बंगाल में केंद्र की योजनाओं को अब लागू करने लगीं ममता बनर्जी

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मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आरोपों का करारा जवाब दिया है। उन्होंने अमित शाह को लिमिट पार न करने की चेतावनी दी।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आरोपों का करारा जवाब दिया है। उन्होंने अमित शाह को लिमिट पार न करने की चेतावनी दी।

बंगाल में केंद्र की जिन योजनाओं से ममता बनर्जी को नफरत थी और उन्हें लागू करने से वे कतराती रही हैं, अब उन्हें लागू करने में तनिक भी संकोच नहीं कर रहीं। PM किसान सम्मान योजना के तहत किसानों का केंद्रीय लाभ उन्होंने रोके रखा, लेकिन अब यह उन्हें उचित लग रहा है। बताया जाता है कि अपने रणनीतिकार प्रशांत किशोर की सलाह पर उनका मन बदला है। प्रशांत की सलाह है कि केंद्र की लाभकारी योजनाएं लागू न करने से बीजेपी को यह प्रचारित करने का अवसर मिल जाएगा कि ममता बनर्जी की जिद के कारण बंगाल केंद्रीय योजनाओं के लाभ से वंचित रह गया।

डी. कृष्ण राव

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कोलकाता। बंगाल में ममता बनर्जी आखिरकार किसानों को PM किसान सम्मान योजना के तहत सालाना 6000 रुपये पाने से रोक नहीं पायीं। बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार ने इस योजना को लागू नहीं किया तो क्या उन्होंने केंद्रीय पोर्टल में इसका आवेदन दिया था। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को मजबूरी में प्रेस कांफ्रेंस बुलाकर यह घोषणा करनी पड़ी कि केंद्रीय पोर्टल के आवेदनों की जांच कर जल्द मंजूरी दे दी जाएगी।

ममता ने यह भी कहा कि किसानों को कुछ अतिरिक्त मिल रहा है तो उन्हें मिलने देना चाहिए। इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। किसान को कहीं से कुछ मिलता है तो मिलने देना चाहिए। ममता यह बताना भूल गयीं या इस पर सफाई देने से बचती रहीं कि उनकी जिद के कारण PM किसान सम्मान योजना के लाभ से दो साल तक किसान वंचित रहे। बंगाल के 70 लाख किसानों को 12 हजार के हिसाब से जो रुपये मिलने थे, वे नहीं मिल पाये। उस राशि का क्या होगा, इस सवाल पर चर्चा में आने से पहले मामला क्या है, यह जानना जरूरी है।

राज्य सरकार के कारण पिछले 2 साल बंगाल में 70 लाख किसानों में से 21 लाख किसानों ने PM किसान सम्मान योजना के तहत सालाना 6000 रुपये पाने के लिए केंद्र सरकार के पोर्टल पर आवेदन कर दिए थे। इसके बाद केंद्र ने इन 21 लाख आवेदनों की जांच कर राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी। ममता बनर्जी को मजबूरन इसकी मंजूरी देने के लिए अगला कदम उठाना पड़ा। अब बीजेपी समेत सभी विपक्षी दलों की ओर से लगातार कहा जा रहा है कि राज्य सरकार को पिछले दो साल के रुपये भी किसानो को देना चाहिए।

अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या ममता बनर्जी अब केंद्र की सभी परियोजनाएं राज्य में लागू करेंगी? राजनीतिक जानकारों का कहना है कि ममता बनर्जी के खिलाफ  लगभग प्रत्येक जनसभा में बीजेपी के नेताओं ने आयुष्मान भारत, PM किसान सम्मान निधि जैसी योजनाओं के लाभ बंगाल के लोगों तक नहीं पहुंच पाने के लिए ममता बनर्जी जिम्मेवार हैं। इस हमले से बचने के लिए ममता बनर्जी ने सभी केंद्रीय योजनाएं राज्य में लागू करने की छूट दे दी हैं।

सूत्रों के मुताबिक ममता बनर्जी के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर पिछले कई माह से ममता बनर्जी से केंद्रीय योजनाओं को लागू करने की सलाह देते रहे हैं। उन्होंने ममता बनर्जी को यह भी सलाह दी कि केंद्रीय योजनाएं लागू न करने से ममता की  छवि खराब हो रही है। इसके बाद ही ममता ने यह ऐलान किया है। जानकारों का मानना है कि ममता बनर्जी हमेशा यह सोचती आयीं कि केंद्रीय योजनाएं लागू करने से नरेंद्र मोदी का प्रचार होगा। इसीलिए वह केंद्रीय योजनाओं को लागू करने से बचती रहीं। उपर से उन्हीं योजनाओं को अपने नाम कर प्रचार करती आयीं, ताकि नरेंद्र मोदी की छवि को इससे नुकसान पहुंचे।

इधर मिली जानकारी के अनुसार अटल पेंशन योजना, उज्जवला योजना को भी ममता जल्द मंजूरी दे सकती हैं। बीजेपी के बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय का आरोप है कि ममता अपनी राजनीतिक सुविधा अनुसार केंद्रीय योजनाओं को लागू करती हैं। ममता बनर्जी यह कहती हैं कि वे सभी को मुफ्त अनाज देती हैं, लेकिन यह नहीं बतातीं कि अनाज का  28 रुपया में कितना केंद्र सरकार देती है। महज 1 रुपया राज्य सरकर देती है। राज्य के 6 करोड़ 20 लाख लोगों को दिये जा रहे अनाज में केंद्र का योगदान है। इसमें केवल 1.5 करोड़ RKSY राज्य सरकार को देने पड़ते हैं।

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राजनीतिक जानकारों का मानना है कि ममता की स्वास्थ्य साथी कार्ड योजना सूपर फ्लाप है। इसका कारण यह है कि पहले चरण में जिन लोगों को यह कार्ड मिला था, निजी अस्पतालों में उसकी रकम सरकार चुका नहीं पायी। उपर से नया कार्ड लेकर जो निजी अस्पातालों में जा रहे हैं, अस्पाताल उन्हें चिकित्सा सुविधा देने से मना कर रहे हैं। इससे अच्छा था कि आयुष्मान भारत योजना लागू कर देतीं, जिसमें केंद्र को 60 प्रतिशत खर्च करना पड़ता है। यह भी चर्चा में है कि कोरोना काल में जो 42 लाख मजदूर वापस लौटे थे, उन्हें एक-एक हजार रुपया देने की घोषणा हुई थी। वह घोषणा भी अब तक जमीन पर नहीं उतरी। इससे साफ है कि अंतिम क्षण में केंद्र के आक्रमण से बचने के लिए केंद्र की सभी योजनाओं को लागू करने की ममता कोशिश कर रही हैं।

इधर  विकास के मुद्दे पर ममता के प्रति लोगों में जो केंद्र विरोधी छवि उभरी है, उससे वह जल्द निकलना चाहती हैं। इसीलिए पिछले पांच साल से बैरकपुर में ONGC का जो प्रोजेक्ट जमीन के लिए अंटका हुआ था, ममता बनर्जी ने अब जाकर घोषणा की है कि 40 एकड़ जमीन की उन्होंने मंजूरी दे दी है और उसके लिए एक रुपया भी नहीं लेंगी। उन्होंने यह भी घोषणा की है कि जमीन देकर राज्य सरकार खुश है, रुपये की जरूरत नहीं। राज्य में उद्योगों को आने दीजिए, जितनी जमीन की जरूरत होगी, विना मूल्य राज्य सरकार देगी।

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