कहानी शबाना की जीवन की

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कहानी जीवन की

सार्थक समय डेस्क : शबाना ऊर्दू के मशहूर शायर कैफी आजमी की बेटी हैं। उनकी माँ शौकत आजमी भी थिएटर की आर्टिस्ट थीं। मां से विरासत में मिली अभिनय-प्रतिभा को सकारात्मक मोड़ देकर शबाना ने हिन्दी फिल्मों में अपने सफर की शुरूआत की।

शबाना की पढ़ाई

शबाना ने अपनी शुरुआती पढ़ाई क़्वीन मैरी स्कूल मुंबई से की है। उन्होंने मनोविज्ञान (Psychology) में स्नातक किया है. उन्होंने स्नातक की डिग्री मुंबई के सेंट जेवियर कॉलेज से ली है. शबाना आजमी ने अभिनय का कोर्स फिल्म एंड टेलिविजन इंस्टिटीयूट ऑफ इंडिया (Film and Television Institute of India), पुणे से किया है।

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 शादी

शबाना आजमी की शादी हिंदी सिनेमा के मशहूर संगीतकार जावेद अख्तर से हुई है। जावेद अख्तर से शबाना का मेलजोल 1970 में शुरू हुआ। जावेद कैफी आजमी से लिखने की कला सीखते थे।जावेद अख्तर और शबाना आजमी के बीच नजदीकियां इसी दौरान बढ़ीं। दोनों के बीच अफेयर की भनक मीडिया को भी लग गई। शबाना आजमी को लेकर आए दिन जावेद अख्तर और हनी के बीच लड़ाईयां होने लगीं। जावेद अख्तर ने तलाक का फैसला लिया और वो शबाना से शादी की।उनकी यह जोड़ी आज भी लोग के लिए मिसाल है।

 करियर

शबाना के करियर का शानदार दौर1980 का दशक रहा 1983 से 1985 तक लगातार तीन साल तक उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया। अर्थ, खंडहर और पार जैसी फिल्मों के लिए उन्हें ये सम्मान दिया गया।
उस दौर में शबाना ने खुद को ग्लैमरस अभिनेत्रियों की भीड़ से स्वयं को अलग साबित किया। अर्थ, निशांत, अंकुर, स्पर्श, मंडी, मासूम, पेस्टॅन जी में शबाना आजमी ने अपने अभिनय की अमिट छाप दर्शकों पर छोड़ी। वहीं अमर अकबर एंथोनी, परवरिश व मैं आजाद हूं जैसी व्यावसायिक फिल्मों में अपने अभिनय के रंग भरकर शबाना आजमी ने सुधी दर्शकों के साथ-साथ आम दर्शकों के बीच भी अपनी पहुंच बनाए रखी।

विवादास्पद फिल्म फायर
प्रयोगात्मक सिनेमा के भरण-पोषण में उनका योगदान उल्लेखनीय है। फायर जैसी विवादास्पद फिल्म में शबाना ने बेधड़क होकर अपनी अभिनय प्रतिभा का प्रमाण दिया। इसमें वे नंदिता दास के साथ एक लेस्बियन संबंध वाले अपने किरदार में एक अलग ही रंग भरतीं हैं। वहीं, बाल फिल्म मकड़ी में वे चुड़ैल की भूमिका निभाती हुई नजर आई।

प्रसिद्ध फ़िल्में
अंकुर, अमर अकबर अन्थोनी , निशांत, शतरंज के खिलाड़ी, परवरिश, किस्सा कुर्सी का, कर्म, आधा दिन आधी रात, स्वामी ,देवता ,जालिम ,अतिथि ,स्वर्ग-नरक, थोड़ी सी बेवफाई, स्पर्श, अमरदीप ,बगुला-भगत, एक ही भूल, हम पांच, अपने पराये ,लोग क्या कहेंगे, दूसरी दुल्हन गंगवा,कल्पवृक्ष, पार, कामयाब ,द ब्यूटीफुल नाइट, मैं आजाद हूँ, इतिहास व मटरू की बिजली का मंडोला।

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