बिहार के कुछ नेता कैसे-कैसे भाग्य विधाता बनाने की कोशिश कर रहे हैं !

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बिहार विधानसभा चुनाव के लिए कल यानी 28 अक्तूबर को वोट पड़ेंगे। विपक्ष के बेरोदगारी जैसे मुद्दे के बावजूद चुनाव का जातीय आधार पर होना तय है।
बिहार विधानसभा चुनाव के लिए कल यानी 28 अक्तूबर को वोट पड़ेंगे। विपक्ष के बेरोदगारी जैसे मुद्दे के बावजूद चुनाव का जातीय आधार पर होना तय है।
  • सुरेंद्र किशोर
सुरेंद्र किशोर, वरिष्ठ पत्रकार
सुरेंद्र किशोर, वरिष्ठ पत्रकार

सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी आफ इंडिया और औवेसी के राजनीतिक संगठन ए.आई.एम.आई.एम. जैसे अतिवादी संगठनों के लिए पप्पू यादव और उपेंद्र कुशवाहा बिहार में ठोस जमीन तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं। पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने एस.डी.पी.आई. को अपने प्रगतिशील लोकतांत्रिक गठबंधन में शामिल किया है। हालांकि इससे पहले कांग्रेस इस संगठन से कर्नाटक में गत विधानसभा चुनाव समझौता कर चुकी है। पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा के हमराही बने हैं असद्दुदीन ओवैसी। वे साथ मिलकर बिहार विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। बिहार में ओवैसी के दल के एक विधायक पहले से हैं।

कल्पना कीजिए कि इस चुनाव के बाद बिहार में एक ऐसी सरकार बन जाए, जो अपने अस्तित्व के लिए इन दो अतिवादी संगठनों के विधायकों पर निर्भर हो जाए ! फिर क्या हाल होगा नेपाल से सटे इस प्रदेश का?

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खैर, जरा इन संगठनों के बारे में थोड़ा जान लीजिए।  2013 में अकबरूद्दीन ओवैसी ने सार्वजनिक मंच से एक ऐसी बात कह दी थी, जैसी बात कहने की हिम्मत उससे पहले किसी अन्य नेता को नहीं हुई थी।  उन्होंने कहा था कि ’’हम लोग 25 करोड़ हैं। वे 100 करोड़ हैं।

सिर्फ 15 मिनट के लिए पुलिस हटा लो। फिर देखो, किसकी संख्या कितनी रह जाती है।’’ इस खतरनाक इरादे पर असदद्दीन ओवैसी से पत्रकारों ने सवाल पूछा था। बड़े भाई ने अपने छोटे भाई के बयान की निंदा या आलोचना करने से बचते हुए कहा कि ‘यह मामला कोर्ट में है। मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा।’

क्या कभी बड़े भाई ने इस बात का ध्यान रखा कि बाबरी मस्जिद पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए? ऐसे दल व उनके नेताओं की जड़ें बिहार में जमवाने की कोशिश में उपेंद्र कुशवाहा लगे हुए हैं। क्या पप्पू यादव और उनके लोग पी.एफ.आई. के राजनीतिक संगठन सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी आफ इंडिया यानी एस.डी.पी.आई. के भूत, भविष्य और वर्तमान के बारे में कुछ जानते भी हैं?

क्या नहीं जानते? या सब कुछ जानते हुए भी उसे बिहार में जमाने की कोशिश कर रहे हैं? पी.एफ.आई. पर विदेशों से  करोड़ों-करोड़  रुपए मंगाकर इस देश के विभिन्न स्थानों में दंगा कराने का आरोप लग रहा है। गत अगस्त में बेंगलुरू दंगे के लिए ए.डी.पी.आई. के नेता  गिरफ्तार भी हो चुके हैं।

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