चुनाव आयोग ने BSF और CRPF को भी सुरक्षा की गारंटी मांगी

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बंगाल में अंतिम चरण के चुनाव में भी हिंसा नहीं थमी। सुरक्षा के व्यापक तामझाम के बावजूद बंगाल में आठवें चरण का मतदान भी शांतिपूर्ण नहीं रहा।
बंगाल में अंतिम चरण के चुनाव में भी हिंसा नहीं थमी। सुरक्षा के व्यापक तामझाम के बावजूद बंगाल में आठवें चरण का मतदान भी शांतिपूर्ण नहीं रहा।

कोलकाता। चुनाव आयोग ने बंगाल पुलिस से BSF और CRPF की सुरक्षा की गारंटी मांगी है। आयोग की टीम ने बंगाल में चुनाव की पुलिसिया तैयारियों की समीक्षा की। CID प्रमुख ज्ञानवन्त सिंह से चुनाव आयोग की टीम असंतुष्ट दिखी। आयोग ने DM-SP को भी कड़ा निर्देश दिया कि आयोग के निर्देशानुसार काम नहीं हुआ तो अधिकारियों को सस्पेण्ड भी किया जा सकता है। बंगाल पुलिस के साथ BSF और CRPF को भी सुरक्षा का जिम्मा देने का आ.ग ने संकेत दिया। आयोग को जो शिकायतें मिली हैं, उसमें कहा गया है कि असामाजिक तत्व पारा मिलिट्री फोर्स पर हमले कर सकते हैं। बंगाल की पुलिस पर हमले का अंदेशा है। इसलिए आयोग ने पहले से ही सख्ती बरतनी शुरू कर दी है।

चुनाव आयोग की समीक्षा बैठक के बाद ये संकेत उभर कर सामने आए हैं कि 900 कंपनी सेंट्रल फोर्स की उतारी जा सकती है। चुनाव आयोग ने आज 10 राजनीतिक दलों के साथ बैठक भी की। उनके सुझाव और आपत्तियों की सूची स्वीकार की। बीजेपी ने आशंका जताई है कि चुनाव के दौरान राज्य की पुलिस ममता बनर्जी की मदद कर सकती है। यही नहीं, आशंका यह भी है कि स्वतंत्र चुनाव कराने की इच्छुक राज्य पुलिस के जवानों पर भी हमले हो सकते हैं। शायद यही वजह है कि चुनाव आयोग ने साफ-साफ संकेत दे दिया है कि केंद्रीय बलों और राज्य के पुलिस कर्मियों की सुरक्षा राज्य सरकार की पुलिस महकमे के लोग करेंगे। ऐसा करने में जो भी विफल होगा उसे, सस्पेंड करने की भी चेतावनी आ.ग द्वारा दी गई।

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चुनाव आयोग की टीम ने इससे पहले भी बंगाल का दौरा किया थाय़ केंद्रीय चुनाव उपायुक्त सुदीप जैन ने अपने पिछले दौरे के वक्त कानून व्यवस्था को लेकर चिंता जाहिर की थी। इस संबंध में उन्होंने अपनी रिपोर्ट मुख्य चुनाव आयुक्त को भी सौंपी थी। इस बार चुनाव आयोग की पूरी टीम आयी है।

चुनाव आयोग के सूत्रों के मुताबिक इस बार मतदान केंद्रों की संख्या एक लाख से अधिक होगी। 2016 में पश्चिम बंगाल में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान मतदान केंद्रों की संख्या 79 हजार के आसपास थी। इस बार बूथों की संख्या एक लाख से ऊपर जा सकती है। बूथों की संख्या बढ़ती है तो केंद्रीय बलों की तैनाती भी अधिक होगी।

सीधे शब्दों में कहें तो इस बार विधानसभा का चुनाव राज्य की पुलिस के भरोसे नहीं, बल्कि केंद्रीय बलों की देखरेख में होगा। ताकि गड़बड़ी की कोई गुंजाइश न बचे। बीजेपी लगातार यह कहती रही है कि पश्चिम बंगाल में केंद्रीय बलों की तैनाती चुनाव से पहले ही कर दी जाए। इसलिए कि चुनाव के लिए जो सभाएं हो रही हैं या जुलूस निकाले जा रहे हैं, उनमें असामाजिक तत्वों के हमले हो रहे हैं। हालांकि बीजेपी हमला करने वालों को टीएमसी समर्थक होने की बात कहती है। चुनाव आयोग के सामने बंगाल में हिंसा रहित निष्पक्ष चुनाव कराने की सबसे बड़ी चुनौती होगी। इसलिए कि राज्यपाल ने भी चुनाव में हिंसा की आशंका जाहिर की है। हाल के दिनों में एक दूसरे की सभा में हंगामा और रोड़ेबाजी को देखते हुए यह आशंका जाहिर की जा रही है कि निर्विघ्न चुनाव कराना आसान नहीं होगा।

ममता बनर्जी के लिए बड़ा टेंशन, फुरफुरा शरीफ ने फ्रंट बनाया

ममता बनर्जी के लिए बड़ी टेंशन पैदा हो गयी है। बंगाली सुसलिमों के संगठन फुरफुरा शरीफ के प्रमुख पीरज़ादा अब्बास सिद्दीकी ने Indian Secular Front बना लिया है। उन्होंने बाजाप्ता आज इसकी घोषणा भी कर दी। उन्होंने कहा- तृणमूल ने सपने दिखाकर 10 साल धोखा दिया। सनद रहे कि फुरफुरा शरीफ के साथ ही ओवैसी ने AIMIM के लड़ने की बात कही थी बात।

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