बाबू हमार जीहें त बकरी चरइहें, खेते-खेते करिहें बनिहारी भारतवसिया

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किरिया पर जाई, माई-बाप मर जाई...। मलिकाइन के पाती ढेर दिन पर आइल बा। पाती के शुरुआत अबकी एही लाइन से मलिकाइन कइले बाड़ी।
किरिया पर जाई, माई-बाप मर जाई...। मलिकाइन के पाती ढेर दिन पर आइल बा। पाती के शुरुआत अबकी एही लाइन से मलिकाइन कइले बाड़ी।

मलिकाइन के पाती

बाबू हमार जीहें त बकरी चरइहें, खेते-खेते करिहें बनिहारी भारतवसिया..। लरिकाई में हम अपना बाबा के बाबूजी ई मुंह से ई गीतिया सुनीं त ओह बेरा एकर माने ना बुझाव। बाकिर आज जाके माने बुझाइल हा। पांड़े बाबा सबे रे बतावत रहनी हां कि कोटा में अंटकल लड़िका कुल्ह अब लवटत बाड़े सन। आज ओकनी के लेके टरेन पहुंचे वाली बिया। लउक डाउन (लाक डाउन) में ओइजा डाकदर-इंजियर (डाक्टर-इंजीनियर) के पढ़ाई पढ़े खातिर लाखों लड़िका-लड़िकी गइल रहले हां सन। का जाने ओइजा के मस्टरवा कवन जड़ी सुंघावे ले सन कि जे जाला उहवाम पढ़े, ऊ सगरी लोग पास हो जाला।

पांड़े बाबा कहत रहुवीं कि एह लउक डाउन में ओह लोग के अइसन दुरगति भइल बा कि फेर ऊ लोग जाये के भा ओह लोगन के गर्जिवन (गार्जियन) भेजे के नाम ली। कुछऊ होई अब एही जा पढ़ाई लोग। पांड़े बाबा के बड़कू दमाद के घर के दू गो लड़िका ओइजा रहले हां सन। एगो त उन कर बेटवे रहल हा आ दोसरका उनकर भतीजी रहल हिया। सुने में आवता कि ओकनियो के टरेन से आवत बाड़े सन। सरकार मनाही क दिहले बिया कि केहू ले जाये खातिर जनि आओ।

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पांड़े बाबा कहत रहुवीं कि ओकनी के टरेन से उतार के पहिले जंचइया होई। नीरोग होइहें सन त सरकार ओकनी के घर ले पहुंचाई। घरहूं अइला पर 14 दिन ले ओकनी के घर से नइखे निकले के। ओकरा बाद ऊ नीरोग रहिहें सन, तब घर से निकले के मिली। एतना सांसत एही से नू ओकनी के सहे के परता मलिकार कि दोसरा राज में पढ़े चल गइले सन। सुने में त इहो आवता मलिकार कमाये खातिर जे बाहर गइल रहल हा, उहो लोग लवटत बा। ओहू लोग के संगे अइसने कइल जाई।

ई कुल देख के मन डेरा गइल बा मलिकार। एगो त सवांग जब बाहर रहेला त अइसहीं मन छपटात रहेला। अइसन ई कोरना मुंहझौंसा बेमारी चलल कि आपन आदमी के अनचीन्ह बना दिहलस। बताई एतना दिन पर लोग घरे लौटी आ ओकरा संगे अछूत अइसन बेवहार कइसन लागी। हम त अब ठान लिहले बानी मलिकार कि कुछऊ हो जाव, अपन बाल बच्चा के पढ़े-कमाये खातिर कबो बाहर ना भेजब। भलहीं रउआ खिसियाईं-रिसिआईं। लड़कवो कोहनइहें सन, तबो हम जवन ठाल लेहले बानी, उहे करब। अब हमरा अपना बाबा के बाबूजी के कहल कहाउत के माने बुझा गइल बा। बाबू हमार जीहें त बकरी चरइहें, खेते-खेते करिहें बनिहारी..।

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लोगवो त धधाइल रहत रहल हा बाहर कमाये खातिर। नीमन-चीकन खाये-पहिरे खातिर लोग लाइन लगवले रहल हा। गांव में बूढ़ आ लड़िका छोड़ के एको जवान आदमी ना लउकत रहल हा। खेत खलिहा परल बाड़ी सन। केहू से खेती ना होई, बाकिर नीमन-चीकन रहे आ बड़का घसेटउआ फोन खातिर ई भागत रहले हां सन पंजाब, गुजरात, हरियाना, जयपुर आ ना जाने कवना-कवना शहर में। आखिर अब नाती लोग भाग के अपने माटी पर आवत बा। एही जा कमाइत-खाइत लोग त का जिनिगी ना कट जाइत।

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रउरा जानतानी मलिकार, पांड़े बाबा गिनावत रहुवीं तब हमरो धेयान अउवे। सरकार सस्ता में राशन दे तिया, लड़िकन के पढ़ाई के फीस नइखे लेत। किताबो सरकारे दे तिया। लड़िकी बाड़ी सन त ओकनी के पोशाक आ साइकिल के पइसा दे तिया। बीए ले पढ़ला पर लाख रुपिया इनाम दे तिया। बिजली गांव में आइए गइल बा। सड़क पकिया बनिये गइल बा। साढ़े तीन-चार सौ रुपिया दिहला के बादो मजूरा नइखन मिलत। अपना दुअरिया होके सड़क बनत रहे त ओइमे झाड़खंड के मजूरा आइल रहले सन। अपना इयां के एको मजूर ना। ईंटा-भट्ठा पर कहवां-कहवां से मजूरा आके के खटत बाड़े सन आ ई नाती लोग भागत बा दोसरा जगहा। इहो सुने में आइल मलिकार कि ई नवछेड़िहवा एह खातिर बाहर भागे के फेर में लागल रहत रहले हां सन कि अपना इहां दारू मिलत नइखे। चोरउआ मिलतो बा त दूना-तीनगुना दाम पर। ई पीये खातिर बाहर जात रहले हां सन। अब पीयलका केतना भारी परल ए नाती लोग के।

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हमरा त बुझाता मलिकार कि ई कोरनवा ठीके गियान दिहले बिया। साफ-साफ लउकत बा कि चीरई केतनो उड़िहें आकास, फेर करिहें धरती के आस। ई लोग धरती ध लिहल। दुर्दिन में इहे धरती काम आइल। अब धेयान राखी लोग त आपन धरती छोड़ के फेर बाहर जाये के नांव ना ली लोग। पांड़े बाबा कहत रहुवीं कि केतने त पैदल भाग परइले सन। ओइमे कई जाना रस्ते में चल बसल लोग। अब बताई मलिकार कि ओइसन लोग के बाल-बच्चा के का होई। केहू सुनवैया ना मिली। पाती फेर लमहर हो गइल। ढेर-ढेर बात मन में आवे लागत बा। रउरा धेयान राखेब।

राउरे, मलिकाइन

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