घुसपैठियों जैसा व्यवहार कोई सरकार कैसे कर सकती है?

जब जनदबाव आया, जगहंसाई हुई तो सरकार ने उन लोगों को राज्य में प्रवेश की अनुमति दी। सरकार से कोई मदद न मिलने की स्थिति में अब मेहनतशील मज़दूर आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं। यह अतिगंभीर मसला है। जैसा कि आप जानते होंगे, विगत तीन दिनों में बिहार के तीन अप्रवासी मज़दूरों की मृत्यु हुई है। एक की हैदराबाद में और कल पंजाब के अमृतसर और हरियाणा के गुड़गांव में दो युवकों की मृत्यु और हुई। ये लोग नौकरी छूटने, अपना पेट नहीं भरने के कारण मांग कर खाने, वापस घर नहीं जाने और सरकार द्वारा त्याग दिए जाने के कारण मानसिक अवसाद के शिकार हो चुके थे। इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या होगा कि उनके बेचारे परिजन उन मृत व्यक्तियों के अंतिम दर्शन भी न कर सके और आखिरी समय में उन्हें जन्मभूमि की मिट्टी भी नसीब न हुई।

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उन्होंने आगे लिखा कि शुरुआत से कोरोना महामारी की इस लड़ाई में हम सरकार के साथ खड़े होकर उसे रोकने में हरसंभव मदद कर रहे हैं। मैं आपसे पुन: आग्रह कर रहा हूं कि आप पुनर्विचार करें और देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे सभी इच्छुक प्रवासी बिहारियों और छात्रों को सकुशल और सम्मान के साथ बिहार लाने का प्रबंध करें। सभी ट्रेनें ख़ाली खड़ी हैं। आप रेलमंत्री भी रहे हैं। उस अनुभव का उपयोग किया जाए। सामाजिक दूरी और अन्य जनसुरक्षा निर्देशों का पालन कराते हुए बहुत आसानी से इन लोगों को इन ट्रेनों से वापस लाया जा सकता है। यहां आगमन पर अनिवार्य रूप से स्वास्थ्य जांच, टेस्ट और क्वॉरंटाइन किया जाए।

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