पश्चिम बंगाल में बीजेपी अंतर्कलह से हो गयी है परेशान

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पश्चिम बंगाल बीजेपी में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। राज्यसभा सदस्य मुकुल राय पार्टी की बैठक से नदारद रहे। राजीव बनर्जी गवर्नर रूल का विरोध कर रहे हैं।
पश्चिम बंगाल बीजेपी में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। राज्यसभा सदस्य मुकुल राय पार्टी की बैठक से नदारद रहे। राजीव बनर्जी गवर्नर रूल का विरोध कर रहे हैं।
  • डी. कृष्ण राव

कोलकाता। टीएमसी के भीतर ही नहीं, बल्कि बीजेपी में भी भीतर ही भीतर नये-पुराने चेहरों को लेकर घमासान मचा हुआ है। राज्यभर में यह स्थिति है। पिछले ही दिनों पूर्व बर्दवान के भाजपा के जिला मुख्यालय में जिस तरह भाजपा के पुराने व पार्टी में शामिल हुए नए कार्यकर्ताओं में जमकर मार-पीट, पत्थरबाजी, आगजनी व तोड़फोड़ की घटना हुई। उसके बाद से बंगाल के राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा जोरों पर है कि बीजेपी जितनी तेजी से फैल रही है, उतनी ही तेजी से उसके भीतर अंतर्कलह भी बढ़ रहा है।

हाल ही में तृणमूल कांग्रेस से भाजपा में आए सांसद सुनील मंडल ने तो इस घटना के लिए ममता बनर्जी को ही जिम्मेदार ठहरा दिया। इसलिए कि घटना के दो दिन पहले पुरुलिया की सभा में ममता बनर्जी ने कहा था कि वह अपने समर्थकों को भाजपा में घुसाकर फूट पैदा करेंगी। हालांकि बीजेपी ने इसे गंभीरता से लिया है और बर्दवान जिला इकाई को शो काज किया है।

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केवल बर्दवान में ही नहीं, असनसोल में भी चुनावी रणनीति की तैयारी के लिए बैठक में केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रीयो के सामने हाथापाई शुरू हो गयी थी। लेकिन बाबुल सुप्रियो ने किसी भी तरह घटना को मैनेज कर लिया। वैसे बीजेपी ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है और इस बारे में शो काज जारी कर जानकारी मांगी है।

बंगाल के हर इलाके में इस तरह की घटनाएं हो रही हैं। आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? कुछ दिन पहले जब आसनसोल के विधायक जीतेंद्र तिवारी को पार्टी में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू हुई थी, तब खुद बाबुल सुप्रीयो ने ही विरोध करते हुए कहा था कि तृणमूल के जिन लोगों ने भाजपा के कार्यकर्ताओं को मारा, उन पर अत्याचार किया, उन्ही लोगों को पार्टी में शामिल नहीं किया जा सकता है। इस विद्रोह में शामिल होने के लिए भाजपा नेता शायंतन बसु व अग्निमित्रा पाल को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था।

आखिर इस विषय पर सज्ञान लेते हुए खुद गृह मंत्री को कहना पड़ा कि तृणमूल कांग्रेस से आने के लिए तो काफी संख्या में नेता व कार्यकर्ता तैयार हैं, लेकिन सभी को नहीं शामिल किया जाएगा। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस तरह की घटनाओं से लोगों में गलत संदेश जा रहा है। आम लोगों का कहना है कि अभी तक पार्टी सत्ता में नहीं आयी और अभी से ही पद के लिए आपसी कलह शुरू हो गया है।

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि हाल ही में एक टीवी चैनल के सर्वे में तृणमूल को 150 सीटें व भाजपा को 106 सीटें मिलती दिखायी गयी थीं। इस सर्वेक्षण से सबसे ज्यादा खुश बीजेपी के कार्यकर्ता दिखे, क्योंकि तृणमूल कांग्रेस से भाजपा में शामिल होने की होड़ में विराम लगेगा व पुराने कार्यकर्ताओं को तरजीह मिलेगी।

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