रेप..रेप..रेप, मासूम बच्चियां बन रही दरिंदगी का शिकार

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बच्चियां बन रही दरिंदगी का शिकार
बच्चियां बन रही दरिंदगी का शिकार

रेप..रेप..रेप, मासूम बच्चियां बन रही दरिंदगी का शिकार। देश के कई हिस्सों से मासूम बच्चियों से रेप और उनकी हत्या के मामलों पर सोशल मीडिया उबल रहा है। हर संवेदनशील व्यक्ति के वाल पर तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। इलेक्ट्रानिक मीडिया के वरिष्ठ पत्रकार अजित अंजुम ने अपने वाल पर लिखा है-

जालौन में सात साल की बच्ची से रेप और हत्या, मेरठ में 12 साल की बच्ची के साथ बलात्कार, हमीरपुर में 11 साल की बच्ची के साथ बलात्कार के बाद हत्या, बनारस में दस साल की बच्ची से रेप, बरेली में आठ साल की बच्ची से रेप, कुशीनगर में 12 साल की बच्ची से गैंगरेप, मेरठ में ही नौ साल की एक और बच्ची से रेप और हत्या….बच्चियों से रेप और हत्या की ये घटनाएं यूपी की हैं और बीते पांच से सात दिनों के भीतर की हैं। यूपी में महिलाओं और बच्चियों के साथ हैवानियत वाली घटनाओं की फेहरिस्त बहुत लंबी है। इतनी लंबी कि मैं आपको सुनाने लगूं तो काफी वक्त गुजर जाएगा। हर घटना सिहरा देने वाली है। रुह कंपा देने वाली है।

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अलीगढ़ की ढाई साल की एक गुड़िया के साथ दरिंदगी की घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया था। दरिंदों का धर्म देखकर कई हिन्दूवादी संगठन और नफरत का कारोबार करने वाली स्वंयभू जमातों ने अलीगढ़ को खूब मुद्दा बनाया। सोशल मीडिया पर शोर मचाया। महापंचायत करने की कोशिश की, लेकिन उसी यूपी में बच्चियों से बलात्कार की इन जघन्य घटनाओं पर किसी का खून नहीं खौल रहा है। कोई हंगामा और प्रदर्शन नहीं कर रहा। सरकार पर कोई दबाव नहीं रहा कि आखिर हर रोज मासूम बेटियां दरिदों का शिकार क्यों बन रही हैं। कई मामलों में यूपी पुलिस की लापरवाही के सबूत भी सामने हैं, लेकिन अलीगढ़ के पहले भी सन्नाटा था, अलीगढ के बाद भी सन्नाटा है। इस बीच इतना जरूर हुआ कि मुख्यमंत्री योगी ने राज्य के आला अधिकारियों से साथ बैठकें कर के कानून व्यवस्था का नट बोल्ट टाइट करने का संकेत दिया है और सूबे के डीजीपी ने हालात की समीक्षा करने का भरोसा।

सी.पी सिंह ने लिखा- हमारे उत्तर प्रदेश में इन दिनों मासूम बच्चियों के साथ बलात्कार और उनकी बर्बर हत्या के बहुत से मामले सामने आए हैं। समाचार पत्रों के अनुसार अलीगढ़, कानपुर, जालौन, हमीरपुर, फतेहपुर, कुशीनगर, कासगंज व मेरठ में मासूम बच्चियों के साथ बलात्कार के पैशाचिक अपराध हुए हैं और इनमें से तीन बहुत छोटी मासूम बच्चियों की बर्बर हत्या कर दी गई। ये और ऐसी सभी घटनाएं दिल दहला देने वाली हैं।

पुलिस प्रशासन अपने परंपरागत तरीके से काम कर रहा है और राजनीतिक दल हमेशा की तरह अपने अपने हिसाब से आरोप प्रत्यारोप में लिप्त हैं। यह कानून व्यवस्था अथवा राजनीतिक शतरंज का मुद्दा नहीं है। यह हमारे समाज के मूल्यों, संस्कार और मानवीय संवेदना को छिन्न-भिन्न करने वाली पैशाचिक प्रवृत्ति का विस्तार है, जिसे अविलंब रोकने के लिए सरकार और समाज को प्रभावी कार्रवाई करनी होगी। ऐसी घटनाओं को रोकने की सर्वाधिक जिम्मेदारी सरकार की है।

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स्पष्ट है कि मासूम बच्चियों की मानवीय गरिमा और जिंदगी बचाने के लिए सरकार को इस पैशाचिक प्रवृत्ति को रोकने के दायित्व को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी होगी। सभी राजनीतिक दलों को मिलजुल कर इस कुत्सित मानसिकता को पूरी तरह कुचलने के लिए समन्वित क़दम बढ़ाने होंगे। यहां भी सत्तारूढ़ दलों की विपक्ष को पहले अपने गिरेबान में झांकने की नसीहत देना इतने बड़े संवेदनशील विषय को हल्का करने जैसा लगता है, जो कदापि उचित नहीं है।

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एक सभ्य समाज में मासूम बच्चियों के साथ बलात्कार और उनकी हत्या जैसी बर्बर घटनाओं का कोई स्थान नहीं होना चाहिए। यह तभी संभव है जब सरकार और राजनीतिक दलों के साथ साथ समाज के सभी सदस्य जागरूकता और रोकथाम के लिए सामूहिक प्रयास करें। समय आ गया है कि बलात्कार व हत्या की मानसिकता को समूल नष्ट करने के लिए सामाजिक, शैक्षणिक, न्यायिक, प्रशासनिक एवं सांस्कृतिक सभी क्षैत्रों में समन्वित और सघन प्रयास तत्काल शुरू कर दिए जाएं।

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प्रियंका ओम ने लिखा- जो लोग बलात्कार को कम कपड़ों, उत्तेजना या सेक्स से जोड़ कर देखते हैं, वे अब भी किसी और दुनिया में जी रहे हैं। क्योंकि यदि बलात्कार का सम्बंध उल्लेखित किसी भी विषय से होता तो आप, मैं, हम सब बलात्कारी होते। कम शब्दों में समझियेगा।

दरअसल बलात्कार एक मानसिकता है और इस मानसिकता का उत्तेजना, सेक्स, कपड़ों इत्यादि से से कोई वास्ता नही है, क्योंकि जो बलात्कार नहीं करते, उत्तेजित तो वे भी होते हैं, लेकिन वे अपनी उत्तेजना शांत करना जानते हैं और जानते तो वे भी हैं, जो बलात्कार करते हैं, लेकिन उन्हें बलात्कार करना उचित लगता है। यह उनकी मानसिकता है।

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अफ़्रीका में फ़्री सेक्स का चलन है, लेकिन वहाँ भी बलात्कार होता है (नोटः टुरिस्ट, एक्स्पेट्रीयट से बलात्कार की कोई घटना सामने नही आई है)। पश्चिमी देशों के उन्मुक्त वातावरण जहाँ प्रेम और सेक्स एक दूसरे के पर्याय हैं, ऐसे में अमेरिका हाइयस्ट रेप क्राइम के लिये टॉप पर है।

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भूल जाइये कि रेप का सम्बंध किसी भी बाह्य कारण से है, यह  मात्र मानसिकता है और यह मनिसकता कई तरह की होती है, जिसमें सबसे प्रमुख स्त्री दमन की प्रवृति, बदले के भाव से उपजी स्त्री दमन की प्रवृति। यह पितृसत्ता है, दुनिया भर का कोई देश इस मानसिकता से अछूता नहीं।

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दो साल की बच्ची ने तो कम कपड़े ही पहने थे। जी, उसकी टाँगे दिख रही थीं और जो दो माह की बच्ची होती है, उसे तो ज़रा भी शऊर नहीं कपड़े पहनने का, लेकिन उस दादी-नानी का क्या कीजे, जो सर से जरा-सा पल्ला सरकते ही पुनः ठीक कर लेती है, लेकिन फिर भी बलात्कार की घटनाएं होती हैं। ठीक से समझ  लेना ही सर्वथा उचित है, अन्यथा फिर से बातें दोहराई नहीं जायेंगी। बलात्कार मानसिकता है और बलात्कार के बाद अमानवीय तरीकों से हत्या पैशाचिक प्रवृति।

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