बिहार दिवस मनाने का मकसद है बिहार को आगे बढ़ाना

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बिहार दिवस मनाने का मकसद है कि बिहार को हम सब मिलकर आगे बढ़ाएं एवं बिहार को विकसित करें। लोगों में आत्मविश्वास बढ़े। नीतीश कुमार ने यह कहा।
बिहार दिवस मनाने का मकसद है कि बिहार को हम सब मिलकर आगे बढ़ाएं एवं बिहार को विकसित करें। लोगों में आत्मविश्वास बढ़े। नीतीश कुमार ने यह कहा।

पटना। बिहार दिवस मनाने का मकसद है कि बिहार को हम सब मिलकर आगे बढ़ाएं एवं बिहार को विकसित करें। लोगों में आत्मविश्वास बढ़े। नीतीश कुमार ने यह कहा। सभी लोग प्रेम और आपसी भाईचारे के साथ मिलकर बिहार को आगे बढ़ाएं। देश और देश के बाहर भी बिहार दिवस मनाया जाने लगा है। बिहार दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से यह बात कही।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से कार्यक्रम को संबोधित करते हुए 109 वें बिहार दिवस के अवसर पर बिहारवासियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि आज के इस अवसर पर बिहार के गौरव से जुड़ी कई बातों की चर्चा सभी वक्ताओं ने संक्षेप में की है। जब से बिहार में हमलोगों को काम करने का मौका मिला, हमलोगों ने बिहार दिवस मनाने के लिए विस्तृत चर्चा शुरू की। अंग्रेजों ने बिहार को अलग प्रांत के रुप में 22 मार्च 2012 को नोटिफाई किया। इसके आधार पर हमलोगों ने 22 मार्च को बिहार दिवस मनाना निश्चित किया।

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वर्ष 2010 में हमलोगों ने पटना के गांधी मैदान में भव्य बिहार दिवस मनाकर कार्यक्रम की शुरुआत की। वर्ष 2012 में 100 साल पूरे होने पर बिहार दिवस खास तरीके से आयोजित किया गया था। नीतीश ने कहा कि बिहार का गौरवशाली इतिहास रहा है। यह ज्ञान की भूमि है। पूर्व में बिहार काफी विकसित रहा है। पटना पहले पाटलिपुत्र कहलाता था। यहीं से बहुत बड़े क्षेत्र पर शासन होता था। बिहार दिवस के आयोजन की जिम्मेवारी शिक्षा विभाग को दी गई है। शिक्षा विभाग की लोगों को शिक्षित करने में, ज्ञानी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि देश और देश के बाहर भी बिहार दिवस मनाया जाने लगा है। राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री ने बिहारवासियों को बिहार दिवस के अवसर पर बधाई दी है। हम उन्हें इसके लिए धन्यवाद देते हैं। उन्होंने कहा कि पहले बिहार दिवस के कार्यक्रम भव्य तरीके से आयोजित किए जाते रहे हैं और इस अवसर पर लोगों को सम्मानित भी किया जाता रहा है, लेकिन कोरोना के कारण पिछले साल कार्यक्रम आयोजित नहीं किया गया। इस बार हमलोग वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से बिहार दिवस मना रहे हैं। बिहार ज्ञान और मोक्ष की धरती है।

उन्होंने कहा कि हमलोगों का उद्देश्य है, सभी बच्चे शिक्षित हों। जब सभी लोग शिक्षित होंगे, तभी बिहार फिर से गौरवशाली इतिहास को प्राप्त करेगा। बिहार फिर से आगे बढ़ेगा और देश भी आगे बढ़ेगा। हमलोगों ने लड़कियों के पढ़ने के लिए पोशाक एवं साइकिल योजना शुरू की। राज्य की आबादी बढ़ रही है, क्षेत्रफल सीमित है। राज्य में प्रजनन दर को घटाने के लिए लड़कियों को शिक्षित करना जरुरी है।

हर ग्राम पंचायत में प्लस-2 की पढ़ाई के लिए उच्च माध्यमिक विद्यालय की स्थापना की जा रही है। मैट्रिक की परीक्षा में लड़के-लड़कियों की भागीदारी अब बराबर है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम सब मिलकर प्रयास करेंगे तो बिहार के गौरवशाली इतिहास को एक बार फिर से प्राप्त कर लेंगे और बिहार के साथ देश और पूरी दुनिया में अपनी पहचान पुनर्स्थापित कर लेंगे। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में कई कार्य किए गए हैं। सड़क, पुल-पुलियों का निर्माण किया गया है। शहरों के अंदर बाईपास का निर्माण कराए जाने की योजना पर कार्य किया जा रहा है। लोगों को तकनीक के माध्यम से प्रशिक्षित किया जा रहा है।

प्रशासनिक सुधार के क्षेत्र में भी कई कार्य किए गए हैं। लोक सेवा के अधिकार कानून से लोगों को सहूलियत हो रही है। लोक शिकायत निवारण अधिकार कानून के माध्यम से लोगों की शिकायतों का निवारण हो रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा विभाग को इस बात के लिए बधाई देते हैं कि बिहार दिवस के अवसर पर इस बार का थीम जल-जीवन-हरियाली को रखा गया। पर्यावरण संरक्षण के लिए 13 जुलाई , 2019 को सभी विधायकों एवं विधान पार्षदों के साथ बैठक हुई थी, जिसमें जल-जीवन-हरियाली अभियान चलाने का निर्णय लिया गया। अभियान का मतलब है जल और हरियाली है, तभी जीवन सुरक्षित है।

इस अभियान के तहत 11 अवयवों को शामिल किया गया है। इसमें सात योजनाएं जल संरक्षण से संबंधित हैं। एक योजना वृक्षारोपण से, एक योजना मौसम के अनुकूल कृषि से, एक योजना सौर ऊर्जा से तथा एक योजना इस अभियान के प्रति लोगों को जागृत करने से है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जल-जीवन-हरियाली अभियान के अंतर्गत 16,229 जल स्रोतों, तालाब, आहर, पईन को अतिक्रमण मुक्त कराया गया है। 6 एकड़ तक 8,426 तालाब, 5 एकड़ से बड़े 696 तालाब, 17,917 आहर, पइन का जीर्णोद्धार तथा 10,169 सार्वजनिक कुओं का जीर्णोद्धार किया गया है। कुओं के पास 13,802 तथा चापाकल के पास 1 लाख 7 हजार 500 सोखता का निर्माण कराया जा चुका है। छोटी नदियों एवं पहाड़ी क्षेत्रों में 8,588 चेक डैम संरचनाओं का निर्माण कराया गया है। 12,101 नए जल स्रोतों का निर्माण कराया गया। गंगा जल उद्वह योजना का काम तेजी से किया जा रहा है। 14,136 सरकारी भवनों में छत वर्षा जल संचयन संरचनाओं का निर्माण किया गया है।

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