ममता बनर्जी के साथ कदमताल करना चीफ सेक्रेट्री को महंगा पड़ गया

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ममता बनर्जी के साथ कदमताल करना पश्चिम बंगाल के चीफ सेक्रेट्री अलापन बंद्योपाध्याय को महंगा पड़ गया। केंद्र ने उन्हें दिल्ली तलब कर लिया।
ममता बनर्जी के साथ कदमताल करना पश्चिम बंगाल के चीफ सेक्रेट्री अलापन बंद्योपाध्याय को महंगा पड़ गया। केंद्र ने उन्हें दिल्ली तलब कर लिया।

कोलकाता। ममता बनर्जी के साथ कदमताल करना पश्चिम बंगाल के चीफ सेक्रेट्री अलापन बंद्योपाध्याय को महंगा पड़ गया। केंद्र ने उन्हें दिल्ली तलब कर लिया। उन्हें 31 मई तक दिल्ली रिपोर्ट करने को कहा गया है। अलापन बंद्योपाध्याय को हाल ही तीन महीने का एक्सटेंसन मिला था। उन्हें दिल्ली बुलाये जाने से ममता बनर्जी काफी खफा हैं। पीएम से मुलाकात में आज ममता बनर्जी ने यास तूफान से हुई क्षति की भरपायी के लिए 20 हजार करोड़ का मांगपत्र दिया, लेकिन चीफ सेक्रेट्री के नाते अलापन बंद्योपाध्याय ने प्रजेंटेशन नहीं दिया। माना जा रहा है कि ऐसा उन्होंने ममता के इशारे पर किया।

ममता बनर्जी की पीएम नरेंद्र मोदी से आज मुलाकात तो हुई, लेकिन ममता बनर्जी के तेवर में तल्खी थी। वह हवा हवा की तरह गयीं और तूफान की तरह लौट आयीं। दरअसल ममता बनर्जी को इस बात पर एतराज था कि मोदी से उनकी मुलाकात में बंगाल में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी क्यों मौजूद रहेंगे। सुबह ही उनकी ओर से इस पर आपत्ति जता दी गयी थी। कहा तो यह भी गया था कि अगर शुभेंदु अधिकारी वहां रहेंगे तो वह नहीं जाएंगी।

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खैर, वह पीएम मोदी से मिलने कलाईकुंडा एयरपोर्ट पहुंचीं। वहां राज्यपाल जगदीप धनखड़ के अलावा शुभेंदु अधिकारी भी मौजूद थे। ममता ने झटके में पीएम से मुलाकात की और यास तूफान से हुई क्षति की भरपायी के लिए 20 हजार करोड़ रुपये मांगने का कागज सौंपा। इसके अलावा उन्होंने कोई बात नहीं की। यहां तक कि यास तूफान से हुई क्षति के बारे में मुख्य सचिव को प्रजेंटेशन देने से भी मना कर दिया।

यास तूफान से हुई क्षति को देखने के लिए प्रधानमंत्री उड़ीसा के इलाकों का हवाई सर्वेक्षण कर बंगाल के कलाईकुंडा पहुंचे थे। बंगाल में हुई क्षति की समीक्षा बैठक में  मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भाग  नहीं  लिया। प्रधानमंत्री को आधा घंटा तक ममता के लिए इंतजार करना पड़ा। ममता पहुंचीं और  5 मिनट के अंदर प्रधानमंत्री को 20 हजार करोड़ की क्षति की रिपोर्ट सौंप कर  तुरंत निकल गईं। राज्य के चीफ सेक्रेट्री अलापन  बंद्योपाध्याय को  प्रजेंटेशन तक देने नहीं दिया। वह वहां से दीघा के लिए निकल गयीं।

ममता ने बताया कि  सुंदरबन और  दीघा  मैं हुई क्षति से निपटने के लिए  20 हजार करोड़ रुपये चाहिए। प्रधानमंत्री को पूरी रिपोर्ट दे दी गयी है।  पता है, कुछ भी नहीं मिलेगा। इसके बावजूद बंगाल के लोगों के  लिए रिपोर्ट जमा दी गयी। दूसरी ओर  प्रधानमंत्री दफ्तर की ओर से  ओडिशा, पश्चिम बंगाल  और झारखंड के लिए  तात्कालिक 1000 करोड़  रुपये मंजूर किये गये, जिसमें 500 करोड़ रुपये उड़ीसा को  और बाकी 500 करोड़ रुपये बंगाल और झारखंड को दिये जाएंगे। बंगाल को 400 करोड़ ही मिलेंगे। इसके अलावा यास तूफान में  जान गंवाने वाले लोगों को ₹100000  और  घायलों को ₹50000 दिये जाएंगे।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक  आज कलाईकुंडा में 2:15 बजे प्रधानमंत्री के साथ मुख्यमंत्री का  समीक्षा बैठक होनी थी। इसके लिए समीक्षा कक्ष में  प्रधानमंत्री, बंगाल के राज्यपाल  जगदीप धनखड़ और विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी समय से पहले ही उपस्थित हुए थे, लेकिन मुख्यमंत्री 32 मिनट लेट बैठक कक्ष में पहुंचीं। वहां शुभेंदु और राज्यपाल को देख कर  भड़क गईं। प्रधानमंत्री के हाथ में   रिपोर्ट थमा कर चली गईं। इस मीटिंग में  राज सरकार की ओर से कोई भी प्रतिनिधि उपस्थित नहीं था। इसके पहले  भुवनेश्वर में  उड़ीसा के मुख्यमंत्री  नवीन पटनायक के साथ प्रधानमंत्री की दो घंटे तक तूफान से हुई क्षति को लेकर बैठक चली।

प्रधानमंत्री वहां से  हेलीकॉप्टर द्वारा  दीघा और आसपास के इलाकों का  जायजा लेते हुए कलाईकुंडा  पहुंचे। उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने  बताया कि केंद्र सरकार वैसे ही कोरोनावायरस  से जूझ रही है। इसलिए  इस तूफ़ान में क्षति के लिए वह कोई दावा पेश नहीं करेंगे। शुभेंदु अधिकारी ने मीटिंग से निकलने के बाद कहा कि  इस आपदा के समय  राजनीति जरूरी नहीं है। मैं बंगाल के  कोस्टल इलाके  के रहने वाला हूं। मुझे पता है कि कहां कितनी क्षति हो सकती है।

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