बिहार-उत्तर प्रदेश सबसे ज्यादा मुंह के कैंसर से प्रभावित क्षेत्र

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विश्व कैंसर दिवस पर पटना में सेमिनार का आयोजन
विश्व कैंसर दिवस पर पटना में सेमिनार का आयोजन
  • उत्तर पूर्वी भारत के प्रमुख अस्पताल में षुमार है पारस कैंसर हास्पिटल
  • पारस में वी-मैट तकनीक की भी सुविधा उपलब्ध
  • जल्द हो सकेगा लीवर ट्रांसप्लांट
  • रिवर्स रेफरल में पारस हाॅस्पिटल का इलाज सराहनीय
  • राज्य सरकार द्वारा 80 हजार से 5 लाख तक का अनुदान सहायता गरीबों को
  • पारस में सेकेंड ओपिनियन की सुविधा निःशुल्क

पटना। बिहार-यूपी सबसे ज्यादा मुंह के कैंसर से प्रभावित क्षेत्र हैं। उसकी वजह है खैनी तथा गुटका का सेवन। विश्व कैंसर दिवस पर पारस के विशेषज्ञों ने यह जानकारी दी। विशेषज्ञों ने बताया कि बहुत ही ज्यादा मुंह का कैंसर रोग तम्बाकू के सेवन से होता है तथा डाक्टरों ने लोगों को सलाह दी कि वो तम्बाकू का सेवन न करें। यह आपको कैंसर से सुरक्षित रख सकता है। डाक्टरों ने यह भी बताया कि महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर से बचने के लिए साफ-सफाई पर अधिक ध्यान दें। इससे बीमारी से बहुत हद तक बचा जा सकता है।

वल्र्ड कैंसर डे के मौके पर पटना में प्रेस काँफ्रेंस का आयोजन हुआ। 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस के रूप में मनाया जाता है। विश्व में पारस कैंसर सेंटर पटना में यह सुविधा है कि अगर आप कहीं दूसरे डाॅक्टर के इलाज में इस बीमारी के लिए संपर्क में हैं तो आप पारस कैंसर सेंटर में डाॅक्टर की सलाह निःषुल्क ले सकते हैं।

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कैंसर का इलाज पटना स्थित पारस कैंसर सेंटर में आधुनिक तकनीक के माध्यम से किया जाता है। कोलकाता के बाद उत्तरपूर्वी भारत का यह एकमात्र हास्पिटल है, जहां बोन मैरो ट्रांसप्लांट की सुविधा है। यहां कई ब्लड कैंसर के मरीजों का सफल बोन मैरो ट्रांसप्लांट किया गया है। यहां कैंसर मरीज के इलाज के लिए 15 से 20 कैंसर विशेषज्ञ डाक्टरों का ट्यूमर बोर्ड (समूह) बनाया गया है, जो मिलकर कैंसर का इलाज करते हैं।

पारस कैंसर सेंटर में कैंसर का इलाज पांच प्रकार से किया जाता है। विश्व में किसी भी सुपर स्पेशिलिटी हास्पिटल में कैंसर का इलाज इसी तरह किया जाता है। मेडिकल आन्कोलाजी, प्रिवेन्टिव आनकोलाजी, रेडियेशन आनकोलाजी, सर्जिकल आनकोलाजी तथा पेलियेटीव आनकोलाजी द्वारा किया जाता है। यह इलाज अच्छे से अच्छे मेडिकल हाॅस्पिटलों में संभव नहीं है। पारस कैंसर सेंटर पटना में अब तक हजारों कैंसर के मरीजों का सफल इलाज किया जा चुका है। जिस तरह यहां बोन मैरो ट्रांस्पलांट की सुविधा उपलब्ध है उसी प्रकार लीवर ट्रांसप्लांट की सुविधा आने वाले दिनों में दी जाएगी।

इस मौके पर कैंसर सरवाईवर मरीजों ने बताया कि यदि आपको कैंसर है तो तुरंत इलाज षुरू करें। पारस कैंसर संस्थान कैंसर के ईलाज के लिए एक प्रमुख केन्द्र है। पारस कैंसर सेंटर में कैंसर के इलाज के लिए एक से बढ़कर एक विशेषज्ञ डाक्टर हैं जो मेडिसीन तथा सर्जरी द्वारा इसका इलाज करते है। पारस कैंसर सेंटर में एक छत के नीचे सभी तरह की सुविधाएं उपलब्ध है। सर्जरी के लिए अपने-अपने फील्ड के विशेषज्ञ डाॅक्टर बहाल किये गये हैं। कीमोथेरेपी और रेडिएशन के लिए भी विशेषज्ञ डाक्टर के अलावा अत्याधुनिक मशीनें लगी है, जो सटीक स्थानों पर ही रेडिएशन देते हैं। यहां एक सबसे आधुनिक विश्वस्तरीय मशीन लगी है जिसे पेट-सिटी कहते हैं जो बताती है कि शरीर में किस भाग में कैंसर है। यहां इलाज के अलावा बिहार सरकार से गरीबों के लिए अनुदान भी दिलाया जाता है जिससे कई गरीब लोग भी यहां आकर अपना इलाज करवाते हैं।

हास्पिटल के रीजनल डायरेक्टर डाक्टर तलत हलीम ने बताया कि पारस कैंसर सेंटर में अत्याधुनिक तरीके से कैंसर मरीजों का इलाज किया जाता है। तम्बाकू खाने से कई तरह के कैंसर मरीजों का इलाज किया जाता है। तम्बाकू खाने से कई तरह के कैंसर होते हैं, इसलिए लोगों को तम्बाकू का सेवन पूर्णरूप से छोड़ देना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे सेंटर में मरीजों के इलाज सभी तरह की सुविधाएं, मशीन और डाॅक्टर्स उपलब्ध है। मरीजों की देखभाल के लिए प्रशिक्षित नर्स तथा दक्ष तकनीशियन बहाल किये गये है। इस मौके पर पारस कैंसर सेंटर के डा. आर. एन. टैगोर, डा. शेखर केसरी, डा. अविनाश कुमार सिंह, डा. रिदू कुमार, डा. अभिषेक आनन्द, डा. सुमैत्रा सिरकार, डा. मिताली डांडेकर लाल, तथा डा. स्नेहा झा भी मौजूद थीं।

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