कांग्रेस गरीबों को अब तक महज वोट समझती रही है: राजीव रंजन

0
120
कांग्रेस
कांग्रेस

पटना। कांग्रेस गरीबों को अब तक महज वोट समझती रही है। कांग्रेस का इतिहास देखें तो गरीबी हटाने के नाम पर वह शोषण करती रही है। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता सह पूर्व विधायक श्री राजीव रंजन ने कहा कि कांग्रेस का इतिहास देखें तो दशकों से इनके नेता गरीबी हटाने के नाम पर सत्ता की मलाई खाते रहे हैं, लेकिन गरीबों की स्थिति में कोई सुधार नही हुआ। अलबत्ता इनके नेता अरबपती जरूर बन गए।

उन्होंने कहा कि हकीकत में कांग्रेस चाहती ही नहीं कि देश का गरीब कभी आगे बढ़े। इन्हें डर लगता है कि अगर देश से गरीबी मिट गयी तो फिर इन्हें वोट कौन देगा। यही वजह है दशकों से इनके नेता खोखले वादों से जनता का पेट भरने का प्रपंच रचते रहे हैं। यह कोई संयोग नहीं है कि कांग्रेस जब-जब सत्ता में आयी है, गरीबों की स्थिति और बद से बदतर होती गयी है।

- Advertisement -

कोई कैसे भूल सकता है कि 2004 में भी इन्होने ऐसा ही वादा किया था और 2009 में भी, लेकिन आंकड़ों को देखें तो 2012 में देश गरीबी के मामले में पाकिस्तान जैसे खस्ताहाल मुल्क से भी पीछे था। लेकिन मोदी सरकार में

स्थितियां बदली हैं और आज हर मिनट 44 भारतीय अत्यंत गरीबी सीमा से ऊपर आ रहे हैं, जिसकी पुष्टि दुनिया की प्रतिष्ठित एजेंसी ब्रुकिंग्स ने भी की है।

इसी तरह इन्होंने गरीबों को घर देने का वादा किया था, लेकिन अपने पिछले 10 साल के राज में मात्र 55 लाख घर ही बना पाए। उनमें से भी अधिकांश भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गए, जबकि मोदी सरकार ने मात्र 5 वर्षों में ही 1.53 करोड़ घरों का निर्माण किया, जो रसोई गैस, पेयजल और बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं से युक्त हैं और पहले की तुलना में इनका आकार भी बड़ा हुआ है।

यह भी पढ़ेंः जगजीवन राम, जिन्हें कभी अगड़ों ने दुत्कारा, फिर बाबूजी कह पुकारा

याद करें तो 2009 में पहले इनकी सरकार ने और बाद में खुद सोनिया जी ने देश के सभी गांवों में 1-2 वर्ष में बिजली पंहुचा देने का वादा किया था, लेकिन यह काम भी मोदी राज में ही मुमकिन हो पाया। श्री रंजन ने आगे कहा कि कांग्रेस के पुराने घोषणापत्रों को उठा कर देखें तो शायद ही कोई वादा होगा, जो इन्होंने पूरा किया है। अब इस चुनाव में भी यह वही कर रहे हैं। सत्ता पाने के लालच में कांग्रेस फिर से अजीबोगरीब वादे कर रही है, लेकिन उन्हें पूरा कैसे करेगी, इस पर कोई जवाब नहीं दे पा रहे।

यह भी पढ़ेंः तिहास से जरूर सीखिए, पर दोहराने की कोशिश से बचिए

- Advertisement -