कृषि क्षेत्र में मनरेगा की भूमिका पर किसानों से सीधा संवाद

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पटना। लोक संवाद में मनरेगा की भूमिका पर किसानों के साथ संवाद कार्यक्रम का आयोजित हुआ। इस संवाद कार्यक्रम में राज्य के सभी जिलों के चुने हुए किसान उपस्थित थे, जिन्होंने अपने उपयोगी एवं सार्थक सुझाव दिए। उल्लेखनीय है कि 17 जून को दिल्ली में सम्पन्न नीति आयोग की बैठक में सात मुख्यमंत्रियों की एक उप समिति बनायी गई है। मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार भी इस उप समिति के सदस्य हैं। मुख्यमंत्री ने किसानों के व्यापक हित को देखते हुये स्वयं किसान प्रतिनिधियों के साथ संवाद कर उनके सुझाव एवं मंतव्य प्राप्त करने के लिये संवाद कार्यक्रम का आयोजन कराया। इस आयोजन में मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार अस्वस्थता के कारण भाग नहीं ले सके, लेकिन किसानों के साथ संवाद कार्यक्रम उप मुख्यमंत्री सहित संबंधित विभागों के मंत्री, प्रधान सचिव/सचिव के समक्ष आयोजित हुआ।

मनरेगा का उद्देश्य कम से कम 100 दिन मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराना है, साथ ही परिसंपत्तियों का भी निर्माण करना है। उप समिति को मनरेगा से जुड़ी कुछ बिंदुओं पर सुझाव देने हैं। जैसे कृषि कार्य में बुआई के पहले और कटाई के बाद मनरेगा के तहत किए जाने वाले कार्य को किस प्रकार कृषि से जोड़ा जा सकता है। जल संचयन, जमीन लेवलिंग, वर्मी कंपोस्ट, मवेशी शेड का निर्माण, गोदाम का निर्माण, वृक्ष लगाना, ग्रामीण बाजार का निर्माण जैसे अन्य और कौन-कौन से कार्य किए जा सकते हैं। कृषि क्षेत्र में हो रहे हृास को रोकने के लिए किस प्रकार मनरेगा का सदुपयोग किया जा सकता है। मजदूरों को मजदूरी की दर का निर्धारण/बढ़ोतरी, काम की निरंतरता जैसे बिंदुओं पर विचार करने की जरुरत है। गरीब, छोटे एवं लघु किसानों, अनुसूचित जाति, जनजाति के लोगों को मनरेगा के माध्यम से विकास एवं विविधता को प्रारंभिक साधन के लिए कैसे उपयोग किया जा सकता है। मनरेगा, सेल्फ हेल्प ग्रुप, उत्पादक समूह जैसे वर्गों से जुड़कर किस प्रकार रोजी रोटी का माध्यम बन सकता है। मनरेगा की निरंतरता, प्रभावकारिता एवं सक्षमता को और बेहतर बनाने के लिए क्या करने की जरुरत है। गोबर, बंधन जैसी योजना से किस प्रकार मनरेगा का सम्मिलन कराया जा सकता है और इसका लाभ कृषि क्षेत्र में उठाया जा सकता है।

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इन  बिन्दुओं  के  आलोक  में  संवाद  के  दौरान  लगभग 35 किसानों  ने  इस  संबंध  में महत्वपूर्ण और उपयोगी सुझाव दिये। लोक संवाद में किसानों से यह भी अनुरोध किया गया कि यदि उनके कुछ अन्य सुझाव भी हों तो एक-दो दिनों के अंदर लिखित रूप में भी वे उपलब्ध करा सकें। प्राप्त सुझावों एवं मंतव्यों के आधार पर आगे की कार्रवाई राज्य सरकार द्वारा की जायेगी। कार्यक्रम की शुरुआत में राज्य के प्रत्येक जिले के किसान प्रतिनिधियों ने अपने सुझाव रखे। इनमें श्री सुधांशु सिंह, श्रीमती विद्या रानी सिंह, श्री अजय कुमार, श्री उमाशंकर सिंह, श्री कुमार प्रेमचंद, श्री रामा प्रसाद, श्री अभिषेक कुमार शर्मा,  श्री मोहन सिंह, श्री विनीत कुमार, श्रीमती इंदु कुमारी, श्री दमड़ी पासवान, श्री अभिषेक कुमार, श्री मनोज कुमार, श्री देवेंद्र झा, श्री बृजमोहन साह, श्री राम  सूरत महतो, श्री मुशर्रफ  खलील, श्री मृत्युंजय कुमार सिंह, श्री संजीव कुमार, श्री वेद व्यास चैधरी, श्री अभयकांत झा, श्रीमती सुजाता साहा, श्री राम सुंदर महतो, श्री रणविजय रौशन, श्रीमती नेली सोरेन, श्री सुनील कुमार सिंह, श्री हेम नारायण मिश्र, श्री भोला मंडल, श्री मो. मजहरुल हक ने कृषि से संबंधित अपने-अपने सुझाव रखे।

किसानों के साथ संवाद कार्यक्रम में उप मुख्यमंत्री श्री सुशील कुमार मोदी, कृषि मंत्री श्री प्रेम कुमार, ग्रामीण विकास मंत्री श्री श्रवण कुमार, सहकारिता मंत्री श्री राणा रणधीर सिंह, पंचायती राज मंत्री श्री कपिल देव कामत, मुख्यमंत्री के परामर्शी श्री अंजनी कुमार सिंह, मुख्य सचिव श्री दीपक कुमार, विकास आयुक्त श्री शशि शेखर शर्मा, प्रधान सचिव वित्त श्रीमती सुजाता चतुर्वेदी, प्रधान सचिव कृषि श्री सुधीर कुमार, प्रधान सचिव सहकारिता श्री अतुल प्रसाद, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री चंचल कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव श्री अतीश चंद्रा, मुख्यमंत्री के सचिव श्री विनय कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव श्री मनीष कुमार वर्मा, खाद्य एवं उपभोक्ता विभाग के सचिव श्री पंकज कुमार, ग्रामीण विकास विभाग के सचिव श्री अरविंद कुमार चैधरी, विशेष सचिव मुख्यमंत्री सचिवालय श्री अनुपम कुमार, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी श्री गोपाल सिंह सहित अन्य विभागों के वरीय पदाधिकारी एवं राज्य के अन्य क्षेत्रों से कृषि कार्य से जुड़े अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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