अमित शाह आज रांची में, कल पहुंचेंगे पटना, सुलझायेंगे पेंच

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रांची/ पटना। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह झारखंड दौरे पर रांची पहुंच गये हैं। एक दिन के दौरे पर यहां आये शाह वर्ष 2019 में होने वाले आम चुनावों के साथ-साथ झारखंड विधानसभा चुनावों की तैयारियों की रणनीति पर संगठन के नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ चर्चा करेंगे। कल उन्हें पटना पहुंचना है। पटना में पार्टी नेताओं के साथ वह 2019 के लोकसभा चुनाव की रणनीति पर चर्चा करेंगे और नेताओं को बूथ स्तर तक पहुंचने की हिदायत भी देंगे। उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती राजग के घटक दलों के साथ सीट शेयरिंग की होगी। इस बारे में उनकी योजना नीतीश कुमार के साथ नाश्ता और रात्रिभोज के दौरान चर्चा करने की है।

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में श्री शाह ने आईटी व मीडिया सेल के पदाधिकारियों के साथ बैठक की। स्टेट गेस्ट हाउस में चुनाव प्रबंधन कमेटी व लोकसभा प्रभारियों के साथ बैठक में हिस्सा लिया। में पार्टी कोर कमेटी के सदस्य व प्रदेश के महामंत्री मौजूद थे। कल सुबह वह पटना के लिए प्रस्थान करेंगे।

रांची में शाह ने प्रदेश नेतृत्व को सौंपे गये कामों की जानकतारी ली। बूथ तक पहुंचने के फार्मुले के बारे में पूछा। बूथ कमेटियां बनी कि नहीं, इसकी जानकारी ली। हर बूथ पर मोटरसाइकिल धारी कार्यकर्ताओं की सूची के बारे में पूछा। वाट्स ऐप इस्तेमाल करने वाले कार्यकर्ताओं की जानकारी ली।

पटना में भी तकरीबन यही एक्सरसाइज अमित शाह करेंगे। सीट शेयरिंग को लेकर चल रहे विवाद पर नीतीश कुमार से बातचीत होने की संभावना भी व्यक्त की जा रही है। बिहार में राजग के तीन घटक दल- लोजपा, रालोसपा और जदयू हैं। सभी पिछली जीती सीटों से ज्यादा की मांग कर रहे हैं। सर्वाधिक पेंच जदयू के साथ है, जिसके महज दो सदस्य संस्द में हैं।

बिहार राजग का बड़ा साझीदार होने के कारण जदयू बराबर की हिस्सेदारी चाहता है। इस मसले को सुलझाने में अमित शाह काम.ब हो गये तो राजग की राह बिहार में आसान हो जायेगी। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि अगर घटक दलों की मुंहमांगी सीटें भाजपा ने दे दी तो वह खुद अल्पसंख्यक हो जायेगी, जो शाह कतई नहीं चाहेंगे। दूसरा पेंच बिहार में यह भी है कि लोकसभा का चुनाव बिहार में किसके नेतृत्व में लड़ा जाये। जदयू खेमे से अभी तक जो बातें निकल कर आती रही हैं, उसमें नीतीश के चेहरे पर लोकसभा का चुनाव लड़ने की चर्चा है। शाह नहीं जाहेंगे कि पूरे देश में नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव हो और बिहार में नीतीश के चेहरे पर। हालांकि यह ज्यादा पेचीदा मसला नहीं है।

 

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