आनंद बाजार पत्रिका से ऐसी उम्मीद नहीं की जा सकती, पर यह सच है

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आनंद बाजार पत्रिका से ऐसी उम्मीद नहीं की जा सकती, पर यह सच है। बंगाल पर आये एक एग्जिट पोल को आनंद बाजार पत्रिका ने तोड़-मरोड़ कर पेश किया है।
आनंद बाजार पत्रिका से ऐसी उम्मीद नहीं की जा सकती, पर यह सच है। बंगाल पर आये एक एग्जिट पोल को आनंद बाजार पत्रिका ने तोड़-मरोड़ कर पेश किया है।
  • डी. कृष्ण राव

कोलकाता। आनंद बाजार पत्रिका से ऐसी उम्मीद नहीं की जा सकती, पर यह सच है। बंगाल पर आये एक एग्जिट पोल को आनंद बाजार पत्रिका ने तोड़-मरोड़ कर पेश किया है। बंगाल के मशहूर बांग्ला दैनिक आनंद बाजार पत्रिका के खिलाफ  जन की बात संस्था के सीईओ  प्रदीप भंडारी ने  अपने टि्वटर हैंडल से  चेतावनी देते हुए कहा है कि  या तो आनंद बाजार पत्रिका  उनकी ओर से किए गए एग्जिट पोल को गलत तरीके से छापने के लिए  क्षमा मांग ले और  सही फिगर छापे, वर्ना  वह उसे कानूनी नोटिस भेजेंगे।

जन की बात ने आनंद बाजार पत्रिका को लीगल नोटिस की चेतावनी दी
जन की बात ने आनंद बाजार पत्रिका को लीगल नोटिस की चेतावनी दी

दरअसल यह विवाद कल दिन भर चलता रहा।  29 अप्रैल को चुनाव खत्म होते ही विभिन्न संस्थाओं ने अपने एग्जिट पोल दिखाने शुरू किये। इसके बाद 30 तारीख की सुबह जब  आनंद बाजार पत्रिका का पहला पन्ना लोगों ने देखा  तो उनके होश  उड़ गये। पत्रिका के पहले पेज के सबसे ऊपर  ग्राफिक के जरिए  सी-वोटर, सीएनएक्स, जन की बात  के एग्जिट पोल को  दिखाया गया। इस ग्राफिक्स में CNX और जन की बात के  एग्जिट पोल के फिगर को पूरी तरह उलट दिया गया।

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जन की बात की ओर से प्रकाशित किया गया था कि तृणमूल कांग्रेस को  104 से 121 सीटें मिलेंगी  और भाजपा को 162 से 185, लेकिन इस ग्राफिक में दिखाया गया कि तृणमूल कांग्रेस 162 से 185  और भाजपा 104 से 121 सीटें हासिल कर सककती हैं। ठीक उसी तरह सीएनएक्स के एग्जिट पोल के नतीजों को भी  पलट दिया गया। सीएनएक्स  ने दिखाया था कि  भाजपा को 138 148  और तृणमूल कांग्रेस को 128 से 138 सीटें मिलेंगी। आनंद बाजार पत्रिका की खबर नजर में आते ही  लोगों के तरह-तरह के रिएक्शन आने लगे।

हालांकि आम लोग इसे  जान-बूझकर की गयी गलती मानने से इनकार करते रहे, क्योंकि अखबार में काम करने वालों को पता है कि  इस तरह की गलतियां होती हैं, लेकिन  अगले ही दिन अखबार की ओर से  घटना के लिए क्षमा मांग ली जाती और सही फिगर छाप दिया जाता है। लेकिन आज सुबह भी कोई  कॉरिजेंडम  छापा नहीं गया। अगर मान भी  लिया जाए कि यह जान-बूझकर किया गया है तो क्यों? राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अगर  वोटों की गिनती से पहले यह  अनुमान लग जाता कि कोई एक पार्टी जीत रही है तो दूसरी पार्टी के काउंटिंग एजेंट  काउंटिंग सेंटर तक जाने से  मना कर देते।

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