महागठबंधन की नहीं दिख रही बिहार में चुनावी सक्रियता

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पटना। राजद नीत महागठबंधन राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के खानदान के लगातार जांच एजेंसियों के घेरे में रहने के कारण हताश हो चुका है। लालू, राबड़ी, तेजस्वी, तेज प्रताप जैसे लालू के परिवारी जनों के जांच-कोर्ट में उलझे रहने के कारण चुनावी तैयारियां ठप पड़ गयी हैं। महागठबंधन के नेता सिर्फ सोशल मीडिया के माध्यम से हुंकार भर रहे हैं। ताजा उदाहरण लालू प्रसाद का है, जिन्होंने सुशील मोदी के अपराधियों से पखवाड़े भर अपराध न करने की अपील पर ट्वीट कर मोदी की खिल्ली उड़ाई। मोदी ने इसके लिए उन पर कार्रवाई की मांग की है। इसलिए राजनीतिक गतिविधियों पर अंकुश अदालत ने लगा रखी है।

हां, महागठबंधन में सिर्फ कांग्रेस अभी सक्रिय दिखती है, जिसने अपनी नयी कमेटी बना कर पार्टी में जान फूंकने की एक कोशिश की है। इसे भी उसके एक कार्यकर्ता ने पटना शहर में तीन स्थानों पर कमेटी पदाधिकारियों की जाति बताता होर्डिंग लगा कर मजाक बना दिया। होर्डिंग में सभी पदाधिकारियों की जाति का उल्लेख किया गया है।

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हम (से) के नेता जीतन राम मांझी और उनके दल के कार्यकर्ता समय-समय पर बयान या धरना-प्रदर्शन व मीटिंग के जरिये महागठबंधन की चुनावी सक्रियता की जोत जलाये हुए हैं। राजद निष्क्रिय पड़ा हुआ है। पखवाड़े भर तेजस्वी यादव दिल्ली में जमे रहे। इसका कोई ज्ञात कारण नहीं है, लेकिन अनुमान लगाया जाता है कि वे जांच एजेंसियों से निपटने की रणनीति कानून के जानकारों से मिल कर बनाने में लगे थे।

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राजद अपने माय समीकरण के वोटों के चलते ओवर कंफिडेंस में दिखता है। उसे पक्का यकीन है कि उसके आधार वोट को कोई तोड़ नहीं सकता। लेकिन, सच यह भी है कि पार्टी की बिना सक्रियता के ऐसा अति आत्मविश्वास खतरनाक हो सकता है।

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