झारखंड को समझना है तो इसके लोगों, प्रकृति व संस्कृति को देखिए

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नेशनल डिफेंस कॉलेज के प्रतिनिधिमंडल ने ली राज्य की आर्थिक-सामाजिक और प्राकृतिक संरचना की जानकारी
नेशनल डिफेंस कॉलेज के प्रतिनिधिमंडल ने ली राज्य की आर्थिक-सामाजिक और प्राकृतिक संरचना की जानकारी

रांची। झारखंड को समझना है तो इसके लोगों, प्रकृति व संस्कृति को देखिए। यह कहना है मुख्य सचिव डीके तिवारी का। वे नेशनल डिफेंस कॉलेज के प्रतिनिधियों से बात कर रहे थे। प्रतिनिधिमंडल ने राज्य के आला अधिकारियों से मंगलवार को झारखंड मंत्रालय में राज्य की आर्थिक, सामाजिक और प्राकृतिक संरचना सहित विधि-व्यवस्था की जानकारी ली। मुख्य सचिव डॉ. डीके तिवारी ने झारखंड के महत्वपूर्ण बिन्दुओं को रेखांकित करते हुए प्रतिनिधिमंडल से आग्रह किया कि झारखंड की नब्ज पहचाननी है तो इसके लोगों, प्रकृति और संस्कृति को देखिए और महसूस करिए।

उन्होंने कहा कि इस राज्य में आदिवासी-गैर आदिवासी का परस्पर सह अस्तित्व अति विशिष्ट है। बहुत सारी परंपराएं और सांस्कृतिक गतिविधियां दोनों समुदायों में समान हैं। यहां के लोग स्वभावतः उत्सवजीवी हैं। प्रकृति से इनका गहरा लगाव है। नृत्य, संगीत और खेल झारखंडवासियों के रक्त में है। हिंदी प्रमुख भाषा है, लेकिन दर्जनों जनजातीय बोली और भाषा झारखंड की बगिया को अलग-अलग रंगों और खुशबू से अलंकृत करती हैं। वहीं नेतरहाट का प्राकृतिक सौंदर्य और पारसनाथ का धार्मिक महत्व पूरे देश का ध्यान आकृष्ट करता है।

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संपन्नता के साथ समस्या भी बढ़ी

मुख्य सचिव ने झारखंड की ऐतिहासिकता, भौगोलिक और सामाजिक जीवन की संक्षिप्त विवेचना करते हुए बताया कि देश के 40 प्रतिशत प्राकृतिक संसाधन झारखंड में हैं। यूरेनियम के मामले में पूरे देश में इकलौता राज्य है। वहीं कोयला और लौह अयस्क के उत्पादन में देश का अग्रणी राज्य है। टाटा और बोकारो जैसे इस्पात उद्योग भी यहीं हैं।

उन्होंने कहा कि खनिज संपन्न राज्य होने के साथ ही खनन से जुड़ी कई समस्याएं भी हैं। पानी दूषित हुआ है। स्वास्थ्य की समस्या बढ़ी है तथा पर्यावरण को भी क्षति पहुंची है। उन्होंने कहा कि 27 फीसदी आदिवासी जनसंख्या को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार यहां ट्राइबल सब प्लान के तहत काम कर रही है। 45 फीसदी प्राकृतिक भूमि पर खेती-किसानी को बेहतर स्थिति में ले जाने को प्रयासरत है। यही कारण है कि आज राज्य विकास की ओर बढ़ रहा है।

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मुख्य सचिव ने राज्य में नक्सलवाद के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि पिछले एक दशक के भीतर इसमें कमी आई है, लेकिन अभी चुनौती बनी हुई है। इस समस्या को जड़ से मिटाने के लिए उन क्षेत्रों में विकास को हथियार बनाकर प्रयास जारी है। अपर मुख्य सचिव गृह सुखदेव सिंह ने अंत में झारखंड के विकास और इसकी चुनौतियों पर पूरी चर्चा को समेकित करते हुए कहा कि झारखंड अपनी क्षमता और सही दिशा से जल्द ही देश के सबसे विकसित राज्यों में एक होगा। डीजीपी कमल नयन चौबे ने राज्य की विधि व्यवस्था और उग्रवाद की स्थितियों पर विस्तृत जानकारी देते हुए प्रतिनिधिमंडल के प्रश्नों का भी जवाब दिया।

विभागीय सचिवों ने भी दी जानकारी

इसके अलावा ऊर्जा विभाग के अपर मुख्य सचिव एलके ख्यांगते, स्कूली शिक्षा के प्रधान सचिव एपी सिंह, ग्रामीण विकास के प्रधान सचिव अविनाश कुमार, स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव नितिन मदन कुलकर्णी, नगर विकास के प्रधान सचिव अजय कुमार सिंह, कृषि सचिव पूजा सिंघल आदि ने भी अपने-अपने विभागों के माध्यम से किए जा रहे विभिन्न विकासात्मक कार्यों और राज्य की सामाजिक आर्थिक स्थितियों की संक्षिप्त जानकारी प्रतिनिधिमंडल को दी।

इस दौरान प्रतिनिधिमंडल की जिज्ञासाओं पर भी विभागीय प्रधान सचिव और सचिव ने अपनी बात रखी। पूरी चर्चा को सार्थक और महत्वपूर्ण बताते हुए प्रतिनिधिमंडल ने राज्य सरकार के प्रति आभार प्रकट किया। रक्षा मंत्रालय द्वारा संचालित नेशनल डिफेंस कॉलेज के प्रतिनिधिमंडल के झारखंड आने का मकसद यहां की सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक गतिविधियों की जानकारी लेना था। इस अध्ययन यात्रा के फलितार्थों को आगे कॉलेज के कोर्स में सम्मिलित किया जाएगा। मेजर जनरल यू सुरेश कुमार के नेतृत्व में 14 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में टूर कोऑर्डिनेटर भारतीय पुलिस सेवा के श्री अखिल कुमार तथा कॉलेज के फैकल्टी और कोर्स मेंबरों में ब्रिगेडियर से लेकर अन्य वरीय के स्तर के सैन्य अधिकारी शामिल थे।

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