दिनेश त्रिवेदी और अर्जुन सिंह कभी दुश्मन थे, अब दोस्त बनेंगे

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दिनेश त्रिवेदी और अर्जुन सिंह के संदर्भ में यह कहना सटीक लगता है कि राजनीति में कब क्या हो जाये, किसी के लिए कह पाना मुश्किल है।
दिनेश त्रिवेदी और अर्जुन सिंह के संदर्भ में यह कहना सटीक लगता है कि राजनीति में कब क्या हो जाये, किसी के लिए कह पाना मुश्किल है।
  • डी. कृष्ण राव

कोलकाता। दिनेश त्रिवेदी और अर्जुन सिंह के संदर्भ में यह कहना सटीक लगता है कि राजनीति में कब क्या हो जाये, किसी के लिए कह पाना मुश्किल है। कभी अर्जुन सिंह और दिनेश त्रिवेदी एक दूसरे के राजनीतिक दुश्मन थे। अब दोनों साथ होंगे। एक म्यान में दो तलवारें रह नहीं सकतीं। हिंदी की यह कहावत बंगाल की राजनीति में झूठी साबित होने जा रही है। सन् 2018 में बैरकपुर के बाहुबली नेता अर्जुन सिंह  उस समय के तृणमूल सांसद दिनेश त्रिवेदी के कारण ही तृणमूल कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। अब उसी दिनेश त्रिवेदी को अर्जुन सिंह हाथ पकड़ कर बहुत जल्द भाजपा में शामिल कराने जा रहे हैं।

सन् 2018 तक बैरकपुर लोकसभा क्षेत्र में दिनेश त्रिवेदी व अर्जुन सिंह गुट के लोग रोज आपस में लड़ते थे। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार अर्जुन सिंह ने तृणमूल उम्मीदवार दिनेश त्रिवेदी को हराया था। इस लोकसभा चुनाव में एक दूसरे के खिलाफ इतना गाली गलौज हुआ कि दोनों काफी चर्चा में थे और अब दोनों एक ही पार्टी में होने जा रहे हैं। आखिर भाजपा कैसे मैनेज कर पाएगी इन दोनों नेताओं को?

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भाजपा सूत्रों से मिली खबर के मुताबिक भाजपा की रणनीति साफ है। चुनाव घोषणा होने के पहले तृणमूल में इतना तोड़फोड़ कर दिया जाए, ताकि तृणमूल चुनाव लड़ने के पहले ही मानसिक रूप से हार जाए। यही कारण है कि दिनेश त्रिवेदी को गुजरात से राज्यसभा का एमपी बनाया जाएगा और त्रिवेदी बंगाल की राजनीति पर ज्यादा ध्यान नहीं देंगे। दूसरी ओर अर्जुन सिंह को उत्तर कोलकाता व बैरकपुर का  मोर्चा सौंपा गया है, जिससे उनके वर्चस्व में कोई कमी नहीं आएगी।

दिनेश त्रिवेदी को यह कह दिया गया है कि वह दिल्ली की राजनीति पर खुद को केंद्रित करें। इधर इस समझौता से अर्जुन सिंह भी खुश हैं। उन्होंने कहा कि दिनेश त्रिवेदी का भाजपा में स्वागत है। एक साथ मिलकर काम करेंगे। भाजपा सूत्रों का कहना है कि दिल्ली में त्रिवेदी का अच्छी पकड़ है। दिल्ली में वह तृणमूल कांग्रेस के लिए दूसरी अन्य पार्टियों से लगातार संपर्क बनाए रखते थे। इसीलिए भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की ओर से त्रिवेदी को दिल्ली में रखना ही तय किया गया है। जानकारी के मुताबिक इस बार विधानसभा चुनाव में अर्जुन सिंह को भी टिकट मिल सकता है और भाजपा की सरकार बनने पर अर्जुन सिंह को मंत्री भी बनाया जा सकता है।

त्रिवेदी के टीएमसी छोड़ने से ममता बनर्जी को बड़ा झटका लगा है। त्रिवेदी ने “अन्तर्आत्मा की आवाज पर” राज्यसभा में बहस के दौरान इस्तीफे का ऐलान किया। साथ ही टीएमसी भी छोड़ दी। बंगाल भाजपा के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय, प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष और बैरकपुर से भाजपा सांसद अर्जुन सिंह ने त्रिवेदी भाजपा में आएं तो उनका स्वागत है। दूसरी ओर टीएमसी सांसद सौगत राय ने दिनेश त्रिवेदी के इस्तीफे पर दुख जताया। उन्होंने कहा कि पार्टी ने तो लोकसभा चुनाव हारने के बाद भी उन्हें राज्यसभा भेजा था।

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