RJD को झटका, थर्ड फ्रंट की कवायद, बिहार में सियासी भूचाल

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RJD को झटका पर झटका लग रहा है। अब विजेंद्र यादव ने पार्टी का साथ छोड़ दिया। यशवंत सिन्हा ने आज थर्ड फ्रंट की नींव भी रख दी। बिहार में सियासी भूचाल आया है।
RJD को झटका पर झटका लग रहा है। अब विजेंद्र यादव ने पार्टी का साथ छोड़ दिया। यशवंत सिन्हा ने आज थर्ड फ्रंट की नींव भी रख दी। बिहार में सियासी भूचाल आया है।

पटना।  RJD को झटका पर झटका लग रहा है। अब विजेंद्र यादव ने पार्टी का साथ छोड़ दिया। यशवंत सिन्हा ने आज थर्ड फ्रंट की नींव भी रख दी। बिहार में सियासी भूचाल आया है। अगर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी को भी बिहारी की चुनावी जंग में शुमार कर लें तो बिहार वधानसभा का चुनाव इस बार चार ध्रुवों पर लड़ा जायेगा, इतना तय हो गया है। बिहार में आज के दो ताजा घटनाक्रम रहे। पहला यह कि लालू के विश्वासपात्र और RJD के प्रदेश उपाध्यक्ष विजेंद्र यादव ने पार्टी को बाय बोल दिया। दूसरी ओर पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा के बगावती नेता यशवंत सिन्हा ने बिहार के कुछ नेताओं नागमणि, अरुण कुमार और नरेंद्र सिंह को लेकर एक अलग मोर्चे की घोषणा की।

RJD की बात करें तो हफ्ते भर में इसे कई झटके लगे हैं। पहला बड़ा झटका तो उस वक्त लगा, जब इसके 5 एमएलसी साथ छोड़ कर जेडीयू खेमे में चले गये। आनन-फानन में उन्हें विधान परिषद अध्यक्ष ने जेडीयू में मान्यता दे दी। इसका नतीजा यह हुआ कि विधान परिषद में राबड़ी देवी से नेता प्रतिपक्ष का दर्जा छिन गया। अभी इस सदमे से RJD उबरने की कोशिश करता कि पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने पद से इस्तीफे की घोषणा अस्पताल के बेड से ही कर दी। कोरोना से पीड़ित होकर वे अस्पताल में थे। आज विजेंद्र यादव के साथ छोड़ने का झटका RJD को लगा है।

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बताया जा रहा है कि RJD को अभी इससे भी बड़े झटके लगने वाले हैं। दो दर्जन विधायकों के पाला बदलने की चर्चा हवा में तिर रही है। कुछ तो बड़े भरोसे के साथ 23 विधायकों की सूची लिये घूम रहे हैं। RJD के भीतर मचे घमासान के बीच रघुवंश प्रसाद सिंह को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फोन कर उनका कुशल क्षेम पूछ लिया। यह आग में घी की तरह माना जा रहा है। रघुवंश प्रसाद सिंह की नाराजगी की वजह उनके प्रतिद्वंद्वी रामा सिंह से तेजस्वी की बढ़ती नजदीकी बतायी जा रही है। तेजस्वी उन्हें RJD में शामिल करना चाहते हैं। इसकी भनक लगते ही रघुवंश बाबू ने अपना तेवर दिखा दिखा दिया। बताया जा रहा है कि लालू यादव के कहने पर रामा सिंह को पार्टी में शामिल करने का मामला टल गया है और लालू ने ऱगुवंश प्रसाद सिंह का इस्तीफा भी मंजूर नहीं किया है। यानी उन्हें मना लेने की कोशिशें जारी हैं।

RJD नेता रघुवंश प्रसाद सिंह के प्रतिद्वंद्वी रहे रामा सिंह को पार्टी में शामिल करने के पीछे की कहानी भी छन कर बाहर आ रही है। तेजस्वी यादव उन्हें राघोपुर सीट से पार्टी का उम्मीदवार बनाना चाहते हैं। राजपूत वोटरों की खासा तादाद को देखते हुए तेजस्वी राघोपुर के लिए रामा सिंह को उपयुक्त कैंडिडेट मानते हैं। देखना है कि लालू यादव इस मामले को कैसे सलटाते हैं। विजेंद्र यादव की नाराजगी की वजह का अभी पता नहीं चला है, लेकिन वे भी लालू के खास बताये जा रहे हैं। यानी इतना तो तय है कि लालू के बिना RJD के भीतर छिड़े घमासान पर काबू पाना मुश्किल है। लालू चूंकि जेल में हैं, इसलिए वे कितनी कारगर भूमिका निभा पायेंगे, कहना मुश्किल है।

बिहार की सियासी हलचल की बात करें तो यशवंत सिन्हा की अगुआई में बने मोरचे में वैसे चेहरे अभी दिख रहे हैं, जो बिहार की राजनीति में फिलवक्त हाशिये पर हैं। वे कितना कामयाब होंगे, कह पाना मुश्किल है। मोरचे के गठन के वक्त सिन्हा ने जो बातें कहीं, उसे सीधे तौर पर नीतीश के नेतृत्व वाली सरकार की विफलताओं का पिटारा माना जा सकता है। स्वास्थ्य, प्रतिव्यक्ति आय और दूसरे कई मानकों पर उन्होंने बिहार के पिछड़ेपन का जिक्र किया। उधर सीमांचल की 32 सीटों पर अपनी पार्टी के उम्मीदवार उतारने की बात ओवैसी पहले ही कह चुके हैं। इसे देखते हुए लगता है कि बिहार विधानसभा का चुनाव चार ध्रुवों पर लड़े जाने की संभावना है। अगर ऐसा होता है तो वोटों का बंटवारा होगा और इससे सत्ताधारी एनडीए को ही लाभ पहुंचेगा।

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