कोरोना तो जाएगा, चाहे जब जाए, अभी तो इसने तबाही मचा रखी है

0
317
कोरोना की पहुंच पेट के बाहर तक ही नहीं रही, पैठ अंदर तक हो गई है। कोरोना साथ लिए आ रहे हैं शिशु। ऐसे में सहज सवाल- कौन है कोरोना से सुरक्षित? पढ़िए, कोरोना डायरी की इक्कीसवीं किस्त वरिष्ठ पत्रकार डॉ. संतोष मानव की कलम से।
कोरोना की पहुंच पेट के बाहर तक ही नहीं रही, पैठ अंदर तक हो गई है। कोरोना साथ लिए आ रहे हैं शिशु। ऐसे में सहज सवाल- कौन है कोरोना से सुरक्षित? पढ़िए, कोरोना डायरी की इक्कीसवीं किस्त वरिष्ठ पत्रकार डॉ. संतोष मानव की कलम से।

कोरोना तो जाएगा, चाहे जब जाए, मगर अभी तो इसने तबाही मचा रखी है। न्यूयार्क से खबर है, मुर्दों के लिए कब्र नहीं हैं। सारे कब्रिस्तान भर गए हैं। जून तक की वेटिंग है। बताइए, माह-दो माह कब्र के लिए शव पड़े रहेंगे। ऐसा सुना था कभी? कोरोना काल में पता नहीं, क्या-क्या देखेन-सुनने को मिलेगा! विस्तार से जानने के लिए पढ़िए कोरोना डायरी ती 13वीं कड़ीः

कोरोना डायरी: 13

- Advertisement -

हिजबुल का कमांडर रियाज नायकू कश्मीर में मारा गया। दुर्दांत आतंकवादी। बारह लाख का इनामी। पहले गणित का प्राध्यापक था। उसका मारा जाना सुरक्षा बलों की बड़ी कामयाबी है। नायकू पुलवामा के बेगपोरा गांव में अपनी बीमार मां से मिलने आया था। टेलीविजन वाले चीख-चीखकर बता रहे हैं। लेकिन, लोग आतंकवादी बनते ही क्यों है? अगर वह कारण ही समाप्त हो जाए, जिसके कारण कोई आतंकवादी बनता है, तो कितना अच्छा हो?  यह सवाल ठीक है, पर किसी आतंकवादी का मारा जाना हमेशा शुभ है, होता है। खून की होली खेलने वाले को मौत मिलनी ही चाहिए।

देश-दुनिया में कोरोना की करुण कहानियों के बीच आतंकवादी का मारा जाना? काश! कोई इस कोरोना आतंकी को मार देता।  जिस दिन कोई कोरोना को मार देगा, हम जरूर थाली पीटेंगे। कसम से। शपथ ले लो। कोरोना दुनिया का सबसे बड़ा आतंकी है। इससे बड़ा कौन? अकेले अमेरिका में कोरोना ने अब तक 73 हजार लोगों की जान ली है। ब्रिटेन में 30 और इटली में 29 हजार। पूरी दुनिया में 2 लाख 73 हजार से ज्यादा। इससे बड़ा आतंकी  हुआ था आजतक? इस अदृश्य आतंकी को कोई क्यों नहीं मारता? इजरायल ने तो कहा है कि वैक्सीन तैयार है। पेटेंट मिलते ही उत्पादन प्रारंभ होगा। अमेरिका, भारत में भी ट्रायल की खबर है। ठीक है कोरोना, कब तक खैर मनाओगे। एक न एक दिन तो जाना पड़ेगा?

जाएगा, जब जाएगा। अभी तो इसने तबाही मचा रखी है। न्यूयार्क से खबर आई है। मुर्दों के लिए कब्र नहीं है। सारे कब्रिस्तान भर गए हैं। जून तक की वेटिंग है। बताइए, माह-दो माह कब्र के लिए शव पड़े रहेंगे। ऐसा सुना था कभी? तो अब सुन लो। अपने देश में भी ऐसा ही है। कुछ फर्क के साथ। सनातन धर्म में दाह-संस्कार के बाद बची अस्थियां चुनी जाती हैं। फिर इसे पवित्र नदियों में विसर्जित किया जाता है।  45 दिनों से आवागमन के साधन बंद हैं। सो, अस्थियां भी इंतजार में हैं।  श्मशानघाटों में रखे हैं अस्थि कलश। कहीं ढाई सौ, कहीं दो सौ—–!  देश ने ऐसा दृश्य कभी न देखा था। कोरोना आतंकवादी ने दिखा दिया।

कोरोना का महाभारत। टेलीविजन पर महाभारत। युगपुरुष भीष्म बाणशय्या पर हैं। उन्हें इच्छा मृत्यु का वरदान है। उनके प्राण तभी जाएंगे, जब वे  चाहेंगे। उनकी माता गंगा, पिता शांतनु कहते हैं- चलो पुत्र। पर भीष्म नहीं जाएंगे। हस्तिनापुर को चहुंओर ओर से सुरक्षित देख लेंगे, तभी जाएंगे। कोरोना विश्व वायरस है। दुनियाभर में है। यह क्या चाहता है? हाहाकार तो मचा रखा है। देश-दुनिया को गहन पीड़ा में डाल रखा है। अब क्या चाहता है दुष्ट?

कोरोना काल के चार साथी- किताब, टेलीविजन, अखबार और कोरोना चिंतन। चलो, किताब पलटते हैं। कौन सी? सेल्फ से बाहर रखी है पांच से ज्यादा—। सावरकर वाली पूरी हो गई। रेणु वाली भी। लोहिया वाली? कुछ पन्ने हैं शेष। नहीं, ओशो वाली-जीवन जीने की कला। क्या लिखा है- क्या करोगे मौत पर विजय पाकर? मौत जीवन की विपरीत अवस्था नहीं है: जीवन को नित नया करने की आवश्यकता है। मौत से गुजर कर जीवन नित नूतन होता है। मौत जीवन का अंत नहीं है। जीवन तो शाश्वत है। जीवन को जानो तो तुम्हें जीवन की शाश्वतता पता चल जाए। जीवन तो अमृत है ही, अब किसी और अमृत की जरूरत नहीं। और मौत को जीत कर क्या करोगे?

नहीं, यह नहीं, कोई दूसरा। कोई —जहाँ मन थम जाए। कविता, कहानी, जीवनी, उपन्यास, मोटिवेशनल—-। नहीं, कुछ नहीं। सो जाओ, नींद नहीं है। दिन में सोया था। फिर? गीता-अजो नित्य: शाश्वतोयं पुराणो। न हन्यते हन्यमाने शरीरे।। अर्थात: आत्मा के लिए किसी भी काल में न तो जन्म है न मृत्यु। वह न तो कभी जन्मा, न जन्म लेता है और न जन्म लेगा। वह अजन्मा, नित्य, शाश्वत तथा पुरातन है। शरीर के मारे जाने पर वह मारा नहीं जाता। फिर कोरोना से मौत पर हायतौबा? मन स्थिर नहीं है। व्यक्ति चर्चा करते हैं। भला-बुरा, अच्छा-खराब। सही गलत का निर्णय आप कीजिए।

योगी आदित्यनाथ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री। इसी कोरोना काल में पिता का निधन हुआ। जब सूचना मिली, वह सरकारी अधिकारियों के साथ बैठक में थे। बैठक नहीं रोकी। अंतिम दर्शन के लिए भी नहीं गए। सोशल मीडिया पर बहस हुई। एक पक्ष ने कहा- योगीजी संन्यासी हैं। व्यक्ति सब कुछ त्यागने के बाद ही संन्यासी बनता है। ऐसे में जन्म के संबंध खत्म हो जाते हैं। फिर माता-पिता खत्म। दूसरे पक्ष ने कहा-नाटक है। एक तीसरी वाणी-अच्छा किया, नहीं गए। लाकडाउन के नियम टूटते। व्यवस्था पर असर पड़ता।

येदियुरप्पा: कर्नाटक से दूसरे राज्यों के मजदूरों को नहीं भेजेंगे। अधिकारियों ने रेलवे को ट्रेन देने संबंधी आवेदन वापस ले लिया है। तर्क है कि उद्योग-धंधे धीरे-धीरे प्रारंभ हो रहे हैं। मजदूर चले गए, तो उद्योगों पर असर पड़ेगा। काम कौन करेगा? कांग्रेस ने कहा-बिल्डरों के प्रभाव में है सरकार। उनके इशारे पर मजदूरों को परेशान किया जा रहा है।  चलो, सो जाओ। सुबह के छह बज गए मामू।

यह भी पढ़ेंः शराब महज मादक पदार्थ नहीं, सरकारी रेवेन्यू का बड़ा स्रोत भी है

- Advertisement -