सोमवार को कुशवाहा  बोल सकते हैं एनडीए को बाय-बाय!

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हाजीपुर। राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा एनडीए में नहीं रहेंगे। 10 दिसंबर को वह एनडीए को बाय बोल देंगे। हालांकि उनकी ओर से इसकी पुष्टि नहीं की गयी है, लेकिन उनके करीबियों ने इसका संकेत दिया है। रालोसपा सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा के गृह क्षेत्र वैशाली जिले में उनके दल के लोगों का भी दावा है।

सभी का मानना है कि 10 दिसंबर को उपेंद्र कुशवाहा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ मुलाकात करेंगे और लोकसभा सत्र से पूर्व आहूत एनडीए की बैठक में शामिल नहीं होंगे। पिछले लगभग 3 महीने से रालोसपा सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा बिहार के राजनीतिक घटनाक्रम में सर्वाधिक चर्चित नेता रहे हैं।

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कहीं पर निगाहें कहीं पर निशाना वाली रणनीति अपनाते हुए उपेंद्र कुशवाहा ने पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को निशाने पर लिया। उसके बाद  बिहार के भाजपा नेताओं की कार्यशैली पर सवाल उठाए।  विशेष रूप से  उपमुख्यमंत्री  सुशील कुमार मोदी  पर निशाना साधा और अब अंतिम पड़ाव में उन्होंने भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को भी निशाने पर ले लिया है।

पिछले महीने भर से राजनीतिक गलियारों में यह  चर्चा का विषय बनता रहा कि कब   उपेंद्र कुशवाहा एनडीए से नाता तोड़कर महागठबंधन का हिस्सा बन जाएंगे। तारीख दर तारीख भी लोग बताते-गिनाते रहे। अंतिम तारीख 6 दिसंबर मानी गई थी कि मोतिहारी की सभा में रालोसपा सुप्रीमो ऐलान कर सकते हैं। शतरंज के मजे हुए खिलाड़ी की तरह कुशवाहा ने साफ-साफ कुछ भी नहीं कहा। अगले दिन 7 तारीख को वह अपने गृह क्षेत्र हाजीपुर में आयोजित कुशवाहा सम्मेलन शरीक होने आये तो पत्रकारों से वार्ता करते हुए लगभग साफ कर दिया था कि बहुत दिनों तक उनका एनडीए से नाता रहना संभव नहीं है।

जानकारों के अनुसार रालोसपा सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा ने कांग्रेस से जुड़कर महागठबंधन का हिस्सा बनने की रणनीति बनायी है। यही कारण है कि बिहार राजद के नेताओं की किसी भी प्रतिक्रिया पर रालोसपा की ओर से कोई टिप्पणी नहीं आ रही। बताया जाता है कि शरद यादव ने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद से मुलाकात कर विशेष रूप से महागठबंधन में उपेंद्र कुशवाहा की भूमिका और उनकी पार्टी की सीटों को लेकर बात की थी। इस पर सहमति भी बन चुकी है।

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वैशाली जिला शुरू से ही राजनीति नेतृत्व का केंद्र बिंदु रहा है। अब भी लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान का यह कर्म क्षेत्र है और श्री पासवान हाजीपुर को सदैव अपनी मातृभूमि मानते हैं। वहीं बिहार में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव का विधानसभा क्षेत्र वैशाली जिले के ही राघोपुर  हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय की जन्मस्थली भी वैशाली जिला ही है तो रालोसपा सुप्रीमो की जन्मभूमि भी वैशाली जिला के जंदाहा में हैं। इस तरह बिहार की राजनीति के चार शीर्ष नेतृत्वकर्ताओं की जन्म और कर्म भूमि वैशाली जिला है। यही कारण है कि विभिन्न दलों से जुड़े लोग अपने अपने नेताओं के विशेष विश्वसनीय हैं।

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