बिहार की बातः ऐसे हुआ मधुबनी में पैक्स घोटाले का खुलासा

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पटना। मधुबनी जिले के मनपौर गांव के मिथिलेश झा रांची में नौकरी करते हैं। गांव गये, तो पता चला कि उनके पिता श्री मोहित कान्त झा से आधार कार्ड की छाया प्रति, उनकी तस्वीर और एक कागज पर उनके हस्ताक्षर लिये गये हैं। पैक्स अध्यक्ष ने कहा है कि कर्ज माफ किये जायेंगे। यह सुनकर मिथिलेश झा का माथा ठनका।

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उन्होंने कहा कि जब लोन लिया ही नहीं, तो कर्जमाफी कैसी। इसके बाद उन्होंने तहकीकात शुरू की। मिथिलेश झा को मालूम हुआ कि उनके नाम पर भी कर्ज उठाया गया है। हालांकि इसका कोई सबूत उन्हें नहीं मिल रहा था। कई बार सूचना का अधिकार (RTI) के तहत सूचना मांगी, लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला। अंततः उन्होंने बिहार लोक जनशिकायत केंद्र में शिकायत दर्ज करायी।

लोक जनशिकायत केंद्र ने बेनीपट्टी के बीसीइओ को पूरे मामले की जांच के आदेश दिये। जांच में पता चला कि उनके नाम पर लोन का उठाव किया गया है और उनके नाम से 50 हजार रुपये की फसल बीमा भी ली गयी है। बीसीइओ ने जब सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक की बेनीपट्टी शाखा से इस संबंध में पूरी जानकारी मांगी, तो पहले तो उन्हें कई दिनों तक टहलाया गया, बाद में हाथ से लिखा एक स्टेटमेंट दिया गया। इसमें शिकायत दर्ज होने के बाद मिथिलेश झा के खाता में राशि जमा करवाकर उसे बराबर कर दिया गया।

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जांच में मालूम हुआ कि मिथिलेश झा के नाम से जो हस्ताक्षर था, उसमें उनका नाम ही गलत था। इस हस्ताक्षर को पैक्स अध्यक्ष ललन झा ने अप्रूव किया था, जिससे यह साबित हो गया कि पैक्स अध्यक्ष ने सारी गड़बड़ी की है। मिथिलेश झा ने बताया कि उन्होंने कभी किसान क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन किया ही नहीं।

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